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Last Modified: गुरुवार, 6 जून 2024 (19:16 IST)

यूपी के CM योगी आदित्यनाथ दिल्ली तलब, क्या खतरे में है कुर्सी?

Yogi adityanath
UP Chief Minister Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद दिल्ली पहुंच गए हैं। हालांकि उन्हें अन्य राज्यों के मुख्‍यमंत्रियों और उपमुख्‍यमंत्रियों की तरह समीक्षा बैठक के लिए दिल्ली बुलाया गया है। लेकिन, कहा जा रहा है कि योगी पर दिल्ली की टेढ़ी नजर है। दरअसल, लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान यूपी से ही हुआ है। पिछली बार भाजपा ने यूपी में 62 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार सत्तारूढ़ पार्टी 33 सीटों पर सिमट गई है। ALSO READ: मोदी 3.0 सरकार में MP से 3-4 चेहरों को मिलेगा मौका!, शिवराज-सिंधिया के साथ इन चेहरों पर टिकी नजर
 
क्या बोले संजय राउत : ऐसा माना जा रहा है कि इस हार का ठीकरा योगी पर फोड़ने की तैयारी की जा रही है। हाईकमान योगी से उम्मीद कर सकता है कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस की तरह हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश करें। शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने भी कहा है कि फडणवीस की पेशकश योगी आदित्यनाथ पर दबाव बनाने की एक चाल है। 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय भी इस तरह की खबरें आई थीं, लेकिन योगी बने रहे और दूसरी बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने रहे। 
 
क्या वाकई योगी को हटाना आसान है : हालांकि इस बार कहीं न कहीं यह संदेश गया है कि यूपी साथ देता तो केन्द्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बन सकती है। जानकारों की मानें तो योगी का हटाना इतना आसान भी नहीं होगा। ऐसी स्थिति में तो और भी नहीं जब केन्द्र में गठबंधन की सरकार बनने जा रही हो। जानकारों की मानें यूपी सभी टिकट केन्द्र से ही तय किए गए थे। एक विधायक ने तो भितरघात को भाजपा की हार के लिए जिम्मेदार बताया है। उन्नाव सीट से तीसरी बार सांसद बने साक्षी महाराज ने भी भितरघातियों को आस्तीन का सांप कहा है। ALSO READ: PM of India : बदली गई PM मोदी के शपथ ग्रहण की तारीख, अब इस दिन होगा कार्यक्रम
 
तब नहीं मानी गई थी सलाह : यह भी कहा जा रहा है कि 30-35 टिकट बदलने की सलाह यूपी से दी गई थी, लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया। यह भी कहा जा रहा है कि अगले छह महीने तक योगी को परेशान नहीं किया जाएगा। यूपी की हार को लेकर संगठन के नेताओं पर जरूर एक्शन लिया जा सकता है।
 
दरअसल, यूपी में जिस तरह के परिणाम आए हैं, वह भविष्य में भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। क्योंकि राज्य में समाजवादी पार्टी के साथ ही कांग्रेस भी ताकतवर बनकर उभरी है। राज्य में समाजवादी पार्टी को सर्वाधिक 37 सीटें मिली हैं, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस को 6 सीटें मिली हैं। पिछले चुनाव में एनडीए की 64 सीटें थीं।
 
अमेठी से भाजपा उम्मीदवार और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जैसी दिग्गज नेता भी 1 लाख 67 हजार वोटों से चुनाव हार गईं। वह किशोरी लाल शर्मा जैसे व्यक्ति के सामने, जो कभी लाइम लाइट में रहे ही नहीं। दो बार की सांसद और केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति भी फतेहपुर में अपनी सीट नहीं बचा पाईं। वे 33 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव हार गईं। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी की लीड 2019 के मुकाबले 3 लाख से ज्यादा कम हो गई।
 
हालांकि फिलहाल यूपी से लेकर दिल्ली तक चुनाव परिणामों को लेकर सन्नाटा है, लेकिन ईमानदारी से परिणामों की समीक्षा होगी तो हकीकत सामने आ सकती है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala