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Last Updated :नई दिल्ली , मंगलवार, 31 जुलाई 2018 (08:43 IST)

खतना पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल, सिर्फ पतियों को खुश करने के लिए नहीं हैं महिलाएं

खतना पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल, सिर्फ पतियों को खुश करने के लिए नहीं हैं महिलाएं - female genital mutilation is totally illegal says supreme court
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में नाबालिग लड़कियों के खतना की कुप्रथा पर सवाल उठाते हुए कहा कि महिलाओं को उस स्तर तक वशीभूत नहीं किया जा सकता है, जहां उन्हें सिर्फ अपने पति को खुश करना होता है।
 
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव पर रोक) समेत मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया और कहा कि किसी व्यक्ति को अपने शरीर पर नियंत्रण का अधिकार है। पीठ इस कुप्रथा पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
 
पीठ ने तब आश्चर्य जताते हुए कहा, 'जब आप महिलाओं के बारे में सोच रहे हों (तब) आप रिवर्स गियर में कैसे जा सकते हैं।'
 
केंद्र की ओर से उपस्थित अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार इस कुप्रथा के खिलाफ दायर याचिका का समर्थन करती है।
 
पीठ ने कहा, 'चाहे यह (एफजीएम) कैसे भी किया जाता हो, मुद्दा यह है कि यह मौलिक अधिकारों और खासतौर पर अनुच्छेद 15 का उल्लंघन करता है।' पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं।
 
पीठ ने कहा, 'यह आपके जननांग पर आपके नियंत्रण के लिए आवश्यक है। यह आपके शरीर पर आपका नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं।'
 
पीठ ने कहा कि महिलाओं को ऐसी कुप्रथा के वशीभूत किया गया है जो उन्हें ऐसे स्तर तक पहुंचाती है जहां उन्हें केवल 'अपने पतियों को खुश करना' होता है। (भाषा) 
 
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