भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. संजय द्विवेदी ने मीडिया के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि भारत एक अनोखा राष्ट्र है, जिसका निर्माण विविध भाषा, संस्कृति, धर्म, अहिंसा और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित स्वतंत्रता संग्राम तथा सांस्कृतिक विकास के समृद्ध इतिहास द्वारा एकता के सूत्र में बांध कर हुआ है।
एक साझा इतिहास के बीच आपसी समझ की भावना ने विविधता में एक विशेष एकता को सक्षम किया है, जो भारतबोध की एक लौ के रूप में सामने आती है, जिसे भविष्य में पोषित और अभिलाषित करने की आवश्यकता है।
समाचार पत्रों का, मीडिया का काम समाचार पहुंचाना है, लोक शिक्षा का है, समाज और सरकार में कुछ कमियां हैं तो उनको सामने लाने का है। मीडिया का जितना अधिकार आलोचना का है, उतना ही बड़ा दायित्व सकारात्मक खबरों को सामने लाने का भी है। बीते वर्षों में मीडिया के एक बड़े वर्ग ने राष्ट्रहित से जुड़े, समाज हित से जुड़े अभियानों को बढ़-चढ़कर अपनाया है, उसका सकारात्मक प्रभाव आज देश अनुभव कर रहा है।
स्वच्छ भारत अभियान से अगर देश के गांव और गरीब का जीवन, उसका स्वास्थ्य बेहतर हो रहा है, तो इसमें मीडिया के लोगों ने भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई है, बल्कि मैं कहूंगा प्रशंसनीय भूमिका निभाई है। आज भारत अगर डिजिटल पेमेंट्स के मामले में दुनिया में अग्रणी है, तो लोक शिक्षा का जो अभियान मीडिया ने चलाया, उससे देश की मदद हुई। आपको यह जानकर खुशी होगी, डिजिटल लेनदेन में दुनिया का 40% कारोबार अकेला हिन्दुस्तान करता है।
बीते 3 वर्षों में कोरोना काल के दौरान जिस प्रकार हमारे पत्रकार साथियों ने राष्ट्रहित में एक कर्मयोगी की तरह काम किया, उसको भी हमेशा याद किया जाएगा। भारत के मीडिया के सकारात्मक योगदान से भारत को 100 साल के इस सबसे बड़े संकट से निपटने में बहुत मदद मिली। मीडिया इस देश की विविधता और बहुलता को व्यक्त करते हुए इसमें एकत्व के सूत्र निकाल सकता है।
हमारे देश की ताकत यह है कि हम संकट के समय में जल्दी एकजुट हो जाते हैं। लेकिन संकट टलते ही वह भाव नहीं रहता। हमें इस बात को लोगों के मनों में स्थापित करना है कि वे हर स्थिति में साथ हैं और अच्छे दिनों में साथ मिलकर चल सकते हैं। यही एकात्म भाव है। यही जुड़ाव जिसे जगाने की जरूरत है।
ये देश डिबेट और डिस्कशन्स के माध्यमों से आगे बढ़ने वाली समृद्ध परिपाटी का देश है। हजारों वर्षों से हमने स्वस्थ बहस को, स्वस्थ आलोचना को, सही तर्क को सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा बनाया है। हमने बहुत कठिन सामाजिक विषयों पर भी खुलकर स्वस्थ चर्चा की है। यही भारत की परिपाटी रही है, जिसको हमें सशक्त करना है।
अमृतकाल हमें एक मजबूत, विकसित और समावेशी भारत बनाने की दिशा में काम करने का अवसर दे रहा है। किसी भी देश के विकास के लिए अच्छी नीतियां बनाना एक पहलू है। लेकिन, नीतियों को सफल बनाने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि बड़े पैमाने पर परिवर्तन हो, समाज के सभी क्षेत्रों से सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होती है। इसके लिए मीडिया एक अहम भूमिका निभाता है।
Edited by navin rangiyal