मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. sharad pawar residence opposition party meeting ncp congress tmc
Written By
Last Updated : मंगलवार, 22 जून 2021 (21:32 IST)

शरद पवार के घर नहीं पहुंचे कद्दावर नेता, NCP बोली- यशवंत सिन्हा ने बुलाई थी मीटिंग

शरद पवार के घर नहीं पहुंचे कद्दावर नेता, NCP बोली- यशवंत सिन्हा ने बुलाई थी मीटिंग - sharad pawar residence opposition party meeting ncp congress tmc
नई दिल्ली। भाजपा विरोधी कई पार्टियों के नेताओं की राकांपा प्रमुख शरद पवार के यहां स्थित आवास पर मंगलवार को एक बैठक हुई जिसे भगवा दल को कहीं अधिक मजबूत चुनौती देने के लिए विपक्षी नेताओं के एकजुट होने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि बैठक में शामिल हुए नेताओं ने इसके राजनीतिक महत्व को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की और इसे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के राष्ट्र मंच के बैनर तले समान विचार वाले लोगों के बीच एक संवाद बताया। हालांकि कई कद्दावर नेता इस बैठक में नहीं पहुंचे।
एनसीपी ने कहा कि यह बैठक यशवं‍त सिन्हा ने बुलाई थी।
तृणमूल कांग्रेस नेता सिन्हा का यह गैर राजनीतिक संगठन भाजपा विरोधी विचार अभिव्यक्त करता रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार कोई भी व्यक्ति इस बात की अनेदेखी नहीं कर सकता है कि बैठक की मेजबानी पवार ने अपने आवास पर की। यह बैठक चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ हुई उनकी हालिया मुलाकातों के बाद हुई है। पवार की किशोर के साथ एक बैठक महज एक दिन पहले सोमवार को ही हुई थी।
 
पश्चिम बंगाल के हालिया विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस द्वारा भाजपा को करारी शिकस्त देने के कुछ समय बाद विपक्षी नेताओं की यह बैठक हुई। भाजपा नीत मोर्चे ने हाल ही में हुए तमिलनाडु और केरल विधानसभा चुनावों में भी खराब प्रदर्शन किया था। तमिलनाडु में द्रमुक नीत गठबंधन ने जीत हासिल की जबकि केरल में वाम मोर्चे ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। वहीं, भाजपा की मुख्य राष्ट्रीय राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस ने असम और केरल में उत्साहजनक प्रदर्शन नहीं किया।
 
अगले साल उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों के अलावा कई अन्य राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में क्षेत्रीय क्षत्रपों और गैर भाजपा दलों को एकजुट करने की कोशिश को मुख्य रूप से 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रति लक्षित देखा जा रहा है। भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने के बाद से उसके खिलाफ कांग्रेस की तुलना में क्षेत्रीय दलों ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है और उनके द्वारा कहीं अधिक एकजुट तरीके से मोदी सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती देने का विचार हाल के समय में दृढ़ हुआ है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने मार्च में भाजपा विरोधी 15 पार्टियों (कांग्रेस सहित) के नेताओं को पत्र लिख कर भगवा पार्टी के खिलाफ अधिक एकजुट लड़ाई लड़ने का अनुरोध किया था। पवार के आवास पर बैठक में शामिल हुए माकपा के नीलोत्पल बसु ने कहा कि उन्होंने कोविड प्रबंधन, बेरोजगारी जैसे शासन के मुद्दे तथा भाजपा द्वारा संस्थाओं पर किए जा रहे कथित हमले पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने बैठक के राजनीतिक महत्व को तवज्जो नहीं दी।
 
पवार, बसु और सिन्हा के अलावा, भाजपा के एक पूर्व नेता एवं अब तृणमूल कांग्रेस उपाध्यक्ष, समाजवादी पार्टी के घनश्याम तिवारी, राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, भाकपा के बिनय विश्वम और आप के सुशील गुप्ता, नागरिक समाज संस्थाओं के कई सदस्य बैठक में शामिल हुए।
 
कांग्रेस के कुछ नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन उनमें से किसी के शरीक नहीं होने से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि मुख्य विपक्षी पार्टी क्षेत्रीय दलों के नेतृत्व वाले मोर्चे का हिस्सा नहीं बनना चाहती है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बैठक पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए कहा कि यह राजनीति पर चर्चा करने का समय नहीं है।
लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान से जब यह सवाल किया गया कि क्या वह संभावित समूह या मोर्चा में खुद के लिए कोई भूमिका देखते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी संभावनाओं के लिहाज से कभी नहीं, नहीं कहता। शिवसेना, द्रमुक और झारखंड मुक्ति मोर्चा भी बैठक में शामिल नहीं हुए। गौरतलब है कि कांग्रेस (जब उसका केंद्र में शासन था) को चुनौती देने के लिए तीसरे या चौथे मोर्चे के गठन के लिए क्षेत्रीय दलों का प्रयोग भी अल्पकालिक साबित हुआ है। (इनपुट भाषा)
ये भी पढ़ें
कश्मीर : आतंकी हमले में पुलिसकर्मी शहीद