गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. IIT Guwahati, cost-efficient, new materials, energy
Written By
Last Updated : मंगलवार, 26 अक्टूबर 2021 (12:16 IST)

सौर ऊर्जा संचालित हाइड्रोजन जेनरेटर के लिए नई सामग्री

सौर ऊर्जा संचालित हाइड्रोजन जेनरेटर के लिए नई सामग्री - IIT Guwahati, cost-efficient, new materials, energy
नई दिल्ली, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्ता नई सामग्री विकसित की है, जो सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित कर सकती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि ये सामग्रियां वर्तमान में उपयोग की जाने वाली 'उत्कृष्ट धातुओं' की तुलना में बहुत सस्ती हैं, जो किफायती सौर-संचालित हाइड्रोजन जेनरेटर में उपयोगी हो सकती हैं।

आमतौर पर उपयोग होने वाले 'सौर सेल' प्रकाश को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए जाने जाते हैं। सूर्य के प्रकाश से संचालित ऊर्जा रूपांतरण की एक अन्य प्रणाली है, जिसे 'फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल' (पीईसी) सेल कहा जाता है। पीईसी ने हाल के दिनों में विद्युत ऊर्जा में संयोजन के साथ ईंधन के प्रत्यक्ष उत्पादन के कारण ध्यान आकर्षित किया है।

पीईसी सेल सरल और सुरक्षित यौगिकों - जैसे पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं। हाइड्रोजन एक उच्च-ऊर्जा ईंधन है, जिसे आवश्यकतानुसार संग्रहीत और उपयोग किया जा सकता है। इसलिए, इन सेल्स को कार्बन मुक्त हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

डॉ. मोहम्मद कुरैशी, प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग, आईआईटी गुवाहाटी ने कहा, "पीईसी सेल अभी तक ऊर्जा संकट का व्यावहारिक समाधान नहीं बन सके हैं, क्योंकि इससे कुछ वैज्ञानिक बाधाएं जुड़ी हुई हैं। इनमें जल-ऑक्सीकरण प्रक्रिया की निष्क्रियता एक प्रमुख कारण है। जल-विभाजन प्रक्रिया को सक्रिय करने के लिए उत्प्रेरकों का उपयोग किया जाता है। लेकिन, ये उत्प्रेरक महंगी धातुएं हैं, जिनमें प्लैटिनम, इरिडियम और रूथेनियम शामिल हैं, जो सेल उत्पादन को महँगा और अव्यवहारिक बना देती हैं। ”


आईआईटी, गुवाहाटी द्वारा जारी ताजा वक्तव्य में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने प्लैटिनम, इरिडियम और रूथेनियम जैसी उत्कृष्ट धातुओं के बिना उत्प्रेरक विकसित किए हैं, जो पीईसी सेल में पानी को विभाजित करने में महंगी धातुओं के समान उपयोगी हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि अर्ध-चालकों का संयोजन, जो वाहक परिवहन के लिए उनके ऊर्जा स्तर के गलत मिलान से बाधित होते हैं, इस दृष्टिकोण को एक मॉडल प्रणाली के रूप में उपयोग कर सकते हैं। इससे पानी के निष्क्रिय ऑक्सीकरण काइनेटिक्स वाले अर्ध-संचालक तेज काइनेटिक्स के साथ सामग्री में बदल सकते हैं। उनका कहना यह भी है कि अर्धचालकों के बीच ऊर्जा हस्तांतरण की मूल बातें समझने के लिए यह एक मॉडल प्रणाली हो सकती है।

प्रोफेसर मोहम्मद कुरैशी ने कहा, "हमने एक टर्नरी उत्प्रेरक विकसित किया है, जिसमें कोबाल्ट-टिन स्तरित-डबल हाइड्रोक्साइड (एलडीएच) और बिस्मथ वैनाडेट शामिल हैं, जो ग्रैफेन पुलों के साथ एक पीएन जंक्शन सेमीकंडक्टर बनाता है। हमने पाया कि एक फोटानोड के रूप में उत्प्रेरक जब इस्तेमाल किया जाता है, तो यह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए पानी को आसानी से विभाजित कर सकता है।"

जब प्रकाश पीईसी सेल के एनोड पर पड़ता है, तो ऋणात्मक रूप से आवेशित इलेक्ट्रॉन और धनात्मक आवेशित छिद्र (एक्सिटॉन) उत्पन्न होते हैं। किसी उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में, थर्मोडायनामिक बाधा बहुत अधिक होगी। ऐसे में, पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित नहीं किया जा सकता।

पानी को विभाजित करने के लिए, छिद्रों को इलेक्ट्रॉनों के साथ पुनर्संयोजन से रोका जाना चाहिए। आईआईटी गुवाहाटी द्वारा विकसित टर्नरी उत्प्रेरक प्रणाली में, बिस्मथ वैनाडेट सूर्य के प्रकाश की प्रतिक्रिया में इलेक्ट्रॉनों और छिद्रों को उत्पन्न करता है।

ग्रैफेन छिद्रों को वैनाडेट से दूर कर देता है और उन्हें कोबाल्ट-टिन एलडीएच में स्थानांतरित कर देता है, इस प्रकार इलेक्ट्रॉनों के साथ उनके पुनर्संयोजन को रोकता है। इस तरह, छिद्र और इलेक्ट्रॉन अब पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिए उपलब्ध होते हैं।

शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अध्ययन हेटेरो-संरचित फोटोएनोड्स के तंत्र को समझने में मदद करेंगे और बेहतर जल ऑक्सीकरण के लिए सस्ते फोटोइलेक्ट्रोड सिस्टम के डिजाइन का मार्ग प्रशस्त करेंगे। यह अध्ययन शोध पत्रिका फिजिकल केमिस्ट्री लेटर्स में प्रकाशित किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)
ये भी पढ़ें
आज जारी होगी DU की स्पेशल कटऑफ लिस्ट