क्या महाराष्ट्र को ‘ठाकरे मुक्त’ करने की है भाजपा की ‘सियासी चाल’?
उद्धव ठाकरे के सरकार गिराने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर सामने आया है। दरअसल, अब तक भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने की अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन भाजपा ने मराठा कार्ड खेलते हुए शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है। एकनाथ शिंदे गुरुवार की शाम 7.30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
दरअसल, भाजपा ने सीएम की कुर्सी का बलिदान कर के बहुत बड़ा राजनीतिक दाव खेला है। कहा जा रहा है कि भाजपा ने मराठा क्षत्रप की राजनीति का दाव खेलकर एक साथ कई निशाने साधने की कोशिश की है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा ने यह चाल चलकर शिवसेना के हिंदुत्व कार्ड को एक तरह से खत्म करने की कोशिश की है।
इससे अब उद्धव ठाकरे की शिवसेना के लिए शिवाजी महाराज का नाम भुनाने में भी दिक्कत होगी। भाजपा का यह मराठा समुदाय को खुश करने के साथ ही मुंबई के ठाणे इलाके को भी अपने फेवर में करने की योजना नजर आती है।
बता दें कि मुंबई का ठाणे इलाका एकनाथ शिंदे का गढ माना जाता है, ऐसे में ठाणे में तो समर्थन मिलेगा ही शेष मराठा वोटर्स भी इस फैसले से खुश ही होंगे।
दूसरी तरफ इस सियासी चाल से शरद पवार को भी जवाब देने की बात की जा रही है। सवाल उठ रहे हैं कि जो भाजपा 2019 में मराठा वर्ग से ही आने वाले उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री नहीं बनने दे रही थी, वो अब शिवसेना के ही एकनाथ शिंदे को क्यों मुख्यमंत्री बना रही है।
इसके पीछे भाजपा की ठाकरे परिवार की राजनीति को खत्म करने की सियासी रणनीति नजर आती है। शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने से न सिर्फ ठाकरे परिवार और मातोश्री की राजनीति पर असर होगा, बल्कि यह भी माना जाएगा कि शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे की विरासत के हकदार एकनाथ शिंदे ही हैं।
यह बात याद रखी जानी चाहिए कि अपनी बगावत के साथ ही एकनाथ शिंदे लगातार बाला साहेब और आनंद दिघे की विरासत और उनके हिंदुत्व को आगे बढ़ाने की बात करते रहे हैं।
गुरुवार शाम करीब सवा 4 बजे हुई भाजपा और शिवसेना के एकनाथ शिंदे की प्रेसवार्ता में भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने सत्ता से बाहर रहकर पूरी तरह से एकनाथ शिंदे सरकार को समर्थन करने की बात कही है।