पाकिस्तानी बैट का खूनी इतिहास...
बैट अर्थात बार्डर एक्शन टीम कह लीजिए या फिर बार्डर रेडर्स, एलओसी पर छापामार युद्ध में यह माहिर है। ये पाकिस्तान सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप के साथ काम करती है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इसे सूचनाएं मुहैया करवाती है।
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बैट अर्थात बार्डर एक्शन टीम कह लीजिए या फिर बार्डर रेडर्स, एलओसी पर छापामार युद्ध में यह माहिर है।
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ये पाकिस्तान सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप के साथ काम करती है।
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पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इसे सूचनाएं मुहैया करवाती है।
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बैट एलओसी या सीमा पर दुश्मन के इलाके में एक से तीन किमी अंदर जाकर हमले करती है।
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चार हफ्ते हवाई युद्ध के साथ ही इनकी कुल ट्रेनिंग करीब 8 महीने की होती है।
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इस टीम का मकसद सीमा पार जाकर छोटे-छोटे हमलों को अंजाम देकर दुश्मन में दहशत फैलाना है।
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हमलों के दौरान बैट इनाम के तौर पर दुश्मन के सिपाहियों का सिर काटकर अपने साथ ले जाती है।
बैट टीम की बर्बरता की कथाएं :
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एक मई 2017 को कृष्णा घाटी में भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम पर हमला किया गया। दो जवान शहीद हुए। नायब सूबेदार परमजीत सिंह और हेड कांस्टेबल प्रेम सागर के शवों को क्षत-विक्षप्त किया गया।
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22 नवम्बर 2016 को मच्छेल सेक्टर में बैट के हमले में 3 भारतीय जवान शहीद हुए और एक जवान का सिर काट लिया गया और सिर को वह अपने साथ ले गई।
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28 अक्तूबर 2016 को एलओसी पर बीएसएफ के सिपाही मनदीप के शव के साथ बर्बरता की गई और फिर वही घटनाक्रम दोहराया गया।
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8 जनवरी 2013 को पुंछ में एलओसी के पास लांसनायक हेमराज सिंह तथा सुधाकर सिंह की हत्या की गई। बैट टीम हेमराज का सिर काट का अपने साथ ले गई।
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30 जुलाई 2011 को कुपवाड़ा की गुलदार चोटी पर बैट का हमला हुआ, 6 जवान शहीद हो गए। हमलावर बैट टीम हवलदार जयपाल सिंह तथा देवेंदर सिंह के सिर काटकर अपने साथ ले गई।
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जून 2008 को 2/8 गोरखा राइफल के जवान को केल सेक्टर में पकड़ा गया और फिर उसका सिर काटकर अपने साथ ले गई।
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मई व जून 1999 को करगिल में तैनात कैप्टन सौरभ कालिया और उनके 5 साथियों को बंदी बनाया गया था। करीब 22 दिनों तक जवानों को यातनाएं दी गई थीं और बाद में क्षत-विक्षप्त शवों को भारतीय इलाके में फैंक दिया गया था।