रविवार, 29 सितम्बर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Delhi NCR Pollution Air Quality deteriorates to 'Severe' category
Written By
Last Modified: शुक्रवार, 3 नवंबर 2023 (08:27 IST)

दिल्ली NCR में स्मॉग का कहर, ग्रैप का तीसरा चरण लागू, क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण?

दिल्ली NCR में स्मॉग का कहर, ग्रैप का तीसरा चरण लागू, क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण? - Delhi NCR Pollution  Air Quality deteriorates to 'Severe' category
Delhi NCR Pollution : दिल्ली NCR में आज भी धुंध छायी हुई है। जहरीली हवा के चलते राजधानी में ग्रैप-3 को लागू करने का फैसला लिया गया। 2 दिन के लिए स्कूल बंद कर दिए गए हैं। प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार ने दोपहर 12 बजे आपात बैठक बुलाई है।
 
दिल्ली में आज सुबह AQI लेवल 450 था। लोधी रोड समेत कई क्षेत्रों में AQI लेवर गंभीर बना हुआ है। स्थिति से निपटने के लिए MCD ने यहां पानी का झिड़काव भी किया। नोएडा के सेक्टर 62, सेक्टर 1 और सेक्टर 116 में AQI लेवल गंभीर स्थिति में पहुंच गया। 
 
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनजर दिल्ली के सभी सरकारी और निजी प्राथमिक विद्यालय अगले दो दिन तक बंद रहेंगे।
 
वैज्ञानिकों ने अगले दो सप्ताह में प्रदूषण और बढ़ने का अनुमान जताया है। मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा, 'प्रदूषण के बढ़ते स्तर मद्देनजर, दिल्ली के सभी सरकारी और निजी प्राथमिक विद्यालय अगले दो दिन तक बंद रहेंगे।'
 
निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध : केंद्र सरकार ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। दरअसल राष्ट्रीय राजधानी में आसमान धुएं की एक मोटी परत से छिप गया और प्रदूषण का स्तर इस मौसम में पहली बार 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया। वहीं, चिकित्सकों ने सांस संबंधी समस्याओं के बढ़ने की चेतावनी जारी की। दिल्ली सरकार ने हालात की समीक्षा के लिए शुक्रवार को एक आपात बैठक बुलाई है।
 
निर्माण कार्यों पर रोक और सडक़ों किनारे पानी के छिडकाव के बावजूद हरियाणा के जींद में हवा जहरीली बनी हुई है। जींद का एक्यूआई गुरुवार को 416 दर्ज किया गया, जिसके चलते वातावरण पूरे दिन धुएं जैसा रहा।
 
इन राज्यों में जहरीली हवा : सिर्फ दिल्ली ही नहीं पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हवा जहरीली पाई गई। हरियाणा और पंजाब में कई स्थानों पर गुरुवार को एक्यूआई 'खराब' और 'बहुत खराब' श्रेणियों में दर्ज किया गया।
 
एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
 
इन स्थानों पर पीएम2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से छह से सात गुना अधिक रही।
 
स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा तथा फेफड़ों से संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं।
 
क्या है लोगों को सलाह : सफदरजंग अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्रमुख जुगल किशोर ने कहा कि यह सलाह दी जाती है कि क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोग अपनी दवाएं नियमित रूप से लें और जब तक बहुत जरूरी न हो, खुले में न जाएं। उन्होंने लोगों को अपने घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह दी।
 
क्या हैं प्रदूषण के कारण : हाल के दिनों में प्रदूषक तत्वों के जमा होने के पीछे एक प्रमुख कारण मानसून के बाद बारिश का न होना है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को कहा था कि जिन क्षेत्रों में एक्यूआई लगातार पांच दिनों 400 अंक से अधिक दर्ज किया गया वहां सरकार निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाएगी ।
 
सरकार ने वाहन प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ’ अभियान की शुरुआत की है और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने और वाहन प्रदूषण कम करने के लिए 1,000 निजी सीएनजी बसें किराए पर लेने की योजना बनाई है।
 
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, क्योंकि इस समय पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले बढ़ जाते हैं।
 
पंजाब सरकार का लक्ष्य, इस साल सर्दियों में पराली जलाने के मामलों में 50 प्रतिशत तक कमी लाना है और छह जिलों में इन मामलों को पूरी तरह खत्म करना है, जिनमें होशियारपुर, मलेरकोटला, पठानकोट, रूपनगर, एसएएस नगर (मोहाली) और एसबीएस नगर शामिल हैं।
 
पराली जलाने से बढ़ा खतरा : हरियाणा का अनुमान है कि राज्य में लगभग 14.82 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है। इससे 73 लाख टन से अधिक धान का भूसा उत्पन्न होने की उम्मीद है। राज्य इस वर्ष पराली जलाने के मामलों को पूरी तरह रोकने का प्रयास कर रहा है।
 
पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक संख्यात्मक मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार, वर्तमान में शहर की खराब वायु गुणवत्ता में वाहन उत्सर्जन (11 प्रतिशत से 15 प्रतिशत) और पराली जलाने (सात प्रतिशत से 15 प्रतिशत) का सबसे ज्यादा योगदान है। (एजेंसियां)
 
ये भी पढ़ें
Weather Updates: हिमाचल में होगी बारिश व बर्फबारी, दक्षिण भारत में वर्षा