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Last Modified: गुरुवार, 21 दिसंबर 2017 (18:27 IST)

भारत और चीन के बीच एलएसी की अवधारणा अलग-अलग

भारत और चीन के बीच एलएसी की अवधारणा अलग-अलग - India-China Line of Actual Control
नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को बताया कि भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की धारणा अलग-अलग होने की वजह से समय-समय पर ऐसी स्थितियां उत्पन्न हुईं, जिनसे बचा जा सकता था।
 
विदेश राज्यमंत्री जनरल (डॉ) वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में सामान्य तौर पर निर्धारित कोई नियंत्रण रेखा नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि यदि वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर हमारे बीच धारणा एक जैसी होती तो उन स्थितियों से बचा जा सकता था जो एलएसी की धारणा में भिन्नता के कारण समय समय पर उत्पन्न हुईं। उन्होंने बताया कि सरकार एलएसी के पास किसी भी प्रकार के उल्लंघन के मामले को चीनी पक्ष के साथ विभिन्न स्थापित तंत्रों और राजनयिक चैनलों के माध्यम से नियमित उठाती रहती है।
 
विदेश राज्यमंत्री ने यह बात सपा के नीरज शेखर के सवाल के लिखित जवाब में कही। शेखर ने पूछा था कि क्या चीन ने डोकलाम मुद्दे के बाद अक्‍टूबर और नवंबर 2017 के दौरान 31 बार घुसपैठ की है। सिंह ने बताया सरकार का हमेशा से मत रहा है कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और अमन द्विपक्षीय संबंधों के विकास का एक महत्वपूर्ण तत्व है।
 
उन्होंने विजिला सत्यानंद के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब अवसंरचनात्मक निर्माण की आलोचना करते हुए एक वक्तव्य दिया था।
 
उन्होंने बताया कि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मारसिमिक ला से हॉट स्प्रिंग तक सड़क निर्माण करने के भारत के प्रस्ताव पर 24 अगस्त 2017 को मीडिया के सवालों के दौरान, भारत द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब अवसंरचनात्मक निर्माण की आलोचना करते हुए एक वक्तव्य दिया था।
 
सिंह ने बताया कि सरकार सीमा क्षेत्रों के विकास के लिए अवसंरचनात्मक सुधार किए जाने पर विशेष ध्यान देती है। ऐसा इसलिए है ताकि इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास को सुगम बनाया जाए। साथ ही भारत की सामरिक एवं सुरक्षा संबंधी अपेक्षाओं को भी पूरा किया जा सके। सरकार भारतीय भूभाग में ऐसे अवसंरचनात्मक सुधार किए जाने के अधिकार में किसी को भी दखल देने की अनुमति नहीं देती है।
 
विदेश राज्य मंत्री ने शंभाजी छत्रपति के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि भारत चीन सीमा मामले (डब्ल्यूएमसीसी) पर परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र के दसवें चरण का आयोजन 17 नवंबर 2017 को बीजिंग में किया गया था। इसमें दोनों ओर के राजनयिक और सैन्य अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडलों ने हिस्सा लिया था।
 
सिंह ने बताया कि दोनों पक्षों ने चीन सीमा के सभी क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की और इस बात पर सहमति जताई कि द्विपक्षीय संबंधों में टिकाऊ विकास के लिए सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है।
 
डब्ल्यूएमसीसी की स्थापना भारत चीन सीमा क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए परामर्श और समन्वय की खातिर संस्थागत तौर पर वर्ष 2012 में की गई थी। इसका एक उद्देश्य सीमा सुरक्षा कर्मियों के बीच संपर्क और सहयोग को मजबूत करना भी है। (भाषा)
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