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Written By अवनीश कुमार
Last Updated : गुरुवार, 12 मार्च 2020 (19:56 IST)

ग्राउंड रिपोर्ट : पोस्टर हटाए योगी सरकार, कोर्ट के आदेश को माने

ग्राउंड रिपोर्ट : पोस्टर हटाए योगी सरकार, कोर्ट के आदेश को माने - Ground report : Yogi government and Posters
लखनऊ। लखनऊ में नागरिक संशोधन बिल को लेकर हुई हिंसा में सरकारी तथा अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों की फोटो व पोस्टर लगाने के मामले को लेकर हाईकोर्ट द्वारा तत्काल पोस्टर-बैनर हटाए जाने के आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई उत्तर प्रदेश सरकार को झटका लग गया है और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर दखलंदाजी करने से इंकार कर दिया। अब कहीं न कहीं यह तय हो गया है कि उत्तरप्रदेश सरकार को प्रदेश में जगह-जगह पर लगाए गए होर्डिंग्स व पोस्टर हटाने पड़ेंगे।
 
पोस्टर लगाने को लेकर आम जनता क्या सोचती है, यह जानने के लिए वेबदुनिया ने हिंसाग्रस्त के क्षेत्रों में जाकर आम लोगों व वरिष्ठ पत्रकारों के साथ-साथ क्षेत्रीय नेताओं से जानने की कोशिश की तो लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रियाएं व्यक्त कीं।
 
वरिष्ठ पत्रकार अतुल कुमार ने वेबदुनिया से बात करते हुए कहा कि हिंसा के दौरान काफी क्षति पहुंची थी और इस हिंसा में मीडिया को भी निशाना बनाया गया था और सरकार की तरफ से जारी किए गए नोटिस के आधार पर वसूली की बात भी कही गई थी, लेकिन खुले मंच पर पोस्टर व बैनर लगाना उचित नहीं है क्योंकि नोटिस में इन लोगों को समय दिया गया था कि क्यों ना आप से जुर्माना वसूला जाए। इसका जवाब इन्हें देना था, लेकिन जल्दबाजी करके सरकार ने गली-मोहल्ले व चौराहे पर हिंसा में शामिल लोगों की फोटो लगा दी।
 
अतुल ने कहा कि मैं यह नहीं कहता हूं इस सरकार का कदम गलत है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया भी कुछ होती है। दायरे में रहकर सरकार को काम करना चाहिए और इसी के चलते माननीय उच्च न्यायालय ने जो आदेश दिए हैं, जो कि न्यायोचित हैं। सरकार को जल्द से जल्द होर्डिंग्स व पोस्टर हटवा देना चाहिए। कानूनी प्रक्रिया के आधार पर ही कार्रवाई करनी चाहिए।
 
अधिवक्ता आयुष सिंह ने वेबदुनिया से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार को कानून के दायरे में रहकर कार्य करना चाहिए और जो भी फैसला हाईकोर्ट ने सुनाया है, उस पर चलकर सरकार को कानून का पालन करना चाहिए। क्योंकि चाहे सरकार हो या फिर मैं सभी कार्य कानून के दायरे में रहना चाहिए। सरकार का दायित्व कोर्ट के आदेश का पालन करवाना है।
 
लखनऊ हजरतगंज के रहने वाले श्यामू त्रिवेदी, अजय व संजय ने बताया कि ज्यादा कुछ तो मुझे जानकारी नहीं है, लेकिन जो कुछ घटना घटित होती रही है उसको मैं अखबारों के माध्यम से पढ़ता रहा हूं। सरकार ने जो भी कदम उठाए थे, वह कहीं ना कहीं सही थे। लेकिन, अब लग रहा है की हाईकोर्ट ने जो भी फैसला लिया है उसमें भी कुछ ना कुछ बात निश्चित ही रही होगी। मैं ज्यादा कानून का जानकार तो नहीं हूं लेकिन सरकार को हाईकोर्ट की बात मानते हुए पोस्टर हटा देने चाहिए। जिन्होंने हिंसा की है, उन पर कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई करनी चाहिए।