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Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 28 मार्च 2024 (21:22 IST)

डराना-धमकाना कांग्रेस की संस्कृति, CJI को वकीलों की चिट्ठी पर बोले PM मोदी

narendra modi
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत कुछ अन्य वकीलों की ओर से प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने के प्रयास के आरोप लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कांग्रेस पर निशाना साधा और दावा किया कि ‘दूसरों’ को धमकाना और धौंस दिखाना विपक्षी पार्टी की ‘पुरानी संस्कृति’ है।
 
प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में आरोप लगाया है कि एक ‘निहित स्वार्थी समूह बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा’ के आधार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है।
 
इस पत्र की प्रति के साथ ‘एक्स’ पर की गई एक पोस्ट को टैग करते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा कि दूसरों को धमकाना और धौंस दिखाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। पांच दशक पहले ही उसने एक ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ का आह्वान किया था। वे बेशर्मी से अपने स्वार्थी हितों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से दूर रहते हैं।
 
उन्होंने दावा किया कि कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें खारिज कर रहे हैं।
 
आधिकारिक सूत्रों द्वारा साझा किए गए पत्र में बिना नाम लिए वकीलों के एक वर्ग पर निशाना साधा गया है और आरोप लगाया गया है कि वे दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
 
पत्र में कहा गया है कि यह समूह अदालतों के कथित बेहतर अतीत और सुनहरे दौर की झूठी कहानियां बनाता है और इसकी तुलना वर्तमान में होने वाली घटनाओं से करता है। पत्र में दावा किया गया है कि उनकी टिप्पणियों का उद्देश्य अदालतों को प्रभावित करना और राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें असहज करना है।
 
‘न्यायपालिका पर खतरा: राजनीतिक और पेशेवर दबाव से न्यायपालिका को बचाना’ शीर्षक वाले पत्र को लिखने वाले करीब 600 अधिवक्ताओं में आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होला और स्वरूपमा चतुर्वेदी के नाम शामिल हैं।
 
यूं तो वकीलों ने पत्र में किसी विशिष्ट मामले का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब अदालतें विपक्षी नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के कई बड़े आपराधिक मामलों से निपट रही हैं।
 
विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अपने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उनके नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस आरोप का खंडन किया है।

कांग्रेस बोली पाखंड की परकाष्ठा : कांग्रेस ने वकीलों के एक समूह द्वारा प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखे जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान को ‘‘पाखंड की पराकाष्ठा’’ करार देते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में चीजों को तोड़ने-मरोड़ने, ध्यान भटकाने और लोगों को बदनाम करने का काम किया गया है।
 
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि हाल के हफ्तों में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें कई झटके दिए हैं और चुनावी बॉण्ड योजना इसका एक उदाहरण है।
 
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत कुछ अन्य वकीलों की ओर से प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने के प्रयास के आरोप लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस पर निशाना साधा और दावा किया कि ‘दूसरों’ को धमकाना और धौंस दिखाना विपक्षी पार्टी की ‘पुरानी संस्कृति’ है।
 
प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में आरोप लगाया गया है कि एक ‘निहित स्वार्थी समूह बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा’ के आधार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है।
 
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘नरेन्द्र मोदी जी, आप न्यायपालिका की बात कर रहे हैं। आप आसानी से भूल जाते हैं कि उच्चतम न्यायालय के 4 वरिष्ठतम न्यायाधीशों को एक अभूतपूर्व प्रेस वार्ता आयोजित करने और ‘‘लोकतंत्र को नष्ट किए जाने’ के खिलाफ चेतावनी देने के लिए मजबूर किया गया था। वह आपके शासन में हुआ।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘न्यायाधीशों में से एक को आपकी सरकार द्वारा राज्यसभा के लिए नामित किया गया था, तो कौन ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ चाहता है? आप भूल गए हैं कि आपकी पार्टी ने मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में एक उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश को मैदान में उतारा है। उन्हें यह उम्मीदवारी क्यों दी गई?’’ खरगे का कहना था, ‘‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कौन लाया? माननीय उच्चतम न्यायालय ने इसे क्यों रोक दिया?’’
 
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी जी, आपके द्वारा एक के बाद एक संस्थानों को समर्पण के लिए धमकाया जा रहा है, इसलिए अपने पापों के लिए कांग्रेस पार्टी पर दोष मढ़ना बंद करें। आप लोकतंत्र से छेड़छाड़ करने और संविधान को चोट पहुंचाने की कला में माहिर हैं।
 
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘न्यायपालिका की रक्षा के नाम पर, न्यायपालिका पर हमले की साजिश रचने और इसमें समन्वय करने में प्रधानमंत्री की बेशर्मी पाखंड की पराकाष्ठा है। हाल के हफ्तों में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें कई झटके दिए हैं। चुनावी बॉण्ड योजना तो इसका एक उदाहरण है।’’
 
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘ उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड को असंवैधानिक घोषित कर दिया और अब यह बिना किसी संदेह के साबित हो गया है कि यह (बॉण्ड) कंपनियों को भाजपा को दान देने के वास्ते मजबूर करने के लिए भयभीत करने, ब्लैकमेल करने और धमकी देने का एक ज़बरदस्त साधन था।’’
 
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के बजाय भ्रष्टाचार को कानूनी गारंटी दी है।
 
रमेश ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री ने सिर्फ बांटने, विकृत करने, ध्यान भटकाने और बदनाम करने का काम किया है। 140 करोड़ भारतीय उन्हें जल्द ही करारा जवाब देने का इंतजार कर रहे हैं।
 
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में आरोप लगाया कि मोदी सरकार के 10 साल ‘‘अमृत काल’’ के बजाय ‘‘मौत काल’’ साबित हुए हैं। रमेश ने दावा किया कि लोग इस शासन को उखाड़ फेंकने के लिए तैयार बैठे हैं। एजेंसियां
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