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Last Modified: गुरुवार, 24 जुलाई 2025 (18:47 IST)

भारत-ब्रिटेन ट्रेड डील की मुख्य बातें, जानिए किस क्षेत्र को मिलेगा कितना फायदा

India UK Free Trade Agreement
Highlights of India UK trade deal: भारत और ब्रिटेन के बीच बृहस्पतिवार को मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर हो गए। इसे आधिकारिक तौर पर सीईटीए (व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता) कहा जाता है। इस समझौते की खास-खास बातें इस प्रकार हैं-
 
कृषि
  • भारत को ब्रिटेन में फल, सब्जियां, अनाज, हल्दी, काली मिर्च, इलायची जैसे कई कृषि उत्पादों और खाने के लिए तैयार खाद्य, आम का गूदा, अचार और दालों जैसे प्रसंस्कृत उत्पाद तक शुल्क मुक्त पहुंच मिलेगी।
  • भारत के 95 प्रतिशत से अधिक कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य शुल्क लाइन पर शून्य शुल्क लगेगा।
  • शुल्क मुक्त पहुंच से अगले तीन साल में कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो 2030 तक भारत के 100 अरब डॉलर के कृषि निर्यात के लक्ष्य में योगदान देगा।
  • ‘व्यापार में तकनीकी बाधाओं’ (टीबीटी) से संबंधित प्रावधान प्रमाणीकरण को सुव्यवस्थित करेंगे, जिससे निर्यातकों के लिए समय और लागत में कटौती होगी।
  • एफटीए कटहल, बाजरा और जैविक जड़ी-बूटियों जैसे उभरते उत्पादों के लिए नए बाजार तक पहुंच बनाता है, जिससे किसानों को घरेलू मूल्य अस्थिरता के खिलाफ विविधता लाने में मदद मिलती है।
  • भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु को, ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री आयात बाजार तक पहुंच के माध्यम से विस्तार मिलेगा।
  • भारत डेयरी उत्पाद, सेब, जई और खाद्य तेलों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर कोई शुल्क रियायत नहीं दे रहा है।
  • भारत वैश्विक स्तर पर 36.63 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जबकि ब्रिटेन 37.52 अरब डॉलर का आयात करता है, लेकिन भारत से केवल 81.1 करोड़ डॉलर का आयात करता है, जो उच्च मूल्य वाले कृषि उत्पादों में वृद्धि की संभावना दर्शाता है।
  • इस समझौते से महाराष्ट्र (अंगूर, प्याज), गुजरात (मूंगफली, कपास), पंजाब और हरियाणा (बासमती चावल), केरल (मसाले) और पूर्वोत्तर राज्यों (बागवानी) को लाभ होगा।
 
समुद्री क्षेत्र
  • सीईटीए भारत के समुद्री उत्पादों पर ब्रिटेन के शुल्क को समाप्त करता है।
  • इससे भारतीय निर्यातकों के लिए मूल्य प्राप्ति में सुधार होगा, तथा उच्च खरीद दरों के माध्यम से तटीय मछुआरों को लाभ मिलेगा।
  • ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री आयात बाजार के बावजूद, भारत की हिस्सेदारी मात्र 2.25 प्रतिशत ही बनी हुई है, जो एक महत्वपूर्ण अप्रयुक्त निर्यात अवसर को रेखांकित करता है।
  • भारतीय झींगा पर ब्रिटेन में मौजूदा शुल्क 4.2 प्रतिशत से 8.5 प्रतिशत के बीच है। इसके कारण, एफटीए के शुल्क उन्मूलन से विशेष रूप से झींगा, टूना, मछली के भोजन और चारे में तीव्र वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • झींगा, टूना, मछली का भोजन और चारा, जिन पर वर्तमान में 4.2 प्रतिशत से 8.5 प्रतिशत के बीच कर लगता है, पूरी तरह से शुल्क मुक्त हो जाएंगे।
  • एफटीए के स्वच्छता और पादप स्वच्छता (एसपीएस) उपायों से भारतीय निर्यातकों को आसानी से ब्रिटेन के मानकों को पूरा करने में मदद मिलती है, जिससे अस्वीकृति कम होती है और विश्वास मजबूत होता है।
  • मजबूत मांग के बावजूद, ब्रिटेन के समुद्री आयात में भारत की वर्तमान हिस्सेदारी केवल 2.25 प्रतिशत है, जिससे विस्तार की काफी गुंजाइश है।
 
चाय-कॉफी
  • ब्रिटेन पहले से ही भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, जहां भारत के कुल निर्यात का 1.7 प्रतिशत कॉफी, 5.6 प्रतिशत चाय और 2.9 प्रतिशत मसाला जाता है। अब इन उत्पादों पर शुल्क मुक्त पहुंच के साथ इसमें तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • ‘इंस्टेंट कॉफी’ तक शुल्क-मुक्त पहुंच से भारतीय व्यवसायों को जर्मनी, स्पेन और नीदरलैंड जैसे त्वरित/मूल्य-वर्धित कॉफी के अन्य यूरोपीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।
  • एफटीए, मूल्यवर्धित कॉफी उत्पादों, विशेषकर भारतीय इंस्टेंट कॉफी का ब्रिटेन को निर्यात बढ़ाने के लिए एक सशक्त मंच तैयार करेगा।
तिलहन
  • कम शुल्क और सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं के साथ, भारतीय तिलहन निर्यातक ब्रिटेन के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं, जिससे संभावित रूप से निर्यात में वृद्धि हो सकती है।
कपड़ा
  • वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र के लिए शून्य शुल्क बाजार पहुंच 1,143 शुल्क लाइन (या उत्पाद श्रेणियों) के लिए है, जो 11.7 प्रतिशत का योगदान देता है।
  • भारत को बांग्लादेश, पाकिस्तान और कंबोडिया की तुलना में शुल्क संबंधी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इन देशों को ब्रिटेन के बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच प्राप्त थी। मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत भारत से कपड़ा आयात पर शुल्क समाप्त कर दिया गया है, जिससे इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ गई है।
  • वस्त्र एवं परिधान के क्षेत्र में, जहां ब्रिटेन का कुल आयात (26.95 अरब डॉलर) भारत के वैश्विक निर्यात (36.71 अरब डॉलर) से कम है, वहीं भारत ब्रिटेन को सिर्फ 1.79 अरब डॉलर की आपूर्ति करता है।
  • तेजी से वृद्धि की ओर अग्रसर क्षेत्रों में आरएमजी (सिलेसिलाए कपड़े), घरेलू वस्त्र, कालीन और हस्तशिल्प शामिल हैं, जहां शुल्कों को हटाने से तत्काल और पर्याप्त प्रतिस्पर्धात्मक लाभ पैदा होता है।
  • भारत को एक से दो साल के भीतर ब्रिटेन में कम से कम 5 प्रतिशत अतिरिक्त बाजार हिस्सेदारी हासिल होने की उम्मीद है।
इंजीनियरिंग
  • ब्रिटेन भारत का छठा सबसे बड़ा इंजीनियरिंग निर्यात बाजार है। इसने 2024-25 में सालाना आधार पर 11.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मजबूत व्यापार गति दर्ज की है।
  • भारत का वैश्विक निर्यात 77.79 अरब डॉलर है, जबकि ब्रिटेन 193.52 अरब डॉलर मूल्य के ऐसे उत्पादों का आयात करता है, फिर भी भारत से केवल 4.28 अरब डॉलर का ही आयात होता है, जो विस्तार की मजबूत संभावना का संकेत देता है।
  • एफटीए के तहत शुल्क उन्मूलन (18 प्रतिशत तक) के साथ, ब्रिटेन को इंजीनियरिंग निर्यात अगले 5 वर्षों में लगभग दोगुना हो सकता है, जो 2029-30 तक 7.5 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा।
  • स्वस्थ वृद्धि अनुमान : इलेक्ट्रिक मशीनरी, वाहन कलपुर्जे, औद्योगिक उपकरण और निर्माण मशीनरी जैसे प्रमुख इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में 12.20 प्रतिशत सालाना दर से वृद्धि का अनुमान है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर (ईएससी)
  • शून्य-शुल्क पहुंच से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है, साथ ही स्मार्टफोन, ऑप्टिकल फाइबर केबल और इनवर्टर के कारण ब्रिटेन के बाजार में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
  • सॉफ्टवेयर और आईटी-सक्षम सेवाओं के लिए ब्रिटेन की महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताएं, नए बाजारों को खोलने, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए; 2024-25 में वर्तमान 32 अरब डॉलर से 15-20 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का अनुमान है।
फार्मा
  • भारत वैश्विक स्तर पर 23.31 अरब डॉलर का निर्यात करता है और ब्रिटेन लगभग 30 अरब डॉलर का आयात करता है, लेकिन इसमें भारतीय फार्मा का योगदान एक अरब डॉलर से कम है, जो वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण गुंजाइश दर्शाता है।
  • भारतीय जेनेरिक दवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में एफटीए के तहत शून्य शुल्क प्रावधानों से ब्रिटेन के बाजार में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, जो यूरोप में भारत का सबसे बड़ा दवा निर्यात गंतव्य बना हुआ है।
  • शल्य चिकित्सा उपकरण, जांच उपकरण, ईसीजी मशीन, एक्स-रे सिस्टम जैसे कई चिकित्सा उपकरणों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
रसायन
  • एफटीए से ब्रिटेन को भारत के रासायनिक निर्यात में 30-40 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है, जिससे 2025-26 के अंत तक यह आंकड़ा अनुमानित 65-75 करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा।
  • रसायन और संबद्ध उत्पादों में, भारत वैश्विक स्तर पर 40.52 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात करता है, जबकि ब्रिटेन 35.11 अरब डॉलर का आयात करता है, लेकिन उस बाजार का केवल 84.3 करोड़ डॉलर ही हासिल कर पाता है। यह विशेष रूप से एफटीए के तहत बेहतर बाजार पहुंच के साथ विस्तार की क्षमता को उजागर करता है।
प्लास्टिक
  • शुल्क मुक्त पहुंच से प्लास्टिक, फिल्म, शीट, पाइप, पैकेजिंग, टेबलवेयर और किचनवेयर के लिए ब्रिटेन की मजबूत मांग का लाभ उठाने का अवसर मिलता है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारत ने विनिर्माण क्षमता सिद्ध कर ली है।
  • शुल्क मुक्त पहुंच से भारत को ब्रिटेन के प्रमुख आयात स्रोतों जैसे जर्मनी, चीन, अमेरिका, नीदरलैंड, बेल्जियम और फ्रांस के साथ बेहतर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।
  • अनुमानित वृद्धि दर 15 प्रतिशत है तथा कैलेंडर वर्ष 2030 के लिए अगले पांच वर्षों का लक्ष्य 18.7 करोड़ डॉलर है।
खेल के उत्पाद/खिलौने
  • फुटबॉल, क्रिकेट गियर, रग्बी गेंदों और गैर-इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों का निर्यात बढ़ने की उम्मीद है।
  • भारतीय खेल वस्तुओं और खिलौनों को ब्रिटेन के आयात शुल्क समाप्त होने से लाभ होगा, जिससे वे चीन या वियतनाम जैसे देशों की तुलना में अधिक मूल्य-प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। इन देशों के ब्रिटेन के साथ ऐसे मुक्त व्यापार समझौते नहीं हैं।
रत्न एवं आभूषण
  • भारत का ब्रिटेन को कुल रत्न एवं आभूषण निर्यात 94.1 करोड़ डॉलर का है, जिसमें से 40 करोड़ डॉलर आभूषणों से आता है। यह एफटीए एक विशाल बाजार खोलता है क्योंकि ब्रिटेन सालाना लगभग तीन अरब डॉलर मूल्य के आभूषणों का आयात करता है।
  • एफटीए के तहत शुल्क में छूट से अगले दो-तीन साल में ब्रिटेन को भारत के रत्न एवं आभूषण निर्यात में दोगुना वृद्धि होने का अनुमान है।
चमड़ा
  • भारत के चमड़े और जूतों पर शुल्क 16 प्रतिशत से शून्य कर दिया गया, जिससे भारत की शिल्पकला को विश्वभर में अपना परचम लहराने का अवसर मिलेगा।
  • इस मुक्त व्यापार समझौते से अगले एक-दो साल में ब्रिटेन की बाज़ार हिस्सेदारी में पांच प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। निर्यात 90 करोड़ डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है।
  • आगरा, कानपुर, कोल्हापुर, चेन्नई जैसे केंद्रों में सूक्ष्म, लघु एवं मझोली कंपनियों (एमएसएमई) को शुल्क मुक्त निर्यात, भौगोलिक संकेतक (जीआई) संरक्षण, सरलीकृत मानकों का लाभ मिलेगा। (भाषा/वेबदुनिया)
    Edited by: Vrijejdra Singh Jhala 
 
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