अब ए फॉर आर्चरी, बी फॉर बैडमिंटन, सी फॉर क्रिकेट
नई दिल्ली। देश में खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि नर्सरी स्तर पर ही छोटे छोटे बच्चों में खेल, खिलाड़ी और खेलों से जुड़ी हर जानकारी उन्हें दी जाए और इसी उद्देश्य से ऐसी किताबें तैयार की गई हैं जिसमें अब ए फॉर एप्पल के बजाय ए फॉर आर्चरी सिखाया जाएगा।
दिल्ली में एक गैर सरकारी संस्था 'स्पोर्ट्स ए वे ऑफ लाइफ' ने समाज में शुरुआती स्तर से ही बच्चों को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ऐसी किताबें तैयार की हैं जिसमें बच्चों के लिए वर्णमाला के अक्षरों को क से कबूतर या ए से एप्पल के बजाय ए से आर्चरी और अ से अर्जुन पुरस्कार जैसी वर्णमाला तैयार की गई है।
पैरालंपियन देवेंद्र झांझरिया और उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल तथा संस्था के संस्थापक कनिष्क पांडे ने 'खेल प्रवेशिका' नाम से इस किताब को हिन्दी और अंग्रेजी में जारी किया। कनिष्क ने साथ ही तीन वर्षों तक करीब 40 हजार लोगों पर सर्वेक्षण भी किया है जिसके अनुसार देश में केवल पांच फीसदी लोगों में ही खेलों के प्रति जागरुकता है।
इस सर्वेक्षण में खेलों के प्रति जागरूकता और जमीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छात्रों, परिजनों, खिलाड़ियों के अलावा अवसाद से पीड़ित मरीज़ों को भी शामिल किया गया ताकि खेलाें के जरिए उनके जीवन में बदलाव को आंका जा सके।
खेलों में नर्सरी स्तर पर ही बच्चों में जागरूकता के लिए चलाए गए अभियान को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया जिसमें करीब 30 हजार बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी की वर्णमाला में खेलों की जानकारी देने का अनूठा प्रयास किया गया है। पैरालंपियन झांझरिया ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह अपने आप में एक अनूठा कदम है और इसे देशभर में लागू करना चाहिए ताकि शिक्षा के माध्यम से खेलों की जानकारी दी जा सके। (वार्ता)