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Last Modified: गुरुवार, 15 मई 2025 (08:30 IST)

क्या US राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की निगाह नोबेल शांति पुरस्कार पर है?

Nobel Peace Prize
Nobel Peace Prize for US President Donald Trump:  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बड़बोलेपन से पूरी दुनिया वाकिफ है, लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल से पहले और उसके बाद जिस तरह से वे कदम उठा रहे हैं, उससे लगता है कि वे हर हाल में नोबेल शांति पुरस्कार पाना चाहते हैं। हालांकि दुनिया के सबसे ताकतवर देश माने जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए यह बड़ी बात नहीं है। क्योंकि बराक ओबामा को राष्ट्रपति बनने के कुछ ही महीनों बाद यह महत्वपूर्ण पुरस्कार मिल गया था। 
 
हालांकि ट्रंप ने इस बारे में खुलकर कोई अच्छा जाहिर नहीं की है, लेकिन जिस तरह से वे काम कर रहे हैं, उसका संदेश तो यही जा रहा है कि वे शांति का नोबेल पुरस्कार पाना चाहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव से पहले उन्होंने दावा किया वे रूस और यूक्रेन का युद्ध खत्म करवा देंगे, फिलिस्तीन और इजराइल के बीच जारी जंग को भी चुटकियों में खत्म करवा देंगे। हालांकि उनके कार्यकाल को 100 दिन से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन वे अपने दोनों ही वादों में खरे नहीं उतर पाए हैं। 
 
हालांकि ऐसा नहीं है कि राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को समाप्त कराने का प्रयास नहीं किया, लेकिन उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उन्होंने समझाने और यहां तक कि धमकाने की कोशिश भी की थी, लेकिन बात नहीं बनी। ट्रंप ने हाल ही में पुतिन की आलोचना करते हुए कहा कि पुतिन शायद युद्ध रोकना नहीं चाहते। उन्होंने आरोप लगाया कि रूस रिहाइशी इलाकों में मिसाइल दाग रहा है। उन्‍होंने कहा कि पुतिन से अलग तरीके से निपटना होगा। फिलिस्तीन में भी इजराइल के हमले लगातार जारी हैं। ऐसे में दोनों ही जगह पुतिन के मन की नहीं हो सकी। 
 
बिल्ली के भाग से छींका टूटा : ट्रंप को इसकी तो कल्पना भी नहीं होगी कि 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान एकदम आमने-सामने हो जाएंगे। इसे 'बिल्ली के भाग से छींका टूटना' ही कहेंगे कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेते हुए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में आतंकवादी ठिकानों पर हमला बोल दिया। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत पर ड्रोन अटैक किए। एक बार तो लगा कि दोनों देशों के बीच युद्ध का आगाज हो गया, लेकिन 10 मई को अचानक युद्धविराम की घोषणा हो गई। दूसरे शब्दों में कहें तो 'दो बिल्लियों की लड़ाई में बंदर का फायदा' हो गया। 
 
युद्ध रुकवाने का श्रेय अमेरिका को : इस घोषणा से पहले ही ट्रंप की एक्स पर पोस्ट आती है, जिसमें वे दावा करते हैं कि उनके प्रयासों से युद्धविराम हुआ है। हालांकि भारत ने ट्रंप के दावे को झूठा बताया। भारत ने कहा पाकिस्तान और भारत के डीजीएमओ स्तर पर हुई बातचीत के बाद युद्धविराम पर सहमति बनी। लेकिन, ट्रंप की पोस्ट से पूरे भारतीय चौंक गए। ट्रंप भारत-पाक युद्ध रुकवाने की बात पर बार-बार जोर दे रहे हैं। नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र को संबोधन के ठीक पहले भी उन्होंने यही कहा। युद्ध रुकवाने का श्रेय उन्होंने अमेरिका को दिया। 
 
ट्रंप का लगातार एक ही बात पर जोर : सऊदी अरब दौरे पर भी ट्रंप ने एक बार फिर (पांचवीं) बार यही राग अलापा। उन्होंने कहा- जो हो रहा था वह मुझे अच्छा नहीं लग रहा था और आप जानते हैं कि वे दो बहुत ही परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। उनके पास परमाणु हथियार हैं। लाखों लोगों की जानें जा सकती थीं। मैंने सोचा कि मुझे बीच में आना चाहिए। ट्रंप ने कहा- मैंने अच्छा काम किया। विदेश मंत्री मार्को रूबियो और उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने अच्छा काम किया। मुझे लगता है कि हमने उन्हें इस बात के लिए राजी कर लिया कि चलो शांति बनाए रखें और व्यापार समझौते करें।
 
वैसे ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिल भी जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी क्योंकि बराक ओबामा को तो अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के 6 महीने के भीतर ही नोबेल पुरस्कार मिल गया था। हालांकि यह आने वाला वक्त ही बताएगा कि ट्रंप अपने प्रयासों में कितने सफल होते हैं। हालांकि यदि वे रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकवा देते हैं, तो इस पुरस्कार के निर्विवाद दावेदार भी हो सकते हैं। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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