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मुंबई के मालवणी इलाके में किशोरी ने पीरियड के दर्द के कारण खुदखुशी कर ली।
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इसका कारण किशोरी की पीरियड की कम और गलत जानकारी बताया जा रहा है।
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भारत में आज भी पीरियड को हेल्दी और नेचुरल प्रोसेस की जगह टैबू माना जाता है।
Periods Pain: मुंबई के मालवणी इलाके में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जिसमें एक 14 की लड़की ने पहले पीरियड के दर्द से परेशान होकर खुदकुशी कर ली। पीरियड के दर्द के कारण लड़की इतनी तनाव में आ गई कि उसने घर में पंखे से दुपट्टे का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। यह मामला 26 मार्च देर शाम का है। खुदकुशी का कारण मृतक लड़की की पीरियड से संबंधित कम और गलत जानकारी से हुआ तनाव बताया जा रहा है।
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मुंबई पुलिस के अनुसार, किशोरी अपने परिवार के साथ मालवणी के लक्ष्मी चॉल में रहती थी। 26 मार्च की शाम किशोरी घर पर अकेली थी। किशोरी के पड़ोसियों और रिश्तेदारों को खुदकुशी की खबर रात 9 बजे लगी। इसके बाद उन्होंने उसे कांदिवली के सरकारी अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टर्स ने लड़की को मृत घोषित कर दिया। पीरियड की समस्या सबको आम लगती है लेकिन इससे होने वाला दर्द बर्दाश्त से बहार होता है। यह पहला मामला नहीं है जिसमें लड़की ने पीरियड के दर्द के कारण खुदखुसी की हो।
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12 साल की लड़की ने पीरियड से शर्मिंदा होकर खुदखुशी की:
पहले भी ऐसा मामला 2017 में तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में सामने आया था। जिसमें एक 12 साल की लड़की ने पहले पीरियड से शर्मसार होकर खुदकुशी की थी। खुदकुशी का कारण किशोरी की टीचर थीं जिसने पीरियड के खून को देखकर किशोरी को अपमानित किया। भारत में आज भी कई किशोरियों को पीरियड के कारण अपवित्र और तमाम तरह के नामों ने अपमानित किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में पीरियड को हेल्दी और नेचुरल प्रोसेस की जगह टैबू माना जाता है।
16 साल की लड़की की पीरियड के दर्द के कारण मौत:
पीरियड का दर्द लड़कियों की जान भी ले सकता है। दिसंबर 2023 को संयुक्त राष्ट्र में ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला सामने आया था। जिसमें 16 साल की एक लड़की की पीरियड के दर्द के कारण मौत हो गई। लड़की ने पीरियड के दर्द को कम करने के लिए कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सेवन किया। दवाई लेने के 48 घंटे बाद लड़की की मौत हो गई।
क्या होते हैं पीरियड और क्यों होती है ब्लीडिंग?
पीरियड एक साधारण और हेल्दी प्रोसेस है। इसमें हर महीने 4 से 8 दिन तक महिलाओं की वजाइना से ब्लीडिंग होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर महीने महिला का शरीर प्रेगनेंसी के लिए तैयार होता है। पीरियड में हार्मोन एक अहम भूमिका निभाते हैं। ये हार्मोन आपके यूटेरस (गर्भाशय) की परत को मोटा कर देते हैं।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अगर प्रेगनेंसी हो, तो एक अंडा आपके यूटेरस की परत में इम्प्लांट हो सके। हार्मोन आपके ओवरी से अंडाणु (ओव्यूलेशन) जारी करते हैं। अंडा आपके फैलोपियन ट्यूब में नीचे चला जाता है, जहां वह स्पर्म की प्रतीक्षा करता है। यदि कोई स्पर्म उस अंडे को नहीं मिलता तो प्रेगनेंसी नहीं होती है। इस कारण से गर्भाशय की परत टूट जाती है और गिर जाती है। फिर वजाइना से ब्लीडिंग होने लगती है।
लड़कियों में पीरियड कब से शुरू होते हैं?
पीरियड को हिंदी में मासिक धर्म कहा जाता है। हर महीने महिलाओं को 4 से 8 दिन तक पीरियड होते हैं। यह मेंस्ट्रुअल साइकिल 28 से 38 तक की होती है। किशोरियों में 12 साल की उम्र से ही पीरियड आना शुरू हो जाते हैं। हालांकि लड़की के हार्मोनल बदलाव के कारण पीरियड 12 साल की उम्र से पहले या बाद में भी आ सकते हैं। इसके साथ ही महिलाओं की पीरियड साइकिल भी उनकी बॉडी और हार्मोन पर निर्भर करती है।
पीरियड के दर्द का कारण और खतरा:
पीरियड में दर्द होने के कई कारण हैं। हालांकि मुख्य कारण यूटेरस के मसल्स का सिकुड़ना होता है। इस कारण से prostaglandins नामक हार्मोन रिलीज़ होता है जो दर्द का मुख्य कारण है। इस हार्मोन का लेवल जितना ज्यादा होगा उतना ही दर्द होगा। पीरियड का दर्द हार्मोनल बदलाव पर भी निर्भर करता है। गलत खान-पान और आदतों के कारण हार्मोन में परिवर्तन होता है जिससे दर्द की समस्या बढ़ जाती है। यह दर्द सिर्फ पेट में नहीं बल्कि सबसे ज्यादा कमर के निचले भाग में होता है। इसके साथ ही पैर के पंजे, वजाइनल एरिया पेन, ब्रैस्ट पैन और सिर दर्द भी होता है।
पीरियड में दर्द के साथ होती हैं ये समस्याएं:
साथ ही कुछ महिलाओं को पीरियड में बिलकुल दर्द नहीं होता वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं को इतना दर्द होता है कि उन्हें दवाइयों की ज़रूरत पड़ती है। दर्द के साथ उल्टी, दस्त, चक्कर, कमजोरी, मूड स्विंग्स और यहां तक की बुखार की समस्या भी होती है। मूड स्विंग्स भी महिलाओं में कम या ज्यादा होते हैं। इन मूड स्विंग्स के कारण महिलाओं का रूटीन, रिलेशनशिप, आत्म सम्मान और फूड हैबिट प्रभावित होती हैं।
पीरियड के दर्द को कम करने के लिए सरल उपाय:
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पीरियड का दर्द होने पर गर्म सिकाई करें। आप हॉट पैच या प्लास्टिक बोतल में गर्म पानी भरकर पेट की सिकाई कर सकते हैं।
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मस्कुलर पीरियड क्रैम्प्स में को कम करने के लिए कुछ सरल योगासन करना भी बहुत लाभकारी होता है। आप सुबह बटरफ्लाई आसान या चाइल्ड पोज कर सकती हैं।
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पानी की कमी से पीरियड का दर्द और भी बढ़ जाता है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें। साथ ही फल और जूस का सेवन करें।
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केला, पपीता या तरबूज खाना भी पीरियड के लिए बहुत लाभकारी है। यह पीरियड के मूड स्विंग्स और क्रेविंग को कम करता है। साथ ही दर्द से रिलीफ देता है।
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हर्बल चाय जैसे लैवेंडर और पुदीने का मिश्रण पीने से पीरियड में ऐंठन और दर्द की समस्या कम होती है। साथ ही बिना दूध की अदरक चाय भी लाभकारी है।
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पीरियड में पैर या कमर दर्द होने पर आप गर्म पानी में 10 मिनट तक पैर डालकर बैठें। ऐसा करने से आपका बॉडी पैन कम होगा और सिर दर्द से भी राहत मिलेगी।
पीरियड एक हेल्दी और नेचुरल प्रोसेस है। इसकी सही जानकारी के लिए आप अपने घर के सदस्य या टीचर से बात करें। हर महिला की बॉडी अलग है इसलिए पीरियड में होने वाली समस्या भी सभी महिलाओं की अलग हो सकती है। हालांकि बहुत ज्यादा दर्द होने पर आपको डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए। गंभीर दर्द PCOS या PCOD का कारण भी हो सकता है।