मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Lakhs of devotees took a dip of faith in Sangam on Maghi Purnima
Written By
Last Modified: बुधवार, 16 फ़रवरी 2022 (15:01 IST)

माघी पूर्णिमा पर संगम में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

माघी पूर्णिमा पर संगम में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी - Lakhs of devotees took a dip of faith in Sangam on Maghi Purnima
प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज में धर्म-कर्म, त्याग एवं समर्पण के प्रतीक माघ मेला में बुधवार को माघी पूर्णिमा के पावन पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती में आस्था की डुबकी लगाई। 
 
हर-हर महादेव उद्घोष के साथ त्रिवेणी में डुबकी लगाकर स्नानार्थियों ने दान-पूजन किया। मेला प्रशासन के अनुसार मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए पुण्य बेला में डुबकी लगाने का क्रम अनवरत जारी है और पूर्वान्ह 11 बजे तक करीब साढ़े चार लोग स्नान कर चुके थे। 
 
माघी पूर्णिमा स्नान से एक दिन पहले मंगलवार से श्रद्धालुओं ने तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी में परिचितों के शिविरों में डेरा डाल दिया था। त्रिवेणी के दोनों किनारे रात में एलईडी की सफेद दूधिया रोशनी से ऐसा जगमगा रही थी मानो सूर्य के प्रकाश से तिमिर का वजूद खत्म हो चला है। हालांकि सुबह हल्की ठंड महसूस हो रही थी, लेकिन भगवान भास्कर के उदय होते ही संगम स्वर्णिम हो उठा और श्रद्धालुओं का रेला बढ़ गया।
 
ज्योतिषियों के अनुसार माघ पूर्णिमा से अश्लेषा नक्षत्र की युति से शोभन योग बना है। इस बार पूर्णिमा पर सूर्य जहां कुंभ राशि में होंगे, वहीं चंद्रमा कर्क राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में संगम में स्नान का फल कई गुना अधिक होगा। माघी पूर्णिमा पर इस बार सुख-समृद्धि का प्रदाता शोभन योग श्रद्धालुओं के लिए विशेष फलदायी है। यह योग किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए सर्वोत्तम है।
 
उन्होंने बताया कि माघी पूर्णिमा स्नान का मुहूर्त बुधवार की सुबह 9 बजकर 42 मिनट से रात 10 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इस बीच, दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से एक बजकर 59 मिनट तक राहुकाल होने के कारण इस अवधि में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं, संत-महात्माओं का रेला सभी 9 घाटों की ओर बढ़ता जा रहा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माघी पूर्णिमा पर भगवान वेणी माधव संगम पर वास करते हैं। इसलिए इस दिन स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है। मेला क्षेत्र में लगातार 'दो गज की दूरी, मुंह पर मास्क जरूरी' लाउडस्पीकर पर गूंज रहा था, लेकिन संगम पहुंचने वाले कोरोना से बेपरवाह आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। संगम क्षेत्र में भारतीय जन-जीवन आध्यात्मिक चिंतन और विभिन्न संस्कृति की सरिता का संगम परिलक्षित हो रहा है।
 
भारत की आध्यात्मिक सांस्कृतिक सामाजिक एवं वैचारिक विविधताओं को एकता के सूत्र में पिरोने वाला माघ मेला भारतीय संस्कृति का द्योतक है। इस मेले में पूरे भारत की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। विभिन्न वेश-भूषा, भाषा वाले महिलाएं, पुरुष, युवा, बच्चे और विकलांग सभी उम्र के लोगों का हुजूम आज देखने को मिला है।