धन शोधन मामला : अदालत ने अनिल देशमुख के सहायकों की हिरासत 6 जुलाई तक बढ़ाई
मुंबई। विशेष पीएमएलए अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख से जुड़े 100 करोड़ रुपए के रिश्वत के आरोपों से संबंधित धन शोधन के मामले में उनके 2 सहायकों की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत गुरुवार को 6 जुलाई तक बढ़ा दी।
देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को प्रवर्तन निदेशालय ने 6 जून को गिरफ्तार किया था। इससे पहले, नागपुर और मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता देशमुख और उनके सहायकों के परिसरों पर छापेमारी की गई थी। दोनों सहायकों के खिलाफ धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था।
इन दोनों की हिरासत की अवधि खत्म होने पर उन्हें गुरुवार को विशेष पीएमएलए अदालत के सामने पेश किया। विशेष अदालत के न्यायाधीश एसएम भोसले ने दलीलें सुनने के बाद दोनों की हिरासत छह जुलाई तक बढ़ा दी।दोनों आरोपियों की हिरासत बढ़ाने का अनुरोध करते हुए निदेशालय ने अदालत से कहा कि शिंदे ने बयान दर्ज कराने में सहयोग नहीं किया और अस्पष्ट जवाब दिए। दलील में कहा गया कि दूसरी एजेंसियों के पास मौजूद कॉल रिकॉर्ड और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संबंध में पूछताछ की जरूरत है।
पलांडे के बारे में केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि उन्होंने अपने बयान में कहा है कि पुलिस अधिकारियों खासकर आईपीएस के तबादले में देशमुख की भूमिका थी। निदेशालय ने कहा कि जांच के दौरान पता चला कि पुलिस अधिकारी और आईपीएस अधिकारियों के तबादले के संबंध में एक बैठक हुई थी और एक गैर आधिकारिक सूची बनाई गई थी और उस संबंध में पूछताछ की जरूरत है।
ईडी ने कहा, मामले में नए तथ्य सामने आए हैं और संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज करने की जरूरत है।जांच एजेंसी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों, पलांडे और पूर्व गृहमंत्री के बीच जुड़ाव का पता लगाने के लिए जांच की जरूरत है। अदालत ने मामले में आगे जांच के लिए छह जुलाई तक ईडी की उनकी हिरासत बढ़ा दी। केंद्रीय एजेंसी ने पूर्व में अदालत को बताया था कि धन शोधन में दोनों ने देशमुख का सहयोग किया था।
शिंदे की हिरासत का विरोध करते हुए उनके वकील मेहुल ठक्कर ने कहा कि जांच एजेंसी विरोधाभासी तथ्य सामने रख रही है और वह आरोपी व्यक्तियों को फंसाने का प्रयास कर रही है। पलांडे की तरफ से पेश अधिवक्ता शेखर जगताप ने कहा कि अदालत के सामने रखे गए तथ्य सही नहीं हैं और मनगढ़ंत कहानी तैयार की गई है।
अदालत ने विशेष लोक अभियोजक की दलील पर सहमति जताई कि आरोपी व्यक्तियों का सचिन वाजे (पूर्व पुलिसकर्मी), अन्य गवाहों और स्थानांतरित किए गए पुलिस अधिकारियों से आमना-सामना कराए जाने की जरूरत है। आरंभ में बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर एक मामला दर्ज किया गया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्रारंभिक जांच के बाद देशमुख और अन्य के खिलाफ ईडी ने मामला शुरू किया था।
अदालत ने सीबीआई से देशमुख के खिलाफ मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए रिश्वत के आरोपों की जांच करने को कहा था। आरोपों के बाद इस साल अप्रैल में राज्य के गृहमंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले देशमुख ने सभी आरोपों से इनकार किया था।(भाषा)