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Last Modified: शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023 (21:14 IST)

सपा ने जारी की अपराधियों की सूची, योगी सरकार पर उठाए सवाल

सपा ने जारी की अपराधियों की सूची, योगी सरकार पर उठाए सवाल - SP released list of criminals, raised questions on Yogi government
लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने शुक्रवार को ट्विटर पर अपराधियों की एक सूची जारी की और जानना चाहा कि क्या वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'खासमखास' हैं और इसलिए वे जीवित हैं और अपने गिरोह चला रहे हैं।
 
समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने गैंगस्टर-नेता अतीक अहमद के बेटे और उमेश पाल हत्याकांड में वांछित असद और उसके साथी गुलाम की झांसी में पुलिस मुठभेड़ में मौत के एक दिन बाद यह सूची जारी की है।
 
सपा के मीडिया प्रकोष्ठ (हैंडल) ने शुक्रवार को एक ट्वीट में अपराधियों की सूची का जिक्र करते हुए कहा कि ये सब क्या योगी जी के खासमखास हैं? दरअसल ये सब योगी जी के स्वजातीय हैं। इसीलिए अभी तक बचे भी हुए हैं। अपराध भी कर रहे हैं और गिरोह भी चला रहे हैं। हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती, वसूली, रंगदारी सब कर रहे हैं।
 
ट्वीट में एक 'नोट' जोड़ते हुए समाजवादी पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ ने कहा है, ‘नोट- लिस्ट पुरानी है, लेकिन इसमें ज्यादातर अपराधी भाजपा समर्थित हैं और सक्रिय हैं।’ सूची में विभिन्न नेताओं के नाम और उनके खिलाफ कथित रूप से दर्ज मामलों की संख्या भी दी गई है।
 
सूची में कुलदीप सिंह सेंगर (उन्नाव, 28 मामले), बृजेश सिंह (वाराणसी, 106 मामले), धनंजय सिंह (जौनपुर, 46 मामले), रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (प्रतापगढ़, 31 मामले), उदयभान सिंह (भदोही, 83 मामले), अशोक चंदेल (हमीरपुर, 37 मामले), विनीत सिंह (चंदौसी, 34 मामले), बृजभूषण सिंह (गोंडा, 84 मामले), चुलबुल सिंह (वाराणसी, 53 मामले), सोनू सिंह (सुल्तानपुर, 57 मामले), मोनू सिंह (सुल्तानपुर, 48 मामले), अजय सिंह सिपाही (मिर्जापुर, 81 मामले), पिंटू सिंह (बस्ती, 23 मामले), सन्नी सिंह (देवरिया, 48 मामले), संग्राम सिंह (बिजनौर, 58 मामले), चुन्नू सिंह (महोबा, 42 मामले) और बादशाह सिंह (महोबा, 88 मामले) शामिल हैं।
 
कुछ नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी राज्य में पुलिस मुठभेड़ों की बड़ी संख्या पर सवाल उठाए हैं। पीवीसीएचआर (पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स) के संस्थापक संयोजक लेनिन रघुवंशी ने शुक्रवार को कहा कि हमारा विचार है कि पुलिस मुठभेड़ों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कुछ दिशानिर्देश हैं। और एनएचआरसी के दिशानिर्देशों के अनुसार एक मजिस्ट्रियल जांच होनी चाहिए, जिससे ऐसे मामलों में तस्‍वीर साफ हो जाएगी।
 
गौरतलब है कि 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षा गार्ड की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
 
उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर 25 फरवरी को अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, असद सहित दो बेटों, शूटर गुड्डू मुस्लिम व गुलाम तथा 9 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। (भाषा)
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