नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंत्री परिषद् की बैठक के दौरान वर्तमान में चल रही योजनाओं की बुधवार को विस्तृत समीक्षा करते हुए सरकार के विकास से जुड़े एजेंडा को तेजी से लागू करने पर बल दिया। मोदी यह भी जानना चाहते थे कि कैसे कुछ योजनाएं अपनी गति नहीं पा रही हैं और उनके सामने आने वाले अवरोधों को कैसे दूर किया जाए। यह मंत्री परिषद् की अपनी तरह की पहली बैठक है।
समझा जाता है कि तीन घंटे से भी ज्यादा देर तक चली इस बैठक में मोदी ने दाल की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताई है। इस बैठक के दौरान कुछ मंत्रालयों की परियोजनाओं की स्थिति की समीक्षा भी की गई।
सूत्रों ने बताया कि यह भी फैसला लिया गया कि प्रत्येक महीने के चौथे बुधवार को ऐसी बैठक होगी, जिसमें अन्य मंत्रालयों की ऐसी ही समीक्षा की जाएगी।
कृषि, ग्रामीण विकास, उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, रसायन और उर्वरक और जल संसाधन मंत्रालयों की योजनाओं में प्रगति की समीक्षा करते हुए मोदी ने सरकार के कदमों को जनता तक ले जाने पर जोर दिया।
उन्होंने मंत्रियों से सभी विषयों में अच्छा ज्ञान रखने को कहा ताकि वे जनता के साथ संवाद के दौरान सरकार की उपलब्धियों को प्रभावशाली तरीके से उन तक पहुंचा सकें।
सूत्रों के अनुसार, मोदी ने यह रेखांकित करते हुए कि अभी तक गंगा नदी की सफाई के लिए शुरू की गयी योजनाओं का कोई प्रभावी परिणाम नहीं आया है, अपनी महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे’ परियोजना की सफलता हेतु इसमें बड़ी संख्या में जन भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए लीक से हटकर कुछ सोचने को कहा।
मोदी ने विभिन्न योजनाओं में सुधार और उनके प्रभावी कियान्वयन के लिए सलाह भी मांगी। इस बैठक की प्रमुख बात देश में दालों की पैदावार बढ़ाने पर प्रधानमंत्री का मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करने की रही। दालों की बढ़ती कीमतों को बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया था।
दालों पर हो रही चर्चा के दौरान मोदी ने दालों की पैदावार बढ़ाने और उसका समुचित भंडार रखने के दीर्घकालीक कदमों की जरूरतों पर बात की। उन्होंने जमाखोरी के खिलाफ आवश्यक कदम उठाने पर भी जोर दिया। ये सभी मंत्रालय लोगों, विशेष रूप से किसानों की रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े हुए हैं।
बैठक में ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा पर भी चर्चा हुई। इसमें योजना को बेहतर तरीके से लागू करने और राज्यों को सशक्त बनाने के लिए मजदूरों के खाते में सीधा पैसा ट्रांसफर करने पर भी चर्चा हुई।
दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर आक्रामक रूप से जनता तक पहुंचने पर जोर दिया। मोदी यह भी जानना चाहते थे कि कैसे कुछ योजनाएं अपनी गति नहीं पा रही हैं और उनके सामने आने वाले अवरोधों को कैसे दूर किया जाए।
पिछले 18 महीनों में लिए गए कैबिनेट और सीसीईए के विभिन्न महत्वपूर्ण फैसलों के क्रियान्वयन की समीक्षा के दौरान उन्होंने विशेष रूप से कृषि और खाद्य के मुद्दों पर ध्यान दिया।
बैठक में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार मिशन, जिसका लक्ष्य गरीबों को गरीबी से बाहर निकालना है, जैसी योजनाओं पर भी चर्चा हुई। इनके क्रियान्वयन के लिए रूपरेखा मे किए गए बदलावों पर भी संक्षिप्त चर्चा हुई।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरबन मिशन और हाल ही में विश्व बैंक की मदद से शुरू की गइ नीरांचल वाटरशेड प्रबंधन परियोजना की स्थिति पर भी चर्चा हुई।
समीक्षा बैठक में तीन उर्वरक कंपनियों के पुनरूद्धार, बिहार में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना, वित्त की कमी झेल रही चीनी मिलों के लिए आसान ऋण आदि पर भी बात हुई। (भाषा)