दिल्ली में किसान-मजदूर संगठनों का जमावड़ा, मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
नई दिल्ली। वाम दलों के समर्थन वाले किसान व मजदूर संगठनों की ओर से बुधवार को दिल्ली में एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया है। इसे 'किसान-मजदूर संघर्ष रैली' का नाम दिया गया है। संगठनों ने दावा किया है कि इस रैली में देशभर से 4 लाख से ज्यादा किसान-मजदूर जुटेंगे। यह रैली 11 बजे से रामलीला मैदान से शुरू होकर संसद भवन तक मार्च करेगी।
रैली के चलते मध्य दिल्ली की सड़कों पर भीषण जाम लगने की आशंका है। ट्रैफिक पुलिस द्वारा लोगों से मध्य दिल्ली के मुख्य मार्ग खासकर दिल्ली गेट, रंजीत सिंह फ्लाईओवर, टॉल्स्टॉय मार्ग, जंतर-मंतर, मिंटो रोड, पहाड़गंज रोड, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और उसके आसपास जुड़े मार्गों पर न जाने की सलाह दी गई है।
वाम दलों के मुताबिक रामलीला मैदान में आयोजित किसान रैली की तर्ज पर आने वाले दिनों में और भी ऐसी ही रैलियां होंगी। रैली के आयोजकों ने बताया कि माकपा के बैनर तले आयोजित किसान-मजदूर रैलियों के माध्यम से देश के किसानों और मजदूरों की बदहाली के मुद्दे लगातार उठाए जाते रहेंगे और इसकी शुरुआत बुधवार को रामलीला मैदान की रैली से की जा रही है।
वाम समर्थित मजदूर संगठन 'सीटू' के महासचिव तपन सेन ने बताया कि वामदलों और तमाम किसान संगठनों के साझा मंच के रूप में गठित 'मजदूर किसान संघर्ष मोर्चा' रामलीला मैदान से भविष्य के आंदोलनों की रूपरेखा घोषित करेगा। सेन ने कहा कि आजाद भारत में पहली बार सरकार के खिलाफ आयोजित रैली में किसान और मजदूर एकजुट होकर हिस्सा लेंगे।
ये हैं प्रमुख मांगें
- रोजगार और कर्जमाफी सहित कई मांगें
- सीसीआई मूल्य पर कपास खरीदी करे
- फसल लागत का डेढ़ गुना देने की मांग
- मजदूरों का न्यूनतम वेतन 18 हजार करने की मांग