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Last Updated :नई दिल्‍ली , गुरुवार, 25 मई 2023 (17:54 IST)

Cheetah in India : चीतों की मौत को लेकर विशेषज्ञ की चेतावनी, बोले- अभी और बुरा हो सकता है...

Cheetah in India : चीतों की मौत को लेकर विशेषज्ञ की चेतावनी, बोले- अभी और बुरा हो सकता है... - South African expert warns about the death of cheetahs in India
Cheetah in India : दक्षिण अफ्रीकी वन्यजीव विशेषज्ञ विंसेट वान डेर मर्व ने कहा है कि भारत को चीतों के 2 से 3 निवास स्थलों पर बाड़ लगानी चाहिए क्योंकि इतिहास में बिना बाड़ वाले अभयारण्य में चीतों को फिर से बसाए जाने के प्रयास कभी सफल नहीं हुए हैं।

वान डेर मर्व ने सचेत किया कि चीतों को फिर से बसाए जाने की परियोजना के दौरान आगामी कुछ महीनों में तब और मौत होने की आशंका है, जब चीते कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य में अपने क्षेत्र स्थापित करने की कोशिश करेंगे और तेंदुओं एवं बाघों से उनका सामना होगा।

इस परियोजना से निकटता से जुड़े वान डेर मर्व ने कहा कि हालांकि अभी तक चीतों की मौत की संख्या स्वीकार्य दायरे में है, लेकिन हाल में परियोजना की समीक्षा करने वाले विशेषज्ञों के दल ने यह अपेक्षा नहीं की थी कि नर चीते मादा दक्षिण अफ्रीकी चीते से संबंध बनाते समय उसकी हत्या कर देंगे और वे इसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।

विलुप्त घोषित किए जाने के 70 साल बाद भारत में चीतों को फिर से बसाने के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ लागू किया गया है। इसके तहत अफ्रीका के देशों से चीतों को दो जत्थों में यहां लाया गया है। नामीबियाई चीतों में से एक साशा ने 27 मार्च को गुर्दे की बीमारी के कारण दम तोड़ दिया था जबकि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए एक अन्य चीते उदय की 23 अप्रैल को मौत हो गई।

वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा एक नर चीते से मिलन के प्रयास के दौरान हिंसक व्यवहार के कारण घायल हो गई थी और बाद में उसकी मौत हो गई। इसके अलावा दो महीने के एक चीता शावक की 23 मई को मौत हो गई थी।

वान डेर मर्व ने कहा, अभी तक के दर्ज इतिहास में बिना बाड़ वाले किसी भी अभयारण्य में चीतों को पुन: बसाए जाने की परियोजना सफल नहीं हुई है। दक्षिण अफ्रीका में 15 बार ऐसे प्रयास हुए हैं, जो हर बार असफल रहे हैं। हम इस बात की वकालत नहीं करेंगे कि भारत को अपने सभी चीता अभयारण्यों के चारों ओर बाड़ लगानी चाहिए। हम कह रहे हैं कि केवल दो या तीन में बाड़ लगाई जाए और ‘सिंक रिजर्व’ भरने के लिए ‘सोर्स रिजर्व’ बनाए जाएं।

‘सोर्स रिजर्व’ ऐसे निवास स्थल होते हैं, जो किसी विशेष प्रजाति की संख्या वृद्धि और प्रजनन के लिए इष्टतम परिस्थितियां उपलब्ध कराते हैं। इन क्षेत्रों में प्रचुर संसाधन, उपयुक्त आवास और अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियां होती हैं।

दूसरी ओर, ‘सिंक रिजर्व’ ऐसे निवास स्थान होते हैं जहां सीमित संसाधन या पर्यावरणीय परिस्थितियां होती हैं और जो किसी प्रजाति के अस्तित्व या प्रजनन के लिए कम अनुकूल होती हैं। यदि ‘सोर्स रिजर्व’ की बढ़ी कुछ आबादी ‘सिंक रिजर्व’ में जाती है, तो ‘सिंक रिजर्व’ में अधिक समय तक आबादी बनी रह सकती है।

कई विशेषज्ञों, यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने भी मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में जगह की कमी पर चिंता व्यक्त की है और चीतों को अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है। दक्षिण अफ्रीका में ‘चीता मेटापॉप्यूलेशन प्रोजेक्ट’ के प्रबंधक वान डेर मर्व ने कहा कि इस समय सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि कम से कम तीन या चार चीतों को मुकुंदरा हिल्स ले जाया जाए और उन्हें वहां प्रजनन करने दिया जाए।

उन्होंने अगले कुछ महीनों में कूनो अभयारण्य में और अधिक चीतों की मौत होने की आशंका जताई। उन्होंने कहा, चीते निश्चित रूप से अपने क्षेत्र स्थापित करना और अपने क्षेत्रों एवं मादा चीतों के लिए एक-दूसरे के साथ लड़ना और एक-दूसरे को मारना जारी रखेंगे। उनका तेंदुओं से आमना-सामना होगा। कूनो में अब बाघ घूम रहे हैं। मौत के मामले में सबसे बुरी स्थिति आना अभी बाकी है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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