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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated :जम्मू , बुधवार, 11 जुलाई 2018 (22:00 IST)

शाह फैजल के समर्थन में कूदे नेता, सरकारी नोटिस को बताया लव लेटर

शाह फैजल के समर्थन में कूदे नेता, सरकारी नोटिस को बताया लव लेटर - Shah Faizal Government notice Love letter
जम्मू। कश्मीर के पहले आईएएस टॉपर अधिकारी शाह फैजल की ट्विटर की टिप्पणी पर उन्हें भेजे गए नोटिस को लेकर कई राजनेता फैसल के समर्थन में उतर आए हैं। यही नहीं, शाह ने सरकारी नोटिस को लव लेटर बताते हुए फिर से व्यवस्था का मजाक उड़ाने की कोशिश की है।
 
 
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कश्मीर के पहले आईएएस टॉपर अधिकारी शाह फैजल के ट्वीट का समर्थन कर डाला। सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना कर रहे शाह को सही बताते हुए उमर ने बुधवार को ट्वीट किया है। बता दें कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की फैजल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के बाद राज्य प्रशासन ने 2010 के आईएएस टॉपर को नोटिस भेजा है।
 
 
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मैं इस नोटिस को नौकरशाही के अतिउत्साह में आकर उठाए गए मामले के रूप में देखता हूं। वे उस समय की भावना को समझ नहीं पा रहे हैं, जिसमें हम रह रहे हैं। उमर ने कहा कि ऐसा लगता है कि डीओपीटी ने प्रशासनिक सेवाओं से शाह फैजल को निकालने का मन बना लिया है। इस पेज की आखिरी पंक्ति चौंकाने वाली और अस्वीकार्य है जहां वे फैजल की सत्यनिष्ठा और ईमानदारी पर सवाल उठाते हैं। एक व्यंग्यात्मक ट्वीट बेईमानी कैसे है? यह उन्हें भ्रष्ट कैसे बनाता है?
 
 
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले शाह फैसल ने रेप की बढ़ती घटनाओं पर ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था, ‘पैट्रिआर्की $ पॉपुलेशन $ इलिट्रेसी $ अल्कोहल $ पोर्न $ टेक्नोलॉजी $ एनार्की = रेपिस्तान।’बता दें कि केंद्र सरकार ने आईएएस अधिकारी के इस ट्वीट को ऑल इंडिया सर्विसेज (कंडक्ट रूल्स), 1968 और ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिन एंड अपील) रूल्स, 1969 के खिलाफ माना है।
 

 
शाह फैजल इस समय विदेश में स्टडी लीव पर हैं। उन्होंने जीएडी के नोटिस को अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर करते हुए लिखा है कि दक्षिण एशिया में रेप-कल्चर के खिलाफ मेरे कटाक्ष भरे ट्वीट पर मेरे बॉस का लव लेटर आया है। विडम्बना यह है कि लोकतांत्रिक भारत में उपनिवेशवादी भावना के साथ सेवा नियम लागू हैं जो जमीर की स्वतंत्रता को मारते हैं।
 
 
शाह फैजल ने जीएडी की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह अतिउत्साही नौकरशाही के सिवाय कुछ नहीं है। ये वे लोग हैं जो आज भी सेवा नियमों के बरसों पुराने दौर के मुताबिक व्याख्या करते हैं। ये लोग मौजूदा समय जिसमें हम रह रहे हैं, की भावना को नहीं समझते।
 
 
एक अधिकारी होने के नाते मैं नहीं समझता कि मेरे ट्वीट पर किसी तरह की कार्रवाई होनी चाहिए। दुष्कर्म कोई सरकारी नीति तो है नहीं, जिसकी आलोचना या निंदा को सरकारी नीतियों की निंदा माना जाए। अगर यह सरकारी नीति का हिस्सा है तो फिर मैं दोषी हूं, अन्यथा नहीं।