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Written By सुरेश डुग्गर
Last Updated : मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019 (18:39 IST)

Pulwama Attack :असमंजस में भारतीय सेना, एक तरफ 'भारत माता की जय' तो दूसरी तरफ पाकिस्तान की पैरवी...

Pulwama Attack :असमंजस में भारतीय सेना, एक तरफ 'भारत माता की जय' तो दूसरी तरफ पाकिस्तान की पैरवी... - Indian Army Confused in jammu and kashmir
जम्मू। कर्फ्यूग्रस्त जम्मू में तैनात सेना के जवानों के लिए परिस्थितियां असमंजस भरी हैं। इसी असमंजस भरी परिस्थिति में उसे कश्मीर में अगर अलगाववादियों की उस भीड़ से भी निपटना पड़ रहा है, जो हाथों में पाकिस्तानी झंडा लेकर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं तो जम्मू में भीड़ भारत माता की जय कहते हुए तिरंगा हाथ में लेकर प्रदर्शन करती है तो सेना को उनसे सख्ती से निपटने के निर्देश स्थानीय पुलिस द्वारा दिए जाते हैं। इस मुद्दे पर दो बार सैनिक और पुलिस के जवान आपस में भिड़ भी चुके हैं। ऐसी ही परिस्थिति वर्ष 2008 के अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरान भी पैदा हुई थीं।
जम्मू में हिंसा को थामने की कवायद में सेना की तैनाती हुई तो कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए भी उसे तैनात किया गया है। उसके लिए दोनों स्थानों पर परिस्थितियां बिलकुल विपरीत हैं। कश्मीर में उसे कई स्थानों पर गोलियां इसलिए बरसाने पर मजबूर होना पड़ रहा था क्योंकि पत्थरबाज सेना द्वारा खींची गई रेड लाइन को पार कर पत्थरबाजी करते हुए मुठभेड़ों में बाधा उत्पन्न की थी, लेकिन जम्मू में उसके लिए असमंजस भरी स्थिति से सामना इसलिए हो रहा है क्योंकि देशभक्त जम्मू हर बार मजबूत दीवार की तरह खड़ा रहा है और प्रदर्शनकारियों ने सिर्फ 'भारत माता की जय' के नारे लगाए और उनके हाथों में आईएस या पाकिस्तान का झंडा नहीं था बल्कि भारतीय तिरंगा था। ऐसे में सेना के जवान दुविधा में हैं कि वे तिरंगा थामने वाले हाथों पर कार्रवाई कैसे करें।
 
दरअसल पुलवामा हमले के बाद कुछ पाकपरस्तों ने जम्मू में नफरत की चिंगारी को हवा देने की कोशिश की तो पूरा जम्मू उबल पड़ा। हाथों में तिरंगा ले युवाओं की टोलियां भारत मां के जयकारों से जम्मू को गुंजायमान करती रहीं। इस दौरान शहर में तैनात सेना के अधिकारी भी उनके जोश व देशभक्ति के कायल दिखे।
इस हमले में जम्मू ने नसीर अहमद के रूप में अपना सपूत खोया है। हमले के विरोध में जम्मू, सांबा, कठुआ, ऊधमपुर, रियासी, पुंछ, रामबन आदि कई जिलों में लोग सड़कों पर तिरंगा लेकर वंदे मातरम, भारत माता के जयघोष लगा सड़कों पर आ उतरे। उनकी मांग है कि दोषी आतंकियों सहित पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए।
 
हालांकि इस दौरान कुछ शरारती तत्वों के कारण माहौल बिगड़ा। कर्फ्यू में भी जम्मू के हर मुहल्ले-गली बाजारों में लोग शहीदों के लिए तिरंगों के साथ कैंडल मार्च निकालते दिखे।
 
जम्मू में पांच दिन से कर्फ्यू है और सेना फ्लैग मार्च कर रही है। जम्मू के युवा हमले के विरोध में सड़कों पर उतर रहे हैं और भारत माता की जय और इंडियन आर्मी जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं। सेना यहां के युवाओं के देशप्रेम से भलीभांति वाकिफ है। जानती है कि यहां के लोग कश्मीर की तरह पत्थर नहीं फेंकते।
 
यही कारण है कि कर्फ्यू में प्रदर्शन कर रहे जम्मू के युवाओं को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए और पकड़े जाने पर सेना के अधिकारियों की पुलिस अफसरों से दो बार बहस हो गई। सेना के एक अधिकारी ने तो यहां तक कहा दिया कि अगर पुलिस ऐसा करेगी तो वे ड्यूटी नहीं देंगे।
 
मामला गंभीर होते देख टाइगर डिवीजन के ब्रिगेडियर शरद कपूर भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने स्थिति को शांत किया। जम्मू-कठुआ रेंज के डीआइजी विवेक गुप्ता ने सेना से इस घटना के लिए माफी भी मांगी।