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Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क
Last Updated :भोपाल , रविवार, 18 जून 2023 (15:44 IST)

मध्यप्रदेश में 1 जुलाई से खुलेंगे पांचवीं तक के स्कूल, फैसले पर उठे सवाल

मध्यप्रदेश में 1 जुलाई से खुलेंगे पांचवीं तक के स्कूल, फैसले पर उठे सवाल - Questions raised on decision not to open school due to heat in Madhya Pradesh
  • 30 जून तक बंद रहेंगे कक्षा 1 से 5 तक के प्राथमिक विद्यालय
  • बार-बार स्कूल खोलने की तारीख में बदलाव से शिक्षक और पालक नाराज
  • भीषण गर्मी के चलते छुट्टी बढ़ाने पर उठे सवाल
भोपाल। मध्य प्रदेश में 20 जून से स्कूलों को खोलने के निर्णय में एक बार फिर बदलाव कर दिया गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने स्कूल खोलने के निर्णय में बदलाव की जानकारी देते हुए कहा कि भीषण गर्मी और तापमान में वृद्धि से विद्यार्थियों के स्वास्थ्य में प्रतिकूल प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए ग्रीष्मावकाश को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

कक्षा 1 से 5 तक के विद्यालय 1 जुलाई 2023 को खुलेंगे और कक्षा 6 से 12वीं तक के विद्यालयों में कक्षाएं 20 जून से 30 जून तक सुबह की पाली (मॉर्निंग शिफ्ट) में संचालित होंगी। कक्षा पांचवींं की परीक्षाएं निर्धारित समय सारणी के अनुसार होंगी। 1 जुलाई 2023 से सभी विद्यालय नियमित समय सारणी के अनुसार संचालित होंगे।

भीषण गर्मी के चलते छुट्टी बढ़ाने पर सवाल? : स्कूल शिक्षा मंत्री ने भीषण गर्मी के चलते स्कूल नहीं खोलने का तर्क दिया है, जो अपने आप सवालों के घेरे में है। मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में मौसम विभाग ने अगले चार दिन (22 जून) तक बारिश होने का अनुमान जाताया है। वहीं मौसम विभाग ने प्रदेश में 23-25 जून के बीच मानसून की एंट्री की संभावना जताई है।

मौसम विज्ञानी परमेंद्र कुमार के मुताबिक 23 से 25 जून के बीच मध्य प्रदेश में मानसून की एंट्री हो सकती है। ऐसे में अब जब प्री मानूसन एक्टिविटी होने से गर्मी के तेवर में कमी है तब गर्मी के चलते स्कूल नहीं खोलने के निर्णय अपने आप सवालों के घेरे में है।
 
पेरेंट्स ने भी फैसले पर उठाए सवाल? : सरकार के स्कूल बंद करने के फैसले पर पेरेंट्स भी सवाल उठा रहे हैं। राजधानी के बागमुगालिया इलाके में रहने वाली शिखा कहती हैं कि सरकार ने भले ही स्कूलों को बंद करने का फैसला कर लिया हो लेकिन जुलाई में उनके बेटे के एग्जाम पहले से ही शेड्यूल में है, ऐसे में स्कूल खुलते ही बच्चों को स्कूल एग्जाम का सामना करना पड़ेगा, जिससे बच्चों पर प्रेशर बढ़ेगा।

वहीं भोपाल में बीडीए कॉलोनी में रहने वाले योगेश, जिनका बेटा पांचवीं  क्लास में पढ़ता है, वह कहते हैं कि सरकार ने पहले ही पांचवीं तक के एग्जाम बोर्ड पैटर्न पर लेना शुरू कर दिए हैं  और इस साल जिस तरह से 5वीं बोर्ड के नतीजे आए हैं, उससे बच्चों पर दबाव बढ़ गया है। ऐसे में स्कूल देरी से खोलने पर बच्चों पर दबाव बनेगा।   
वहीं इंदौर के एक CBSE स्कूल में 5वीं में पढ़ने वाले आराध्य की मम्मी शिखा गुप्ता भी इस फैसले से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि शहर में स्कूलों की छुट्टी नहीं होनी चाहिए थी, अभी गर्मी नहीं पड़ रही है। छुट्‍टियों से परेशान शिखा ने कहा कि कभी ठंड, कभी बारिश की छुट्‍टियां। इन छु‍ट्टियों से बच्चों पर ही लोड बढ़ेगा। सरकार छुट्टियों की बात तो करती है, पर फीस की बात नहीं करती।

इंदौर के एक प्राइवेट स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ने वाली हनिशा के पिता नीतेश गेहलोत ने कहा कि वैसे इतनी गर्मी नहीं पड़ रही है। मौसम अभी ठंडा है। छुट्‍टियों की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को मूर्ख बना रही है। स्कूल लेट खुलेंगे तो बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब होगी। उनका कहना है कि जहां भीषण गर्मी पड़ रही हो वहां तो छुट्‍टियां होनी चाहिए, पर पूरे प्रदेश में एकसाथ 30 जून तक छुट्टियों का फैसला सही नहीं है। नीतेश का कहना है कि वैसे ही बच्चे घर पर पढ़ते नहीं हैं। सरकार साल में कई बार स्कूलों की अनावश्‍यक छुट्‍टियां कर देती है। स्कूलों की बढ़ती फीस पर उनका ध्‍यान नहीं है।

वहीं पालक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा कहते हैं कि अगर स्कूल खोलने का समय आगे बढ़ाया गया तो सरकार को स्कूलों की फीस को लेकर एक आदेश जारी करना चाहिए कि जब से स्कूल खुलें तभी से फीस लें। वह कहते हैं कि अगर देरी से स्कूल खोलने का निर्णय लिया जा रहा है तब बच्चों के सिलेबस में भी कटौती होनी चाहिए और सरकार को इसे सख्ती से लागू करना चाहिए।  

राजधानी भोपाल में पांचवीं तक के प्राइवेट स्कूल के संचालक नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि उन्होंने स्कूल खोलने की पहले से ही पूरी तैयार कर ली थी। ऐसे में अचानक से स्कूल नहीं खोलने का निर्णय करने से उन पर काफी असर पड़ेगा। वह कहते हैं कि उन्होंने कोरोना से ठीक पहले एक नामी ब्रांड की फ्रेंचाइजी लेकर स्कूल खोला था, लेकिन कोरोना आने से उन पर काफी असर पड़ा। ऐसे में जब स्कूल चलाने में पहले ही आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा रहा है, तब अब लेट स्कूल खोलने का सीधा असर पड़ेगा।