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Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 12 अक्टूबर 2023 (19:49 IST)

देश में एकसाथ चुनाव को लेकर पूर्व CEC कुरैशी ने दिया यह बयान...

देश में एकसाथ चुनाव को लेकर पूर्व CEC कुरैशी ने दिया यह बयान... - Former Chief Election Commissioner SY Qureshi gave this statement regarding simultaneous elections in the country
Statement of former Chief Election Commissioner SY Qureshi : एक उच्चस्तरीय समिति द्वारा देश में एकसाथ चुनाव कराने की संभावनाएं तलाशे जाने के बीच पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने गुरुवार को कहा कि अगर एकसाथ चुनाव कराने के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वसम्मति नहीं बनती है तो इसे लोगों पर थोपा नहीं जाना चाहिए।
 
कुरैशी ने यह भी उम्मीद जताई कि वर्तमान चुनाव आयुक्त दृढ़ रहेंगे और आगामी चुनाव में आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में कड़ाई के साथ तत्काल कार्रवाई करेंगे। कुरैशी ने अपनी नई पुस्तक ‘इंडियाज एक्सपेरिमेंट विद डेमोक्रेसी : द लाइफ ऑफ ए नेशन थ्रू इट्स इलेक्शन्स’ पर कहा कि पार्टियों द्वारा मुफ्त की सौगातों का वादा करने में कानूनी तौर पर कोई खामी नहीं तलाश सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय भी इस प्रथा को खत्म नहीं करा सका।
 
कुरैशी की किताब को हार्पर कॉलिन्स इंडिया ने प्रकाशित किया है और इसका विमोचन बुधवार को किया गया। यह पुस्तक भारत में चुनावों के इतिहास, प्रक्रियाओं और राजनीति पर गहराई से प्रकाश डालती है। उन्होंने राजनीतिक दलों को धन देने के लिए चुनावी बांड को माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किए जाने पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि इसने चंदा देने की प्रक्रिया को ‘पूरी तरह अपारदर्शी’ बना दिया है।
 
कुरैशी ने कहा, 2017 में तत्कालीन वित्तमंत्री (अरुण जेटली) ने एक भाषण दिया था और उनका पहला वाक्य सुनना बहुत ही सुखद था जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक दलों को चंदा देने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होगी तब तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं। हम भी ठीक यही बात कहते आ रहे हैं।
 
जुलाई 2010 से जून 2012 तक देश के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे कुरैशी ने कहा, उनका दूसरा वाक्य भी मधुर था (मेरे कानों के लिए) कि पिछले 70 वर्षों में हम दलों को चंदा देने में पारदर्शिता नहीं ला पाए हैं। मैंने सोचा था कि उनका तीसरा वाक्य यह होगा कि हम पारदर्शिता लागू करने जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने चुनावी बांड पेश किया और उसने जो भी थोड़ी बहुत पारदर्शिता थी, उसे खत्म कर दिया।
 
कुरैशी ने इस बात पर भी जोर दिया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल को लेकर होने वाली चर्चा एकदम गैरजरूरी और बेकार है। साथ ही, उन्होंने विपक्षी दलों से अन्य संभावित खामियों मसलन मतदाता सूची से छेड़छाड़ आदि पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा।
 
उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस का जिक्र करते हुए कहा, ईवीएम विवाद के बीच मैंने कई बार कहा है कि इस पर प्रश्न उठाने वाले राजनीतिक दल अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं। हाल में मैंने सुना कि एक-दो नेता इस पर प्रश्न उठा रहे हैं और वे उसी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं जिसने हाल में कर्नाटक में चुनाव जीता, जहां ईवीएम के जरिए चुनाव कराए गए थे।
 
देश में एकसाथ चुनाव कराने के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कई वर्षों तक चर्चा हुई है और इसमें नफा-नुकसान दोनों हैं। कुरैशी ने कहा, मैंने कई लेख लिखे हैं जिनमें से कई को पुस्तक में शामिल किया गया है। मैंने दोनों पक्ष रखे हैं। इसमें सही गलत का प्रश्न नहीं है।
 
उन्होंने इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक साथ चुनाव के कई फायदे हैं जैसे बार-बार के चुनावों के खर्च में कटौती होती है। बार-बार के चुनाव का मतलब है कि जिला प्रशासन अपनी सामान्य ड्यूटी के बजाए चुनाव ड्यूटी करेंगे।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, लेकिन सबसे जरूरी बात जिसका जिक्र राजनीतिक कारणों से नहीं किया गया था लेकिन मैं उसका जिक्र करना चाहूंगा कि चुनाव के दौरान सांप्रदायिकता, जातिवाद और भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच जाते हैं, तो इसलिए अगर हम हर वक्त चुनाव मोड में रहेंगे तो ये बुराइयां राजनीति पर हावी रहेंगी, जो दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी। इसलिए शायद पांच वर्ष में एक बार चुनाव अच्छा विचार है।
 
उन्होंने कहा कि दूसरा पक्ष यह है कि हो सकता है कि संवैधानिक रूप से यह संभव नहीं हो क्योंकि यदि किसी राज्य की सरकार किसी भी कारण से एक वर्ष में गिर जाती है, तो उस राज्य को चार वर्ष तक राष्ट्रपति शासन में नहीं रखा जा सकता। कुरैशी ने कहा, इसी प्रकार से अगर लोकसभा में सरकार गिर जाती है जैसे वाजपेयी की सरकार 13 दिन में गिर गई थी, तो आप क्या करेंगे?
 
उन्होंने कहा कि संघवाद के लिए आवश्यक है कि राज्य को अपनी राजनीति का अनुसरण करना चाहिए और जिस तरह से यह चल रहा है, वह ठीक है। मुफ़्त की रेवड़ियों पर बहस और वर्तमान सीईसी राजीव कुमार की हाल की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कुरैशी ने कहा कि कोई भी चुनाव से पहले ऐसे वादे करने वाली पार्टियों में कानूनी तौर पर खामी नहीं निकाल सकता।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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