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Last Updated :नई दिल्ली , मंगलवार, 6 मई 2025 (17:36 IST)

जाति आरक्षण Train Compartment जैसा, जो लोग इसमें चढ़ गए.... सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की तीखी टिप्पणी

उन्होंने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है।

Supreme court
आरक्षण को लेकर देश में लगातार बहस जारी है। राजनीतिक पार्टियां इसे वोट के लिए इस्तेमाल करती आई हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज और भावी सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत की आरक्षण को लेकर तीखी टिप्पणी आई है। उन्होंने कहा कि देश में जाति आधारित आरक्षण ट्रेन के डिब्बे की तरह हो गया है, जो लोग इस डिब्बे में चढ़ते हैं, वे दूसरों को अंदर नहीं आने देना चाहते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि क्योंकि मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना की बात कही है। 
क्या है पूरा मामला
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव आखिरी बार 2016-2017 में हुए थे। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों के लिए कोटा को लेकर कानूनी लड़ाई में पदों पर देरी का मुख्य कारण। 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत कोटा लागू करने के महाराष्ट्र सरकार के अध्यादेश को खारिज कर दिया। अदालत ने तीन गुना परीक्षण निर्धारित किया: (1) राज्य के स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थों की समसामयिक कठोर अनुभवजन्य जांच करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन करना, (2) आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकायवार प्रावधान किए जाने वाले आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, (3) एससी/एसटी/ओबीसी के लिए कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। तब से, डेटा संग्रह और मुकदमेबाजी में देरी ने राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव कराने के प्रयासों को रोक दिया है। 
 
स्थानीय निकाय चुनाव में डेटा का उपयोग नहीं 
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने अदालत को बताया कि परिसीमन के दौरान ओबीसी की पहचान के बावजूद, महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव के लिए डेटा का उपयोग नहीं कर रहा है। उन्होंने स्थानीय निकायों के लिए जल्द ही चुनाव कराने की आवश्यकता पर बल दिया और आरोप लगाया कि राज्य सरकार चुनिंदा अधिकारियों के माध्यम से स्थानीय निकायों को एकतरफा चला रही है। इसी मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत से कहा कि आरक्षण के उद्देश्य से ओबीसी के भीतर राजनीतिक रूप से पिछड़े और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान की जानी चाहिए।
क्या कहा जस्टिस सूर्यकांत ने 
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने तब कहा कि देश में आरक्षण रेलगाड़ी के डिब्बों की तरह हो गया है, जो लोग इसमें चढ़ गए हैं वे दूसरों को नहीं आने देना चाहते। यह समावेशिता का सिद्धांत है। सरकारें अधिक वर्गों की पहचान करने के लिए बाध्य हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित लोग हैं। उन्हें (आरक्षण का) लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए? केवल कुछ परिवारों और समूहों को ही इसका लाभ मिल रहा है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई बाद में दिन में फिर से करेगी।
क्या हैं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश 
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को 4 हफ्तों के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है। दो-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के मुद्दे के कारण और अधिक विलंबित नहीं हो सकते। ओबीसी समुदायों को 2022 की रिपोर्ट से पहले राज्य में मौजूद आरक्षण दिया जाएगा। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव 2016-17 में हुए थे, और देरी का मुख्य कारण ओबीसी उम्मीदवारों के कोटे पर कानूनी लड़ाई थी। इनपुट एजेंसियां Edited by: Sudhir Sharma
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