मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Sanitary Pads working women problems menstruation cycle workplace
Last Updated : बुधवार, 17 अप्रैल 2024 (15:11 IST)

महिला अधिकारों की खिल्ली उड़ाती कॉर्पोरेट संस्कृति, वर्कप्लेस में महिलाओं को सेनेटरी पैड तक नहीं मिल रहे

ऑफिसों में महिला की माहवारी के 'उन चार दिनों' में सैनिटरी पैड तक की सुविधा नहीं

Menstrual Cycle
Menstrual Cycle
  • ये कैसे महिला अधिकार, सेनेटरी पैड की अन-उपलब्धता से महिलाओं का स्वास्थ्य और सम्मान खतरे में।
  • सेनेटरी पैड की कमी से महिलाओं को झेलनी पड़ रही शर्मिंदगी।
  • कहीं सेनेटरी पैड मशीन नहीं, तो कहीं हो गई कबाड़।
Menstrual Cycle (पीरियड) एक ऐसा मुद्दा है, जिसकी भारत में आज खुलकर बात तो होती है, लेकिन यह मुद्दा सिर्फ बातों में ही रह गया। एक महिला की माहवारी (Menstrual Cycle) के 'उन चार दिनों' में बेहद जरूरी सेनेटरी पैड का क्‍या महत्‍व होता है यह सिर्फ एक महिला ही समझ सकती है, स्वर्णिम भारत के सपने को साकार करने में कंधे से कंधा मिलाकर जुटी 'नारी शक्‍ति' को अक्सर सेनेटरी पैड की कमी या अन-उपलब्धता से जूझना पड़ रहा है। ALSO READ: Sanitary Pad: महिलाओं के 'उन दिनों' की राहत बन रही पर्यावरण की आफत, सैनिटरी पैड डीकंपोज होने में लगते हैं 800 साल
 
Center for Monitoring the Indian Economy (CMIE) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 39 मिलियन से भी ज्यादा महिलाएं वर्कफोर्स में काम करती हैं या जॉब सर्च कर रही हैं। इतनी संख्या होने के बाद भी कई महिलाओं को उनके ऑफिस, वर्कप्लेस में या पब्‍लिक प्‍लेसेस में सैनिटरी पैड जैसी ज़रूरी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। जब इस कम चर्चित लेकिन बेहद जरूरी मुद्दे पर हमने पड़ताल शुरू की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। 
 
इसकी शुरूआत हमने अपसे शहर इंदौर, (देश की सबसे क्लीन सिटी) से की, यहां भी मल्‍टीनेशल कंपनियों का दम भरने वाले ऑफिसों में उनके यहां काम करने वाली लडकियों और महिलाओं के लिए सबसे जरूरी सैनिटरी पैड तक की सुविधा नहीं है। ALSO READ: पीरियड के दर्द से घबराकर 14 साल की लड़की ने की खुदकुशी! जानें कितना खतरनाक होता है पीरियड पेन
Menstrual Cycle
इंदौर के 20 ऑफिसों में वेबदुनिया ने पड़ताल की तो इनमें से सिर्फ 8 में ही सेनेटरी पैड की सुविधा देखने को मिली। हमने एक बानगी के लिए सिर्फ 20 कार्यालयों में ही यह पड़ताल की, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि तेजी से कॉर्पोरेट कल्‍चर की तरफ बढ़ते और मेट्रो सिटी में बदलते इंदौर के बाकी हजारों ऑफिसों में सेनेटरी पैड को लेकर क्‍या आलम होगा। 
 
इतना ही नहीं, वेबदुनिया ने दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई से लेकर भोपाल जैसे तमाम शहरों में इस सुविधा को लेकर पड़ताल की तो हैरान करने वाली सचाई सामने आई। इन शहरों में भी महिलाओं के उन दिनों की इस तकलीफ को महसूस करने के लिए कोई नहीं था। हैरान करने वाली सचाई है कि 'महिलाओं के मन की बात' कोई क्यों नहीं करता है।  
 
बड़े-बड़े कॉर्पोरेट ऑफिसों में नहीं सैनिटरी सुविधा :
हैरान करने वाला तथ्‍य है कि इन 20 ऑफिसों में से सिर्फ 8 में ही महिलाओं और वर्किंग वुमन के लिए सैनिटरी पैड या उसकी वेंडिंग मशीन की सुविधा उपलब्ध थी। दिलचस्‍प है कि इनमें से सिर्फ 6 ऑफिस ही ऐसे हैं, जिनमें वेंडिंग मशीन ठीक से काम कर रही हैं। बाकी जगहों पर मशीनें कबाड़ हो चुकी हैं या तो हैं ही नहीं।
 
पीरियड के दर्द के कारण मेडिकल शॉप जाना मुश्किल:
एक मल्‍टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली नंदिनी करोसिया ने हमें बताया- 'मैं इंदौर में 3 कंपनियों में काम कर चुकी हूं जिसमें से एक भी कंपनी में मुझे सैनिटरी पैड की सुविधा नहीं मिली है। एक बार मुझे ऑफिस में पीरियड आए थे और दर्द के कारण मैं मेडिकल शॉप भी बहुत मुश्किल से गई। मेडिकल पर पैड आसानी से मिल जाते हैं लेकिन इतने दर्द में वहां तक जाना मुश्किल होता है।' मेरी जैसी कई महिलाएं इस बेहद भयावह स्‍थिति से गुजरती हैं।
Menstrual Cycle
स्ट्रेस के कारण अंसर्टन होती है माहवारी:
वर्किंग वुमन ज्योति भाटिया ने बताया कि 'ऑफिस में काम का बहुत ज्यादा स्ट्रेस होता है। इस स्ट्रेस के कारण पीरियड की डेट भी अनियमित होती है और कभी भी आ जाती हैं। ऐसे में हर बार पीरियड के लिए तैयार रहना मुश्किल है। साथ ही दर्द और कमजोरी के कारण किसी मेडिकल स्टोर से पैड लाना भी मुश्किल होता है। हालांकि कई निजी ऑफिस में तो फिर भी सैनिटरी पैड उपलब्ध रहते हैं लेकिन सरकारी ऑफिस में महिलाओं के लिए इस बेहद जरूरी सुविधा और हाइजीन की व्‍यवस्‍था बहुत खराब हालत में है।'
 
दोस्तों से मांगना पडता है 'सम्मान के लिए सामान':
बहुत हैरान करने वाला सच है कि यह पीड़ा किसी एक दो या तीन महिलाओं की नहीं है,बल्‍कि हर दूसरी लड़की और महिला इस भयावह सच से गुजर रही है। नवनी गंधे की भी यही कहानी है। नवनी ने हमें बताया कि 'मेरे ऑफिस में पैड न होने के कारण मुझे परेशान होना पड़ा। ऐसे में ऑफिस का सारा काम छोड़कर मैंने अपने दोस्तों से सैनिटरी पैड के लिए पूछा, फिर एक दोस्त ने मुझे सैनिटरी पैड दिया।' यह मेरे लिए बहुत शर्मिंदा होने वाली बात थी, हालांकि एक महिला होने के नाते मेरी साथी ने मेरे दर्द को महसूस किया। 
 
दर्शना मौर्या ने बताया कि मैं मीडिया कपंनी में काम करती हूं और तमाम लोगों की आवाज उठाती हूं। अब तक इंदौर की दो मीडिया कंपनियों में काम कर चुकी हूं, लेकिन वहां सैनिटरी पैड की कोई सुविधा नहीं थी। ऐसे हालातों से बचने के लिए मैं हमेशा अपने साथ सैनिटरी पैड लेकर चलती हूं।'
Menstrual Cycle
चिल्लर की चिक-चिक:
दृष्टि राठौर ने कहा कि 'मेरे ऑफिस में सैनिटरी पैड की मशीन तो है लेकिन मशीन से पैड एक्‍सेस करने के लिए 5 रुपए का सिक्‍का डालना होता है, इन दिनों पांच रुपए का सिक्‍का कहां मिलता है, ऐसे में सुविधा होते हुए भी उसका फायदा नहीं मिल पाता है। पीरियड वाली स्‍थिति में हमें 5 का सिक्का ढूंढना बहुत मुश्किल है। दुखद तो यह है कि कई बार मशीन में पैड भी नहीं होते हैं। इसलिए लिए डिजिटल मशीन या ऑनलाइन पेमेंट के लिए QR Code का इस्तेमाल करना चाहिए। 
 
मुस्कान बंधी ने कहा कि 'मेरे ऑफिस में सैनिटरी पैड मौजूद होते हैं और अगर आपके ऑफिस में महिलाएं काम कर रही हैं तो यह ज़रूरी सुविधा है जो हर ऑफिस वालों को देना चाहिए।
 
मुंबई और अहमदाबाद की MNC में आसानी से मिलते हैं सैनिटरी पैड:
मुंबई, अहमदाबाद, भोपाल जैसे शहरों में कई MNC कंपनियां यह सुविधाएं मुहैया करवाती हैं। वहां काम करने वाल वर्किंग वुमेन यशी श्रीवास्तव और नाज़ प्रवीण ने बताया कि उनकी कंपनी में सैनिटरी पैड की मशीन उपलब्ध रहती हैं। लेकिन इंदौर में आज भी कई ऑफिस में इसकी सुविधा नहीं दी जा रही है।
Menstrual Cycle
सरकारी स्कूल और हॉस्टल में फ्री तो प्राइवेट कंपनी में क्यों नहीं?
भारतीय ग्रामीण महिला संघ की डायरेक्टर अंजलि अग्रवाल ने कहा कि भारत में इसके लिए कोई नियम नहीं है और न ही यह किसी ऑफिस के लिए ज़रूरी है। लेकिन अगर ऑफिस में महिलाएं काम कर रही हैं तो इसके लिए उन्‍हें जागरूक होना ज़रूरी है। हम सरकारी स्कूल और हॉस्टल में फ्री में सैनिटरी पैड देते हैं। साथ ही स्कूल और कॉलेज में वेंडिंग मशीन भी होती है। प्राइवेट ऑफिस में भी महिलाओं के लिए यह सुविधा होनी चाहिए। 
 
सैनिटरी प्रोडक्ट के लिए हर महिला की चॉइस अलग है:
विभावरी, समाजसेवी संस्था की कार्यकर्ता, सोनल शर्मा
ने बताया कि 'ऑफिस में अक्सर महिलाएं अपना पैड ही लेकर चलती हैं। मुझे नहीं लगता है कि ऑफिस में सैनिटरी पैड होना ज़रूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर महिला को अलग-अलग सैनिटरी पैड की ज़रूरत है। ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने साथ हमेशा सैनिटरी पैड रखें।
 
दुनिया का पहला देश जहां सैनिटरी प्रोडक्ट फ्री:
स्कॉटलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां सैनिटरी प्रोडक्ट फ्री में दिए जाते हैं। 2018 में स्कॉटलैंड ने इस विषय पर सर्वे कंडक्ट किया जिसमें सामने आया कि 4 में से 1 महिला सैनिटरी प्रोडक्ट के लिए परेशान होती है। साथ ही 64 प्रतिशत लड़कियां पीरियड के कारण स्कूल नहीं जाती हैं। इस कारण से स्कॉटलैंड ने 2020 में फ्री पीरियड प्रोडक्ट्स बिल पास किया। इसके अलावा न्यू जीलैंड, विक्टोरिया, न्यू यॉर्क जैसे 20 देश फ्री सैनिटरी प्रोडक्ट देते हैं। 
Menstrual Cycle
देश के सबसे स्‍वच्‍छ शहर में क्‍यों नहीं अवेयरनेस :
इंदौर देश का सबसे स्‍वच्‍छ शहर है,लेकिन न सिर्फ इंदौर बल्कि देश के कई शहरों में पीरियड को लेकर जागरूकता अभी भी कम है। ऐसे में ग्रामीण एरिया या छोटे शहरों में काम करने वाली महिलाएं वर्कप्लेस पर ज्यादा स्ट्रगल करती हैं। इसके लिए कोई नियम होना ज़रूरी नहीं है। आपके फीमेल एम्प्लोयी के लिए ऑफिस में फ्री सैनिटरी पैड होना चाहिए जो इमरजेंसी के समय काम आ सके। 
 
सबसे बड़ा सवाल है कि क्या महिला अधिकारों का सिर्फ दिखावा है? अधिकांश वर्कप्लेस में महिलाओं को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही है। Menstrual Cycle पर महिलाओं के मन की बात आखिर कब कोई करेगा। यदि आप भी ऐसी ही किसी समस्या से दो-चार हुए है या ऐसी और रिपोर्ट्स पढ़ना चाहते हैं तो हमें [email protected] पर लिखें या हमारे फेसबुक-ट्विटर पर हमें मैसेज करें।