नोटबंदी की मार प्रवासी भारतीयों पर भी, रिजर्व बैंक में लगी कतार
नई दिल्ली। नोटबंदी की मार प्रवासी भारतीयों तथा भारतीय मूल के लोगों पर भी देखने को मिल रही है जो कि 500 व 1000 रुपए के पुराने नोटों को बदलवाने के लिए रिजर्व बैंक की पांच मानद शाखाओं के बाहर कतारों में लगे हैं। हालांकि लेकिन नोट बदलवाने की कड़ी शर्तों के चलते इनमें से अनेक लोगों को निराश लौटना पड़ रहा है।
केंद्रीय बैंक की शाखाओं के बाहर कई बार माहौल तनावपूर्ण हो जाता है जबकि दूरदराज से आने वाले लोगों को केंद्रीय बैंक के गार्ड अंदर नहीं जाने देते। गार्ड का कहना होता है कि उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं। अनेक एनआरआई की शिकायत है कि उन्हें अधिकारियों से बात ही नहीं करने दी जा रही जो कि कम से कम उनकी चिंताओं को सुन तो लें।
अमेरिका में रहने वाली रीतू दीवान ने कहा, 'भले ही मेरे पास विदेशी पासपोर्ट हो लेकिन मेरी जड़ें तो भारत में हैं। हमारा परिवार हर साल भारत आता है। हमारे पास कुछ भारतीय नोट हैं जिन्हें हम बदलना चाहते हैं लेकिन हमें आरबीआई में जाने की अनुमति नहीं मिली। प्रधानमंत्री क्या चाहते हैं कि हम अपने पास मौजूद पुराने नोटों को जला दें?' उन्होंने कहा कि यह अनावश्यक दिक्कतें इस बात का संकेत है कि पीआईओ का इस देश में अब वजूद नहीं है।
अमेरिका के ही एक अन्य नागरिक धर्मवीर ने कहा कि पीआईओ आमतौर पर कुछ भारतीय मुद्रा अपने पास रखते हैं क्योंकि वे प्राय: यहां आते रहते हैं और हर बार विनिमय कमीशन देने का तुक नहीं बनता।
उन्होंने कहा कि प्राय: भारत आने वाले पीआईओ के पास 50,000 से लेकर एक लाख रपये तक की राशि होना आम बात है लेकिन यह कोई कालाधन नहीं है। सरकार चाहे तो यह सिद्ध करे और इसे जब्त करे।
पीआईओ व एनआरआई के साथ साथ आम भारतीय नागरिक भी जो नोटबंदी के दौरान पुराने नोट जमा नहीं करवा पाए या बदलाव नहीं पाए रिजर्व बैंक की शाखाओं से निराश लौट रहे हैं। (भाषा)