दिल्ली पुलिस में हूं कहकर तौलिए में जमाई धौंस, महिला पुलिसकर्मी ने काटा चालान
हरिद्वार में तैनात उत्तराखंड की महिला ट्रैफिक पुलिस कर्मी शर्मिला बिष्ट दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टबेल का चालान काटकर सोशल मीडिया में सुर्खियों में आ गई हैं। उनकी चारों तरफ तारीफ हो रही है। उनके साहस और इमानदारी के लिए एसएसपी हरिद्वार ने उन्हें सम्मानित भी किया है।
दरअसल, कुछ दिन पहले हरिद्वार आए दिल्ली पुलिसकर्मी ने अपनी गाड़ी नो पार्किंग एरिया में खड़ी कर दी थी। जब वो वापस लौटे तो ड्यूटी पर तैनात महिला ट्रैफिक पुलिसकर्मी से विवाद करने लगे। दोनों के बीच बहस का ये वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। तौलिए में आए हैड कॉन्सेटबल ने महिला पुलिसकर्मी शर्मिला बिष्ट को धौंस दी कि वे भी दिल्ली पुलिस में है। लेकिन शर्मिला बिष्ट ने सबक सिखाते हुए उनका चालान काट दिया।
इसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद एसएसपी हरिद्वार अजय सिंह द्वारा गुरुवार को एसपी ट्रैफिक रेखा यादव व सीओ ज्वालापुर निहारिका सेमवाल की उपस्थिति में महिला पुलिसकर्मी शर्मिला बिष्ट के काम से खुश होकर उन्हें सम्मानित किया। एसएसपी ने कहा कि नियम सबके लिए बराबर हैं, महिला पुलिसकर्मी ने काम किया वह सराहनीय है।
वायरल वीडियो में एक शरीर पर सफेद रंग का तौलिया लपेटे एक व्यक्ति सड़क पर महिला ट्रैफिक पुलिसकर्मी शर्मिला बिष्ट से बहस करता दिख रहा है। वह खुद को दिल्ली पुलिसकर्मी बताकर महिला पुलिसकर्मी पर धौंस जमाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन महिला पुलिसकर्मी ने उसकी एक नहीं सुनी और सारी हेकड़ी निकालते हुए उसकी कार का चालान काट दिया।
दरअसल, दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल अमित ने अपनी सफेद रंग की कार (DL3CC 6508) से प्रेम नगर आश्रम चौक से ऋषिकुल की तरफ सर्विस लेन पर खड़ी कर दी थी। ट्रैफिक पुलिसकर्मियों द्वारा लगभग आधे घंटे तक लगातार अनाउंसमेंट करने के बाद भी जब गाड़ी नहीं हटी तो क्रेन से उठाने की प्रक्रिया शुरू करने के दौरान गाड़ी मालिक अमित वहां पहुंच गए, लेकिन जब उन्होंने कार का चालान होने की बात सुनी तो उल्टा ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी शर्मिला बिष्ट से ही उलझ पड़े। गुस्से में तमतमाए अमित ने महिला पुलिस कर्मी पर रौब झाड़ने के लिए जैसे ही खुद को दिल्ली पुलिस का जवान बताया तब शर्मिला बिष्ट ने उन्हें नियम-कायदे का पाठ पढ़ाकर चालान थमा दिया। इस दौरान वहां देखने वालों की भीड़ जमा हो गई।
Edited by navin rangiyal