नई दिल्ली/ पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। उनके एक करीबी सहयोगी ने यह जानकारी दी।
एम्स में इलाज के दौरान रघुवंशप्रसाद सिंह के साथ रहे केदार यादव ने फोन पर बताया कि सिंह का सुबह करीब 11 बजे सांस लेने में कठिनाई और अन्य जटिलताओं के कारण निधन हो गया।
यादव ने बताया कि सिंह के परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री हैं। सिंह की पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है। उन्होंने कहा कि सिंह (74) का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए पटना लाया जाएगा। यादव के अनुसार सिंह शुक्रवार रात को गंभीर रूप से बीमार हो गए थे और उन्हें एम्स के आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था।
इससे पहले जून में सिंह को कोरोनावायरस संक्रमित पाया गया था और उन्हें पटना के एम्स में भर्ती कराया गया था। कोविड-19 से उबरने के बाद की जटिलताओं को देखते हुए उन्हें हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी के एम्स में भर्ती कराया गया था।
डॉ. सिंह ने दिल्ली में एम्स से ही 10 सितंबर को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा देने की घोषण की थी। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था- जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा लेकिन अब नहीं। पार्टी नेता और आम जनों ने बड़ा स्नेह दिया, मुझे क्षमा करें।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने डॉ. सिंह को मनाने के लिए जेल से गुरुवार को ही भावनात्मक चिट्ठी लिखकर चार दशक पुराने संबंधों का हवाला देते हुए पूरे अधिकार के साथ कहा था कि चार दशकों में हमने हर राजनीतिक, सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक मामलों में मिल-बैठकर ही विचार किया है। आप जल्द स्वस्थ हों, फिर बैठ के बात करेंगे। आप कहीं नहीं जा रहे हैं, समझ लीजिए। आपका लालू प्रसाद।
गौरतलब है कि पूर्व सांसद रामा सिंह को राजद में लाए जाने की चर्चा के बाद से ही डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह नाराज थे। लालू प्रसाद यादव ने भी उन्हें मनाने की कोशिश की, इसी बीच यादव के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव ने डॉ. सिंह को लेकर विवादास्पद बयान दे दिया था कि ‘समुद्र से एक लोटा पानी निकल जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता।’
ऐसा समझा जाता है कि डॉ. सिंह इससे काफी क्षुब्ध थे और अपमानित महसूस कर रहे थे। अंत में उन्होंने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया। समाजवादी नेता डॉ. सिंह ने बिहार के वैशाली लोकसभा क्षेत्र का कई बार प्रतिनिधित्व किया।
06 जून 1946 को वैशाली जिले के शाहपुर में जन्मे डॉ. सिंह ने बिहार विश्वविद्यालय से गणित में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्हें ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के बारे में महारथ हासिल था।
युवावस्था में उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए आंदोलनों में भाग लिया। वर्ष 1973 में उन्हें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का सचिव बनाया गया।
1977 से 1990 तक वे बिहार से राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वर्ष 1977 से 1979 तक वे बिहार के ऊर्जा मंत्री रहे। इसके बाद उन्हें लोकदल का अध्यक्ष बनाया गया।
वर्ष 1985 से 1990 के दौरान वे लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे। लोकसभा के सदस्य के रूप में उनका पहला कार्यकाल वर्ष 1996 से प्रारंभ हुआ। वे 1996 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए। लोकसभा में दूसरी बार वे 1998 में निर्वाचित हुए तथा 1999 में तीसरी बार लोकसभा के सदस्य बने।
डॉ. सिंह इस कार्यकाल में गृह मामलों की समिति के सदस्य रहे। उन्हें वर्ष 2004 में चौथी बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया। वेे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के मनमोहन सिंह सरकार में 23 मई 2004 से 2009 तक वे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे।
इस कार्यकाल में उन्हें लोक कल्याणकारी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की परिकल्पना और उसे लागू करने का श्रेय प्राप्त है। इसके बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पांचवीं बार जीत दर्ज की। वे पांच बार लोकसभा सदस्य और तीन बार केंद्रीय मंत्री रहे।