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Written By सुरेश डुग्गर
Last Modified: मंगलवार, 9 अगस्त 2016 (08:21 IST)

नहीं थमा बवाल, कश्मीर में सेना तैनात

नहीं थमा बवाल, कश्मीर में सेना तैनात - kashmir violence
श्रीनगर। एक महीने से बुरहान वानी की मौत की आग में झुलस रही कश्मीर वादी में हालात को थामने की खातिर केंद्र सरकार के निर्देशों पर अब सेना की मदद पूरी तरह से ली जाने लगी है। अभी तक सेना को महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की खातिर तैनात किया गया था। पहले चरण में कल रात को सेना ने जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग को अपने कब्जे में ले लिया ताकि इस पर यातायात सुचारू रूप से चल सके। जबकि आज सुबह उसने सईद अली शाह गिलानी के गृह कस्बे सोपोर को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेकर लोगों को हिंसा, आगजनी और प्रदर्शनों से दूर रहने की चेतावनी जारी कर दी।
 
पिछले एक महीने से राष्ट्रीय राजमार्ग उग्र भीड़ के कब्जे में था। हालांकि सेना के काफिले और अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले रात के अंधेरे में इसका इस्तेमाल कर रहे थे लेकिन अब हिंसक प्रदर्शनकारियों की बढ़ती हिम्मत तथा बढ़ते कदमों को रोक दिया गया है। एक सेनाधिकारी ने इसकी पुष्टि की है कि सेना ने रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय से मिले निर्देशों के बाद राजमार्ग को अपने कब्जे में लेकर अवरोधक हटा दिए हैं।
 
बताया जाता है कि कल सुबह से जबसे सेना ने 300 किमी लंबे जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग को अपने कब्जे में लिया है राजमार्ग पर प्रदर्शनों और हिंसा की घटनाएं थम सी गई हैं। ऐसा होने के पीछे का स्पष्ट कारण सेना की वह चेतावनी भी थी जिसमें उसने प्रदर्शनकारियों को लाउडस्पीकरों से स्पष्ट कर दिया था कि वे लाठियां चलाना नहीं जानते हैं और उन्हें सिर्फ गोली चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
 
ऐसी ही चेतावनियां आज सुबह से सेना द्वारा एप्पल टाउन सोपोर में भी दी जा रही हैं जिसे उसके हवाले कर दिया गया है। हालांकि राज्य सरकार के कुछ अधिकारी इसकी पुष्टि करते थे कि सोपोर में सेना को तैनात कर दिया गया है लेकिन सेना प्रवक्ता अभी भी इस पर चुप्पी साधे हुए थे।
 
मिलने वाली खबरें कहती हैं कि तड़के ही सेना की कई टुकड़ियों ने सोपोर में प्रवेश द्वारों पर बख्तरबंद वाहनों को तैनात कर कस्बे में सैनिकों की तैनाती आरंभ की थी। याद रहे कर्फ्यू के बावजूद पिछले 31 दिनों से कश्मीर में कर्फ्यूग्रस्त इलाकों में प्रदर्शनकारी कर्फ्यू पाबंदियों का उल्लंघन कर हिंसा फैला रहे हैं।
 
इसी क्रम में सेना ने सोपोर कस्बे को अपने कब्जे में लेते ही सबसे पहले लोगों को लाउडस्पीकरों के माध्यम से घरों के अंदर रहने की चेतावनी दी थी और साथ ही कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों को गोली मार देने की धमकी। नतीजा सामने था। हिंसक प्रदर्शनकारियों के कदम थमे हुए नजर आने लगे थे।
 
अधिकारी कहते हैं कि एक उच्चस्तरीय बैठक में उन सभी कस्बों में सेना को तैनात करने का फैसला लिया जा चुका है जहां हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। जानकारी के लिए वर्ष 2010 की गर्मियों की हिंसा में भी सेना तैनाती का फैसला बहुत देर के बाद लिया गया था। तब तक कश्मीर में 110 लोगों की मौत हो चुकी थी जबकि इस बार एक माह में 56 लोग मारे जा चुके हैं। अधिकारी कहते हैं कि सेना तैनाती से बचने की कोशिश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर की छवि को बचाने की खातिर की जा रही थी लेकिन अब जबकि हालात बेकाबू हो गए हैं अंतिम हथियार के तौर पर सेना को तैनात करना ही पड़ा है।