LoC की खुशी... वो आया, वो गया, वो मारा, धूम-धड़ाम और हिप-हिप हुर्रे...
जम्मू। वे आ रहे हैं... तीन हैं... आने दो... कोई फायर नहीं करेगा... किलिंग एरिया में आने दो फिर फायर किया जाएगा... वे फेंसिंग की ओर बढ़ रहे हैं... तीनों की पीठ पर सामान भी है... अगली चौकी को खबर कर दो... कोशिश करना जिंदा हाथ आ जाएं...
इसराइली रडार पर नजर लगाए सैन्य अधिकारी लगातार साथ ही में अपने जवानों को निर्देश दिए जा रहा था। वह एलएसी के लम्बीबारी इलाके में पाकिस्तान से इस ओर आने की कोशिश कर रहे तीन आतंकवादियों पर नजर रखे हुए था।
हालांकि शाम का धुंधलका होने के कारण सेंसर तथा रडार घुसपैठियों की स्पष्ट तस्वीर तो पेश नहीं कर पा रहे थे लेकिन वे इतना जरूर बता रहे थे कि हाथों में हथियार तथा पीठ पर थैले उठाए इस ओर आने की कोशिश करने वाले आतंकवादी ही हो सकते हैं।
यह सिलसिला कोई दस मिनट या एक घंटा नहीं चला था। लगातार छह घंटों तक इन तीन आतंकवादियों पर इस रडार से नजर रखी गई थी और उनकी छवि को पाने के लिए थर्मल इमेजर का इस्तेमाल किया गया था। तीनों ही आतंकवादी उस तारबंदी की ओर आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ रहे थे, जिसे पार कर उन्हें भारतीय क्षेत्र में घुसना था। उनके कदम इतनी आहिस्ता पड़ रहे कि एक किमी का सफर उन्होंने छह घंटों में पूरा किया था।
फिर जब वे तारबंदी के करीब पहुंचे तो अचानक निर्देश हुआ-फायर। गोलियों तथा हथगोलों की बरसात उन पर आरंभ हो गई थी। ऐसा करना जवानों की मजबूरी इसलिए थी क्योंकि आत्मसमर्पण करने की घोषणा लाउडस्पीकरों पर सुनने के बावजूद उन्होंने उसे अनसुना कर वापस भागना आरंभ कर दिया था। गोलीबारी दोनों तरफ से तेज हो चुकी थी। आतंकवादी किलिंग एरिया में आ चुके थे। तकरीबन एक घंटा तक फिर मुठभेड़ चली तो तीनों की मौत हो चुकी थी।
तीनों की मौत के साथ ही वो मारा और हिप-हिप हुर्रे के स्वर सुनाई देते थे। मात्र तीन आतंकवादियों को मार गिराने के साथ ही सैनिकों का कार्य समाप्त नहीं हो जाता था। वे फिर अगली घुसपैठ की कोशिश को रोकने में जुट जाते और ऐसा भी नहीं था कि जिस इलाके में आज घुसपैठ का प्रयास हुआ हो वहां पुनः जल्द ही ऐसी घटना हो बल्कि कई बार एक एक महीना इंतजार करने के बाद भी आतंकवादी उस ओर का रुख इसलिए नहीं करते क्योंकि पाक सेना को खबर मिल जाती है कि उनका जत्था मारा गया है। यह एनकाउंटर की रिकार्डिंग थी, जिसे पहली बार रिकॉर्ड किया गया था।
वर्ष 2004 के सितंबर महीने में पहली बार इस तरह के लाइव एनकाउंटर को रिकॉर्ड करने के बाद जो सिलसिला आरंभ हुआ था वह आज भी जारी है। जिस लाइव एनकांउटर को रिकॉर्ड किया गया था वह राजौरी तथा पुंछ के एलएसी से सटे लम्बीबारी इलाके में सितंबर 2004 को हुआ था और इसे रोकने में कामयाब हुए थे 3 जाट के सैनिक। हालांकि यह छह घंटों का लम्बा प्रयास था, जिसे परदे पर दस मिनट में खत्म करने का प्रयास किया गया था। इस एनकांउटर के बाद एलओसी पर होने वाले कई एनकाउंटर अब रिकॉर्ड होने लगे हैं।