शुक्रवार, 27 सितम्बर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Everest Climbing
Written By
Last Modified: रविवार, 2 जून 2019 (19:53 IST)

'मौत' का कारोबार बनता जा रहा है एवरेस्ट पर चढ़ाई, 'ट्रैफिक जाम' से जा रही है पर्वतारोहियों की जान

'मौत' का कारोबार बनता जा रहा है एवरेस्ट पर चढ़ाई, 'ट्रैफिक जाम' से जा रही है पर्वतारोहियों की जान - Everest Climbing
लखनऊ। कृत्रिम पैर के सहारे एवरेस्ट फतेह करने वाली विश्वरिकॉर्डधारी अरुणिमा सिन्हा ने इस साल एवरेस्ट पर्वतारोहियों की ताबड़तोड़ मौतों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि इस दुश्वारी भरे सफर को कारोबार बना दिया गया है और इसे हर हाल में रोकना होगा।
 
अरुणिमा ने रविवार को बातचीत में कहा कि इस साल एवरेस्ट के सफर में 10 रिपीट 10 से ज्यादा लोगों के मरने की खबर परेशान करने वाली है। सबसे दुखदायी बात यह है कि एवरेस्ट को कारोबार बना दिया गया है, इसे रोकना होगा।
 
उन्होंने कहा कि आज बड़ी संख्या में ऐसे लोग एवरेस्ट के अभियान पर निकलने जा रहे हैं, जो कोई पहाड़ी तक पर नहीं चढ़े। बिना प्रशिक्षण के एवरेस्ट के सफर पर निकलना मौत को दावत देने के बराबर है। मगर आज तो लोग सिर्फ नाम कमाने के लिए एवरेस्ट पर जा रहे हैं। ऐसे लोगों को बेहिचक परमिट दिए जा रहे हैं। एवरेस्ट को पिकनिक स्पॉट बना दिया गया है।
 
मालूम हो कि गत 14 मई को शुरू हुए इस सत्र में एवरेस्ट के सफर पर जाने वाले कम से कम 10 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। इनमें से कुछ की एवरेस्ट पर चढ़ते वक्त तो कुछ की उतरते समय मौत हुई। बुधवार को 200 से ज्यादा पर्वतारोही एवरेस्ट पर चढ़े, जो किसी एक दिन में एवरेस्ट पर पहुंचे लोगों की संख्या का नया रिकॉर्ड है।
 
एक कृत्रिम पैर से एवरेस्ट फतेह करने वाली दुनिया की एकमात्र महिला अरुणिमा ने कहा कि एवरेस्ट के सफर को मौत की यात्रा बनने से रोकने के लिए ठोस इंतजाम किए जाने चाहिए। इसके लिए नेपाल सरकार को सबसे ज्यादा सावधानी बरतनी होगी।
 
ऐसे किसी भी व्यक्ति को एवरेस्ट पर नहीं जाने देना चाहिए, जिसने कभी पर्वतारोहण नहीं किया और न ही कभी इसका प्रशिक्षण लिया। उन्होंने कहा कि बछेंद्री पाल और अन्य मशहूर पर्वतारोहियों को आगे आकर नए लोगों को सही दिशा देने की जरूरत है। पद्मश्री से सम्मानित अरुणिमा ने कहा कि इस बार भी एवरेस्ट पर 'ट्रैफिक जाम' हो गया था, जिसकी तस्वीर सारी दुनिया ने देखी।
 
ऐसी स्थिति को रोकने के लिए नेपाल सरकार और वहां की एजेंसियों को तालमेल से काम करना होगा ताकि लोग बारी-बारी से ही जाएं। ऐसा न होने की वजह से लोगों को लाइन लगानी पड़ती है।
 
भयंकर ठंड में घंटों खड़े रहने की वजह से पर्वतारोहियों के शरीर में खून का प्रवाह कम होने लगता है। उनके पैर जमने लगते हैं। अंत में जब आगे बढ़ने की बारी आती है तो उससे पहले ही उनकी मौत हो जाती है।
 
मालूम हो कि नेपाल ने इस सत्र में एवरेस्ट पर आरोहण के लिए रिकॉर्ड 381 परमिट जारी किए हैं। इसके लिए प्रति व्यक्ति 11 हजार डॉलर वसूले गए हैं।

एवरेस्ट का रास्ता गत 14 मई को खोला गया था। तब से लेकर अब तक इस सफर में 10 से ज्यादा पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है। माना जा रहा है कि दुश्वारी भरे मौसम में पर्वतारोहियों की अत्यधिक भीड़ के कारण विषम हुए हालात के कारण उनकी मृत्यु हुई है। (Photo courtesy : Twitter)