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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 18 अक्टूबर 2023 (23:42 IST)

चुनाव से पहले सरकार ने दिया किसानों को तोहफा, गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 150 रुपए बढ़ाया

चुनाव से पहले सरकार ने दिया किसानों को तोहफा, गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 150 रुपए बढ़ाया - Government increased the minimum support price of wheat
Government increased the minimum support price of wheat : सरकार ने बुधवार को विपणन सत्र 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 150 रुपए बढ़ाकर 2275 रुपए प्रति क्विंटल करने की घोषणा की। प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने यह कदम उठाया है।
 
साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार द्वारा एमएसपी में की गई यह सबसे बड़ी वृद्धि है। इसके अलावा रबी की पांच अन्य फसलों- चना, जौ, मसूर, रैपसीड-सरसों के बीज और कुसुम (सैफ्लॉवर) का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाया गया है।
 
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में गेहूं का एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया गया। विपणन सत्र 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,125 रुपए प्रति क्विंटल है। गेहूं रबी (सर्दियों) की मुख्य फसल है, जिसकी बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है, जबकि कटाई अप्रैल में होती है।
 
एमएसपी किसानों के हितों की रक्षा के लिए सुनिश्चित की गई न्यूनतम दर है, जिससे नीचे सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा अनाज नहीं खरीदा जाता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सीसीईए की बैठक के बाद कहा कि मंत्रिमंडल ने 2024-25 सत्र के लिए रबी की छह प्रमुख फसलों का एमएसपी बढ़ाने की मंजूरी दे दी है।
 
उन्होंने कहा, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश के आधार पर हमने छह रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है। गेहूं का एमएसपी 150 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, गेहूं का समर्थन मूल्य 2024-25 विपणन सत्र के लिए 2,275 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो 2023-24 में 2,125 रुपए प्रति क्विंटल था।
 
गेहूं और गेहूं के आटे की उपभोक्ता कीमतें पिछले डेढ़ साल से दबाव में होने के बावजूद इस फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले हुई है। गेहूं और गेहूं के आटे (आटा) की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर मई, 2022 से प्रतिबंध लागू है।
 
गेहूं के एमएसपी में मौजूदा बढ़ोतरी 2015-16 के बाद सबसे ज्यादा है। इससे पिछले चार विपणन सत्रों- 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2023-24 में गेहूं के एमएसपी में 100 से 110 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई थी। खाद्य मुद्रास्फीति पर गेहूं एमएसपी वृद्धि के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि भारत ने कोविड महामारी के दौरान और उसके बाद मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा है।
 
मंत्री के अनुसार, जौ का एमएसपी इस वर्ष के 1,735 रुपए से 115 रुपए बढ़ाकर 2024-25 के लिए 1,850 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। रबी सत्र की दालों में आगामी विपणन सत्र के लिए चने का एमएसपी 105 रुपए बढ़ाकर 5,440 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो 2023-24 के लिए 5,335 रुपए प्रति क्विंटल है। मसूर का एमएसपी 425 रुपए बढ़ाकर 6,000 रुपए प्रति क्विंटल से 6,425 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
 
ठाकुर ने बताया कि तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2024-25 विपणन सत्र के लिए रैपसीड-सरसों के बीज का एमएसपी 200 रुपए बढ़ाकर 5,650 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है, जो 2023-24 सत्र में 5,450 रुपए प्रति क्विंटल है। उन्होंने कहा कि कुसुम का एमएसपी 2024-25 के लिए 150 रुपए बढ़ाकर 5,800 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
 
मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि आम बजट 2018-19 में अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर निश्चित करने की घोषणा के अनुरूप है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार खाद्य सुरक्षा, किसानों की आय बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए तिलहन, दालों और बाजरा की ओर फसल विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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