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Last Updated : बुधवार, 6 जून 2018 (09:55 IST)

रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, सेना के लिए धन की कमी नहीं

रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, सेना के लिए धन की कमी नहीं - Defense Minister Nirmala Sitharaman Army
नई दिल्ली। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सेना को धन की कमी संबंधी रिपोर्टों को खारिज करते हुए आज कहा कि बीते चार साल में सेना को पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। रक्षा मंत्री का यह बयान संसदीय समिति के इस निष्कर्ष पर आया है कि देश की तीनों सशस्त्र सेनाएं धन की भारी कमी का सामना कर रही हैं।

इस निष्कर्ष को खारिज करते हुए सीतारमण ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सशस्त्र सेनाओं को गोला बारूद की किसी भी तरह की कमी नहीं है जैसा कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में देखा गया था। उन्होंने कहा कि अगर आप 2004-05 से विचार करें तो रक्षा खर्च 2017-18 में सबसे अधिक रहा है।

इसी तरह यह खर्च 2016-17 में यह दूसरा सबसे अधिक व 2015-16 में तीसरा सबसे अधिक रहा। 2004-05 के बाद से चौथा सबसे बड़ा रक्षा खर्च 2014-15 में रहा। ’उल्लेखनीय है कि रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने मार्च में थलसेना , वायुसेना व नौसेना को अपर्याप्त धन आवंटन के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की थी। इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बी सी खंडूड़ी हैं। 

सेना ने समिति को बताया कि उसके पास धन की भारी कमी है और उसे आपातकालीन खरीद के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ रहा है जबकि चीन व पाकिस्तान अपनी सेनाओं के आधुनिकीरकण में ‘तेजी से जुटे हैं। तत्कालीन उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरत चंद ने समिति से कहा कि धन के अपर्याप्त आवंटन से सेना की आधुनिकीकरण योजना प्रभावित होगी।

शरत चंद ने इस बारे में चीनी सेना की तैयारियों की ओर इशारा किया।  एक सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री सीतारमण ने बजटीय आंकड़ों का जिक्र किया और कहा कि सशस्त्र सेनाओं को धन की किसी तरह की कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में रक्षा सेनाओं के लिए पूंजी परिव्यय 86,740 करोड़ रुपए जबकि वास्तविक खर्च 79,125 करोड़ रुपए रहा। वहीं 2014- 15 में पूंजी आवंटन 94,588 करोड़ रुपए रहा जबकि वास्तविक खर्च 81,886 करोड़ रुपए रहा। 

वर्ष 2015-16 में रक्षा सेनाओं के लिए पूंजी आवंटन 94,588 करोड़ रुपए रखा गया जबकि इस दौरान वास्तविक खर्च 79,958 करोड़ रुपए रहा। इसी तरह 2016-17 में रक्षा क्षेत्र के लिए पूंजी परिव्यय 86,340 करोड़ रुपए व वास्तविक खर्च 86,370 करोड़ रुपए रहा। सीतारमण ने कहा कि मैं इस मिथक को तोड़ना चाहूंगी कि दिया गया धन पहले की तुलना में कम है।

यह पूछे जाने पर कि क्या अधिक धन मांगने के मामले में सेना का रुख ‘अतार्किक’है , मंत्री ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि सेना मुख्यालयों को अपनी खरीद को युक्तिसंगत बनाना चाहिए ताकि नयी प्रौद्योगिकी की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

उन्होंने कहा कि सशस्त्र सेनाओं को अपनी जरूरतों की सूची की समीक्षा करनी चाहिए क्योंकि कई नईप्रौद्योगिकीयां आई है ऐसे में कुछ उपकरण ऐसे हो सकते हैं जिनकी अब जरूरत नहीं रह गई हो। सीतारमण ने कहा कि सर्विस मुख्यालय को वित्तीय अधिकार दिए गए हैं और यही वजह है कि पिछले चार साल के दौरान सेनाओं को गोलाबारूद की कोई कमी नहीं हुई है। (भाषा)