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Last Updated : बुधवार, 27 अक्टूबर 2021 (16:13 IST)

पेगासस जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 3 सदस्यीय कमेटी करेंगी मामले की जांच

पेगासस जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 3 सदस्यीय कमेटी करेंगी मामले की जांच - Supreme court decision in Pegasus case
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी कांड में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इसमें रिटायर्ड जज के साथ ही 2 साइबर एक्सपर्ट्स को शामिल किया गया है।

रिटायर्ड जज आरबी रवींद्रन की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। आलोक जोशी और संदीप ओबेराय कमेटी के अन्य सदस्य होंगे। मामले में अगली सुनवाई 8 हफ्तो बाद होगी।
 
सुप्रीम ने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल जनहित में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर कोई निजता की रक्षा चाहता है। कोर्ट मूकदर्शन बनकर नहीं बैठ सकता।
 
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 13 सितंबर को इसराइल के पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं के एक समूह पर अंतरिम निर्देश जारी करने के मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

क्या है पेगासस और किसने बनाया? : पेगासस को इजरायली निगरानी फर्म एनएसओ (NSO) ने बनाया है और इसका इस्तेमाल आईफोन और एंड्राइड फोन में सेंध लगाने के लिए करते हैं। स्पाईवेयर ने आतंकवादियों को ट्रैक करने के लिए इसको डिजाइन किया था। अब सभी के मन में यह सवाल जरुर आएगा कि पेगासस आपके फोन की डिवाइस में कैसे घुस सकता है। आपकी व्यक्तिगत जानकारी ले सकता है?
 
इसलिए है खतरनाक : पेगासस अपने टारगेट के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है, सिका अंदाजा इस बात से लगाएं कि उसके फोन पर यूजर ने ज्यादा एक्सेस पेगासस के पास होता है। बर्लिन में सिक्योरिटी लैब चलाने वाले क्लाॉडियो के अनुसार, यह स्पाईवेयर 'रूट लेवल प्रिविलेजेस' हासिल कर लेता है। यानी कि पेगासस आपके फोन की हर गतिविधि मॉनिटर कर सकता है। पेगासस स्पाइवेयर के जरिए हैकर को स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, मैसेज, ई-मेल, पासवर्ड, और लोकेशन जैसे डेटा का एक्सेस मिल जाता है।
 
क्या कहना है कंपनी का : पेगासस बनाने वाली कंपनी NSO ग्रुप का कहना है कि वह किसी निजी कंपनी को यह सॉफ्टवेयर नहीं बेचती है, बल्कि इसे केवल सरकारों को ही सप्लाई किया जाता है। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकार ने ही भारतीय पत्रकारों की जासूसी कराई? कंपनी ने कहा कि सभी आरोपों को गलत और भ्रामक बताया है। कंपनी ने कहा कि वह गार्जियन अखबार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
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