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  4. Courts not a panacea for everything that goes wrong: Supreme Court
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Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 28 जुलाई 2023 (23:16 IST)

अदालतें हर गलत चीज के लिए ‘रामबाण’ नहीं : सुप्रीम कोर्ट

supreme court
supreme court news: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को 2019 में कई राज्यों में कॉर्पोरेट अस्पतालों से जुड़े 'बड़े पैमाने पर' और 'सुव्यवस्थित' गुर्दा प्रतिरोपण घोटाले की शिकायतों की सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग वाली दो साल पुरानी याचिका पर विचार करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि अदालतें सभी गलत चीजों के लिए 'रामबाण' नहीं हो सकतीं।
 
न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि अदालत हर चीज करने की कोशिश करने वाली एक सर्वव्यापी प्रणाली की तरह नहीं हो सकती। पीठ ने कहा कि यह पुलिस और कार्यकारी तंत्र के देखने के लिए प्रशासनिक मुद्दा है।

23 माह के बच्चे की याचिका : शीर्ष अदालत ने अगस्त 2019 में 23 महीने के एक बच्चे की याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था। बच्चे ने अपनी मां के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
 
बच्चा ‘वेस्ट सिंड्रोम’ से पीड़ित था। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चों को दौरे पड़ते हैं तथा उन्हें बौद्धिक और विकासात्मक दिव्यांगता होती है। एक निजी अस्पताल में उसके जन्म के समय इस बीमारी ने उसे मानसिक रूप से दिव्यांग बना दिया था।
 
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सचिन जैन ने पीठ को 2023 में कथित गुर्दा गिरोह के 5 हालिया मामलों के बारे में बताया और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेएस वर्मा समिति की जनवरी 2013 की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें बच्चों को जबरन श्रम, यौन शोषण और अवैध मानव अंग व्यापार का शिकार बनाए जाने का मुद्दा उठाया गया था।
 
केन्द्र से अनुरोध : पीठ ने कहा, हम याचिका पर आगे विचार करने के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन प्रतिवादियों (केंद्र और अन्य) से अनुरोध करते हैं कि वे याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे पर गौर करें और आवश्यक कार्रवाई करें, खासकर न्यायमूर्ति जेएस वर्मा समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए। (भाषा)
 
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