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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 14 मई 2020 (09:03 IST)

नजरिया : छोटे और मझोले उद्योगों को सीधे मदद देने में चूक गईं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण

अर्थशास्त्री और बाजार विशेषज्ञ आदित्य मानियां जैन से खास बातचीत

नजरिया : छोटे और मझोले उद्योगों को सीधे मदद देने में चूक गईं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण - Finance Minister Nirmala Sitharaman Measures announced for MSME
कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के 20 लाख करोड़ के पैकेज के पहले चरण में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को 15 बड़ी घोषणाएं की। वित्तमंत्री ने लगभग दो घंटे चली प्रेस क्रॉन्फेंस में छोटे और मझोले उद्योगों (MSME) के लिए 6 बड़ी घोषणाएं की। वित्तमंत्री ने छोटे उद्योगों के लिए तीन लाख करोड़ के आसान लोन पैकेज का भी एलान किया। 
 
सबसे बुरे दौर से गुजर रहे छोटे और मझोले उद्योगों के लिए वित्तमंत्री के एलानों को अर्थव्यवस्था और बाजार  के जानकर मिला जुला करार दे रहे है। वेबदुनिया से बातचीत में आर्थिक विशेषज्ञ आदित्य मनियां जैन कहते हैं कि वित्तमंत्री ने जितने एलान किए है वह आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में सही कदम है लेकिन वित्तमंत्री कोरोना संकट से जूझ रहे छोटे और मझोले उद्योगों को सीधे मदद देने में चूक गई। 

आज जरूरत इस बात की थी सरकार कुटीर,छोटे और मझोले उद्योगों के लिए कुछ ऐसे एलान करती जिसका उन्हें सीधे फायदा होता।  छोटे और लघु उद्योग जहां बड़े पैमाने पर मजदूरों को रोजगार मिलता है उसको बचाने की जरुरत थी। कोरोना संकट के चलते आज इन छोटे और मझोले उद्योगों के पास न तो पूंजी बची है और न ही कामगार ऐसे में इनको फिर से खड़ा करने में पसीने छूट जाएंगे। 
 
आदित्य मानियां जैन कहते हैं कि आज सबसे बड़ा संकट छोटे और मझोले उद्योगों के पास वर्किंग कैपिटेल खत्म होने से खड़ा हो गया है। छोटे और मझोले उद्योग जो सरकार से सीधे मदद की मांग कर रहे थे उनको वित्तमंत्री के इस एलान के बाद निराश ही हाथ लगी है। 
 
सिंगापुर मॉडल पर मदद देती सरकार – वेबदुनिया से बातचीत में बाजार विशेषज्ञ आदित्य मनियां जैन कहते हैं सरकार को कोरोना संकट से जूझ रहे उद्योगों को बचाने के लिए और फिर से खड़ा करने के लिए सिंगापुर मॉडल अपनाना चाहिए। 

वित्तमंत्री को सिंगापुर मॉडल की तरह उद्योगों और उसके कर्मचारियों को डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम के तहत कुछ राहत देना चाहिए थी। इसके साथ सरकार को छोटे उद्योगों के बिजली के बिल और उनके लोन पर लगने वाले ब्याज को कुछ महीनों के लिए माफ करने का एलान करना चाहिए। 
 
वित्तमंत्री को छोटे और मझोले उद्योग जो लॉकडाउन के चलते काफी संकट से जूझ रहे है उसके लिए कुछ ऐसे एलान करने थे जिसके उनको सीधे मदद मिलती। वित्तमंत्री ने तीन लाख करोड़ के जिस पैकेज का एलान किया है वह बैकों के जरिए होगा जिसका सीधा और तुरंत कोई फायदा नहीं छोटे और मझोले उद्योगों को नहीं मिलेगा।

वेबदुनिया से बातचीत में आदित्य मानियां जैन कहते हैं कि वित्तमंत्री ने जो एलान किए है उससे आर्थिक पाहिया जरूर घूमेगा लेकिन इसका असर अभी तुरंत नहीं दिखेगा। इसका असर तीन महीने से एक साल तक दिखाई देगा। वित्तमंत्री ने टीडीएस में जो 25 फीसदी की कमी और लटके हुए रिफंड में रिलीज की बात की उससे जरूर बाजार में पैसा आ जाएगा और लिक्विडिटी बढ़ जाएगी।