गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Secrets of Amritpal opened from mobile, own firing range for weapons training
Written By
Last Modified: शुक्रवार, 24 मार्च 2023 (22:53 IST)

मोबाइल से खुले अमृतपाल के राज, निजी फायरिंग रेंज में देता था हथियारों की ट्रेनिंग

मोबाइल से खुले अमृतपाल के राज, निजी फायरिंग रेंज में देता था हथियारों की ट्रेनिंग - Secrets of Amritpal opened from mobile, own firing range for weapons training
चंडीगढ़। खालिस्तानी कट्टरपंथी अलगाववादी अमृतपाल सिंह के एक सहयोगी के पास से बरामद एक फोन में ‘खालिस्तान’ के झंडे, प्रतीक और मुद्रा की तस्वीरें मिली हैं और इसमें अमृतपाल की ‘आनंदपुर खालिस्तान फौज’ (एकेएफ) के लिए कथित तौर पर युवकों द्वारा हथियार चलाना सीखने के वीडियो भी हैं।
 
खन्ना जिले में पुलिस द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि आपत्तिजनक सामग्री इस मिलिशिया बल के ‘नापाक मंसूबे’ और ‘पंजाब की शांति और सद्भाव तथा राष्ट्रीय सुरक्षा’ के लिए बड़े खतरे को दर्शाती है। खालिस्तान समर्थक अलगाववादी अमृतपाल अपने और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के बाद से फरार है। उसके कई सहयोगियों को हिरासत में लिया गया है।
 
गोरखा बाबा के फोन से खुला राज : पुलिस ने कहा कि मांगेवाल गांव के तेजिंदर सिंह गिल उर्फ गोरखा बाबा (42) की बुधवार को गिरफ्तारी के बाद जब्त किए गए फोन में झंडे के डिजाइन और ‘खालिस्तान’ के प्रतीक और उसके प्रस्तावित प्रांतों के प्रतीक चिह्न का खुलासा करने वाली तस्वीरें थीं।
 
खन्ना की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अमनीत कोंडल ने कहा कि मोबाइल फोन में ‘10 डॉलर’ के नोट सहित एकेएफ होलोग्राम और खालिस्तान मुद्रा की तस्वीरें भी थीं। एक पाकिस्तानी नागरिक के ड्राइविंग लाइसेंस की तस्वीर भी थी। उन्होंने कहा कि खालिस्तान के झंडे पर कुछ उर्दू शब्द अंकित थे।
 
कार्रवाई शुरू होने से पहले ही, अमृतपाल की तुलना जरनैल सिंह भिंडरावाले से की जाने लगी, जिसके अनुयायियों ने 1980 के दशक में एक अलग सिख राष्ट्र ‘खालिस्तान’ के लिए एक हिंसक अभियान चलाया था। एसएसपी कोंडल ने कहा कि गोरखा बाबा ‘क्लोज प्रोटेक्शन टीम’ का हिस्सा था, जिसे ‘वारिस पंजाब दे’ प्रमुख की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
 
पुलिस के एक बयान में कहा गया है कि गिरफ्तार व्यक्ति एकेएफ का सदस्य था, जिसे अमृतपाल सिंह ने अलग खालिस्तान राष्ट्र के गठन को लेकर सशस्त्र संघर्ष छेड़ने के लिए खड़ा किया था। व्यक्ति विक्रमजीत सिंह खालसा के माध्यम से अमृतपाल सिंह के संपर्क में आया, जिससे वह दिल्ली के बाहरी इलाके में किसान आंदोलन के दौरान मिला था।
 
गोरखा बाबा 5 महीने पहले अमृतसर जिले में उपदेशक के पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा गया था और उसे गनमैन के रूप में शामिल कर लिया गया था। बाबा को एकेएफ निशान वाले हथियार दिए गए और गांव की अस्थायी रेंज में फायरिंग का अभ्यास कराया गया। पुलिस ने कहा कि बाबा पिछले महीने अमृतपाल सिंह के करीब था, जब वह (अमृतपाल) और उसके समर्थकों ने एक गिरफ्तार व्यक्ति की रिहाई के लिए अजनाला थाने पर धावा बोल दिया था।
 
अमृतपाल के वाट्‍सऐप ग्रुप : पुलिस ने कहा कि जांच के दौरान, बाबा ने खुलासा किया कि सभी एकेएफ सदस्यों को शायद उनकी वरिष्ठता या अमृतपाल सिंह से निकटता के आधार पर एकेएफ 3, एकेएफ 56 और एकेएफ 47 जैसे बेल्ट नंबर दिए गए थे। उसके फोन की जांच से पता चला कि दो व्हाट्सएप ग्रुप- ‘एकेएफ’ और ‘अमृतपाल टाइगर फोर्स’ बनाए गए थे।
 
पुलिस ने कहा कि एकेएफ के सदस्यों को वेतन दिया जाता था। पुलिस के अनुसार, इसके सदस्य युवा थे जो ‘वारिस पंजाब दे’ द्वारा संचालित 'नशा मुक्ति केंद्रों’ में आए थे और बाद में उन्हें आग्नेयास्त्रों का प्रशिक्षण दिया गया।
 
पुलिस ने कहा कि एक अन्य सहयोगी गुरभेज सिंह उर्फ भेजा ने दो महीने पहले समूह के लिए 10 बुलेट प्रूफ जैकेट की व्यवस्था की थी, जिन पर एकेएफ लिखा हुआ था। उन्होंने अस्थायी फायरिंग रेंज में समूह के नए शामिल सदस्यों को आग्नेयास्त्रों का प्रशिक्षण भी दिया। (भाषा/वेबदुनिया) 
 
ये भी पढ़ें
इंदौर के वर्तमान स्वरूप को बनाने में अभय जी का अविस्मरणीय योगदान : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान