मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Restaurant for vultures, eagles and crows at Kanpur zoo!
Written By
Last Updated : शनिवार, 14 अप्रैल 2018 (15:43 IST)

कानपुर में गिद्धों, चीलों के लिए रेस्‍टोरेंट

कानपुर में गिद्धों, चीलों के लिए रेस्‍टोरेंट - Restaurant for vultures, eagles and crows at Kanpur zoo!
कानपुर । इस शहर में गिद्धों और चीलों के लिए रेस्‍टोरेंट बना है जहां गिद्ध और चील खाना खाते हैं। शहर के चिड़ियाघर में बने इस रेस्टोरेंट का नाम रैप्टर्स रेस्टोरेंट है।
 
कानपुर जूलॉजिकल पार्क में एक खुला 'रैप्टर्स रेस्तरां' विकसित किया गया है जिससे दो उद्देश्‍यों की पूर्ति होती है। एक तो मरने वाले जानवरों के शवों से गंदगी फैलने से बच जाती है और उनके उपयोग से गिद्ध और चील जैसी लुप्‍तप्राय प्रजातियों का संरक्षण होता है। इसका मुख्य उद्देश्य चिड़ियाघर में एक साथ अच्छी संख्या में गिद्धों व चीलों को बुलाना ही है। 
 
चिडि़याघर के चिकित्सकों का कहना है कि देश में गिद्धों की संख्या बहुत तेजी से कम हो रही है, इसलिए इनका संरक्षण किया जाना जरूरी हो गया है। ये खास रेस्‍टोरेंट चारों ओर पेड़ों से घिरा और बीच में लकड़ी की टहनियां लगा कर खुले आसमान के नीचे बनाया गया है। 
 
जहां गिद्ध, चील व अन्य शिकार करने वाले पक्षियों को ठहरने की सुविधा मिलती है। जू के सफारी एरिया में रेस्टोरेंट का स्थान तैयार किया गया है जिसके चारों ओर पेड़ लगे हैं। ऊपरी हिस्सा पूरी तरह खुला है। बीच-बीच में लकड़ी की मोटी टहनियां रखी गई हैं। जिन पर गिद्ध और चील आराम से बैठ सकते हैं। वे केवल मांस खाकर उड़ न जाएं, इसलिए पास ही छोटा सा तालाब भी बनाया गया है।
 
प्राणी उद्यान के चिकित्सा विभाग का कहना है कि पहले यहां अलग-अलग चार क्षेत्रों में मांस के टुकड़े डाले जाते थे। इससे दुर्गंध व संक्रमण फैलने का खतरा रहता था। साथ ही, बारिश के समय दिक्कतें बढ़ जाती थीं लेकिन, रेस्टोरेंट की व्यवस्था के बाद संक्रमण और गंदगी की समस्या से भी छुटकारा मिल गया है। वैसे चिड़ियाघर में आने वाले गिद्ध, कोल गिद्ध और दुर्लभ प्रजाति के ग्रिफॉन का संरक्षण करना उद्यान की प्राथमिकता है। 
 
जूलॉजिकल पार्क के निदेशक दीपक कुमार का कहना हैं कि जंगल सफारी के कोने पर चबूतरे की तरह खुला स्थान है जिसके आसपास चारों ओर से दीवार बनाई गई है। अंदर मांस के टुकड़े डाल दिए जाते हैं और इसकी ऊपरी सतह भी खुली है ताकि चिड़ियाघर में आने वाले गिद्ध, चील, शिकरा आदि खाना खाने के बहाने यहां आएं, नेस्टिंग करें और यहां रहने लगें।
ये भी पढ़ें
मुस्लिमों की कॉलोनियां अलग क्यों..?