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Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क
Last Updated : बुधवार, 11 मार्च 2020 (00:19 IST)

पिता माधव राव के जन्मदिन पर ज्योतिरादित्य ने छोड़ी कांग्रेस पार्टी, इतिहास ने खुद को दोहराया

पिता माधव राव के जन्मदिन पर ज्योतिरादित्य ने छोड़ी कांग्रेस पार्टी, इतिहास ने खुद को दोहराया - Jyotiraditya left Congress party on father Madhav Rao's Anniversary
नई दिल्ली। कैसा विचित्र संयोग है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐसे दिन कांग्रेस पार्टी से पल्ला झाड़ लिया, जब उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय माधव राव सिंधिया का जन्मदिन है। इतिहास अपने आपको कैसे दोहराता है, इसका सबूत बन गए हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो आगामी 12 मार्च को भोपाल में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने जा रहे हैं।
 
पार्टी बदलने के मामले में 'सिंधिया परिवार' की कहानी बहुत दिलचस्प है क्योंकि यह पहला प्रसंग नहीं है। बात बहुत पुरानी है...1967 में जब मध्य प्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार हुआ करती थी, तब कांग्रेस में उपेक्षित होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़कर जनसंघ से जुड़ गई थीं और जनसंघ के टिकट पर गुना लोकसभा सीट से चुनाव भी जीती थीं। 
 
सिंधिया परिवार का गुना पर राज : मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट देश की एकमात्र सीट है जहां संसदीय चुनाव की शुरुआत से अब तक एक ही परिवार (सिंधिया) का कब्जा बरकरार रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया इस सीट पर लगातार 4 बार से सांसद बने हैं। उनके पिता भी इस सीट से 9 बार सांसद बने।

1957 से लेकर 2019 तक 14 बार इस परिवार ने गुना सीट पर अपना कब्जा कायम रखा लेकिन 2019 में पहलेी बार ज्योतिरादित्य भाजपा के उम्मीदवार के कृष्णपाल सिंह यादव से आश्चर्यजनक रूप से परास्त हो गए।
माधव राव सिंधिया को अटल जी ने दिलाई जनसंघ की सदस्यता : राजमाता विजयराजे सिंधिया ने अपने बेटे माधव राव सिंधिया को 23 फरवरी 1970 को मात्र 101 रुपए देकर जनसंघ की सदस्यता दिलवाई थी। अटलबिहारी वाजपेयी ने उनकी सदस्यता पर्ची काटी थी। इस पर्ची में उनकी उम्र 25 बरस और पेशा खेती लिखा था। सदस्यता ग्रहण करने के बाद माधव राव ने गुना से जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीता। यह बात 1971 की है।
 
माधव राव को रास नहीं आया जनसंघ : कुछ समय बाद जनसंघ का तौर तरीका माधव राव सिंधिया को रास नहीं आया और उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। यह उनकी लोकप्रियता का ही आलम था कि कांग्रेस के टिकट पर पर वे लगातार 9 बार गुना से सांसद चुने गए। गुना में माधव राव का ऐसा दबदबा था कि वे चुनाव प्रचार नहीं करते तो भी जीत जाया करते थे। सभी लोग उन्हें 'महाराज' ही कहते थे।
 
निर्दलीय के रूप में जीता चुनाव : 1977 में माधव राव ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की और फिर वे कांग्रेस में चले गए थे। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर माधव राव संसद पहुंचे। वहीं दूसरी तरफ विजयाराजे ने भाजपा का हाथ थाम लिया।
अटल बिहारी वाजपेयी को हरा चुके हैं माधव राव : 1984 का लोकसभा चुनाव भला कौन भूल सकता है, जब उन्होंने देश के सबसे लोकप्रिय नेता अटल बिहारी वाजपेयी को गुना लोकसभा सीट पर शिकस्त दी थी। जैसे-जैसे माधवराव का राजनीतिक सफर आगे बढ़ा, उनका कद भी बढ़ता चला गया। 1984 में वे केंद्रीय रेल मंत्री रहे। इसके अलावा उन्होंने नागरिक विमानन और पर्यटन के अलावा मानव संसाधन विकास मंत्री का पद भी बखूबी संभाला।
 
1993 में बनाई थी नई पार्टी : माधवराव सिंधिया ने 1993 में एक नई पार्टी का गठन किया था और नाम रखा 'मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस'। यह तब की बात है जब मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार हुआ करती थी। माधव राव की नई पार्टी को प्रदेश की जनता ने नकार दिया। इसके बाद खुद माधव राव वापस कांग्रेस के खेमे में चले गए।
 
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