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Last Updated :नई दिल्ली , शनिवार, 17 जून 2023 (01:25 IST)

चक्रवात बिपरजॉय मानसून को आगे बढ़ाने में कर सकता है मदद

चक्रवात बिपरजॉय मानसून को आगे बढ़ाने में कर सकता है मदद - Cyclone Biparjoy can help advance the monsoon
Monsoon in India: मौसम वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को कहा कि अरब सागर से उठे चक्रवात बिपरजॉय के कारण उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में रविवार से बारिश के आसार हैं। साथ ही वैज्ञानिकों ने बिपरजॉय के पूर्वी भारत में मानसून को आगे बढ़ाने में मददगार होने की संभावना जताई है। पूर्वी भारत फिलहाल भीषण गर्मी की चपेट में है।
 
बंगाल की खाड़ी के ऊपर किसी मौसम प्रणाली की अनुपस्थिति के कारण गत 11 मई से ही मानसून की गति मंद है। उन्होंने कहा कि चक्रवात बिपरजॉय ने दक्षिण-पश्चिम मानसून की गति को प्रभावित किया है। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि बिपरजॉय के शेष हिस्से के उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ने की संभावना है जिससे मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में बारिश हो सकती है।
 
क्या प्रणाली मानसून को पूर्वी भारत में आगे बढ़ने में मदद कर सकती है? इसके जवाब में भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि ऐसा हो सकता है...हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। यहां कुछ अन्य घटक भी हो सकते हैं जैसे कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के ऊपर भूमध्य पारीय (क्रॉस इक्वेटोरियल) प्रवाह में बढ़ोतरी। चक्रवात के शेष हिस्से के अलावा यह भी मानसून को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।
 
उन्होंने कहा कि 18 जून से 21 जून तक पूर्वी भारत और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने के लिहाज से परिस्थितियां अनुकूल होंगी। निजी पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पालावत ने कहा कि राजस्थान में भारी वर्षा कराने के बाद यह प्रणाली 20 जून से मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बारिश का कारण बनेगी। यह मानसूनी हवाओं को खींचेगी और मानसून को पूर्वी भारत में आगे बढ़ने में मदद करेगी।
 
भारत में मानसून ने इस साल सामान्य से एक हफ्ते की देरी से 8 जून को केरल तट पर दस्तक दी। कुछ मौसम विज्ञानी इस देरी और केरल में मानसून के नरम रहने का कारण चक्रवात को बता रहे हैं, लेकिन आईएमडी का मत इससे अलग है। मानसून ने अब तक पूरे पूर्वोत्तर, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों, कर्नाटक, बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को अपने चपेट में ले लिया है।
 
शोध से पता चलता है कि केरल में मानसून के पहुंचने में देरी का अनिवार्य रूप से यह मतलब नहीं है कि उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून के पहुंचने में देरी होगी। हालांकि, केरल में मानसून के देरी से पहुंचने का कम से कम दक्षिणी राज्यों और मुंबई के ऊपर मानसून के छाने में देरी से आमतौर पर संबंध रहा है।
 
वैज्ञानिकों ने कहा कि केरल में मानसून के देरी से पहुंचने का देशभर में होने वाली कुल बारिश की मात्रा पर असर नहीं पड़ता। इसके पहले आईएमडी ने कहा था कि अल-नीनो परिस्थिति के विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में भारत में सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है।
 
अल-नीनो का संबंध आमतौर पर भारत में कमजोर मानसून और शुष्क मौसम से जोड़ा जाता है। अल-नीनो का आशय दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर का जल गर्म होने से है, लेकिन आईएमडी ने यह भी कहा है कि सभी अल-नीनो वर्ष मानसून के लिहाज खराब नहीं रहे हैं। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala