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Last Modified: मंगलवार, 25 अप्रैल 2017 (17:45 IST)

गुजरात दंगा मामला : अमित शाह को गवाही के लिए बुला सकती है कोर्ट

गुजरात दंगा मामला : अमित शाह को गवाही के लिए बुला सकती है कोर्ट - Gujarat riots case Amit Shah court Maya Kodnani
अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत आठ लोगों को गुजरात के 2002 के दंगों से जुडे सबसे बड़े मामले नरोडा पाटिया जनसंहार प्रकरण में गवाह के तौर पर अदालत में बुलाने की इसकी प्रमुख सजायाफ्ता आरोपी तथा तत्कालीन नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री रह चुकीं वरिष्ठ महिला भाजपा नेता माया कोडनानी की अर्जी पर सुनवाई पूरी कर अपने फैसले को सुरक्षित रखा।
 
उक्त घटना में यहां नरोडा पाटिया और नरोडा गाम में 97 लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी थी। आरोप है कि कोडनानी ने इस भीड़ की अगुवाई की थी। इस मामले की उच्चतम न्यायालय के आदेश पर विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच की थी।
 
एसआईटी की विशेष अदालत ने कोडनानी तथा बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 30 अभियुक्तों को दोषी ठहराते हुए वर्ष 2012 में उम्रकैद (28 साल) की सजा सुनाई थी। अभियुक्तों ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी। कोडनानी को 2014 में खराब स्वास्थ्य तथा अपील पर सुनवाई में देरी के चलते जमानत मिल गई थी। वे अभी भी जमानत पर हैं। 
 
हाईकोर्ट में अपनी अर्जी में उन्होंने कहा है कि शाह समेत आठ गवाहों की गवाही यह साबित करने के लिए जरूरी है कि वह घटना के समय अन्यत्र थी इसलिए वे निर्दोष हैं। निचली अदालत ने शाह समेत 14 गवाहों को बुलाने की उनकी अर्जी को मंजूरी दे दी थी।
 
उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर इसकी अपील पर रोज सुनवाई कर रही हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति हर्षा देवानी तथा न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया की खंडपीठ ने कोडनानी की अर्जी पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा। रोचक तथ्य यह है कि निचली अदालत में कोडनानी की अर्जी का विरोध नहीं करने वाली एसआईटी यानी अभियोजन पक्ष ने हाई कोर्ट में यह कहते हुए उनकी अर्जी का विरोध किया है कि आरोप-पत्र में उल्लेखित सभी गवाहों को बुलाना बाध्यकारी नहीं है। 
 
पटेल ने शाह के अलावा जिन सात लोगों को गवाह के तौर पर बुलाने को कहा है उनमें भाजपा के पूर्व विधायक अमरीश पटेल का नाम भी शामिल है। उनका दावा है कि घटना के दिन वे विधानसभा परिसर में शाह से मिली थीं और बाद में यहां सोला अस्पताल में भी उनसे मिली थीं। उन्होंने अपनी अर्जी को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 391 तथा 311 के तहत दायर किया है। (वार्ता)
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