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Last Updated : सोमवार, 14 जून 2021 (08:19 IST)

जल्‍द हो सकता है मंत्रिमंडल में फेरबदल, कांग्रेस ने तेज की आंतरिक चर्चा, खत्‍म हो रहा पायलट खेमे का सब्र

जल्‍द हो सकता है मंत्रिमंडल में फेरबदल, कांग्रेस ने तेज की आंतरिक चर्चा, खत्‍म हो रहा पायलट खेमे का सब्र - congress party high command in churning mode to adjust sachin pilot amid rajasthan crisis
नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस में बढ़ते तनाव व पायलट खेमे के ज्यादा तीखे तेवरों के बीच कांग्रेस ने सभी वर्गों के साथ आंतरिक बातचीत तेज कर दी है और प्रदेश मंत्रिमंडल में जल्द ही फेरबदल होने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि प्रदेश मंत्रिमंडल में खाली नौ पदों में सभी वर्गों को शामिल करने के लिये चर्चा जारी है। कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी महासचिव अजय माकन समेत वरिष्ठ नेता विभिन्न खेमों के नेताओं से उनकी शिकायतें दूर करने के लिये चर्चा कर रहे हैं।
 
माना जा रहा है कि माकन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ चर्चा की। माकन ने को बताया कि यह काम प्रगति पर है। हम सभी वर्गों और नेताओं से बात कर रहे हैं। हम सभी वर्गों और क्षेत्रों की उम्मीदों और अकांक्षाओं का ध्यान रखने की आशा करते हैं। हम अशोक गहलोत और सचिन पायलट समेत सभी नेताओं के लगातार संपर्क में हैं।
 
उन्होंने कहा कि हमें मुद्दे के जल्द समाधान की उम्मीद है। पायलट पिछले दो दिनों से दिल्ली में डटे हुए हैं और उन्होंने माकन समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की है। उन्होंने पार्टी नेताओं के बीच मतभेद को सुलझाने के लिए 10 महीने पहले बनी तीन सदस्यीय समिति की भी खुले तौर पर आलोचना की। यह समिति तब बनाई गई थी जब पायलट ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी। पायलट हालांकि तब इस समझौते पर पीछे हट गए थे कि उनके लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
 
पायलट खेमे के कई लोगों को यद्यपि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस समिति में शामिल किया गया लेकिन उनके अधिकतर विश्वस्तों की नजर मंत्रिमंडल में मंत्री पद पर है। राजस्थान मंत्रिमंडल में फिलहाल नौ पद हैं लेकिन पार्टी नेतृत्व के लिए सभी धड़ों, वर्गों और क्षेत्रों को इसमें व्यवस्थित कर पाना मुश्किल हो रहा है।
 
गहलोत मंत्रिमंडल में एक अल्पसंख्यक चेहरा है और एक ही महिला मंत्री भी तथा अन्य महिलाओं व धार्मिक अल्पसंख्यकों को मौका देकर संतुलन साधने की भी जरूरत है। इसके अलावा सभी क्षेत्रों और जातियों का भी मंत्रिमंडल में ध्यान रखे जाने की जरूरत है।
 
इतना ही नहीं, पार्टी नेतृत्व को निर्दलीय विधायकों और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को भी समाहित करने की जरूरत है जिनके कांग्रेस में विलय के कारण प्रदेश सरकार स्थिर है। सूत्रों ने कहा कि 4-5 बार चुनाव जीत चुके कुछ पुराने धुरंधरों को भी जगह दिए जाने की जरूरत है।

इस बीच, पायलट खेमे का सब्र भी खत्म होता नजर आ रहा है क्योंकि उसके सदस्य कह रहे हैं कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने का समय आ गया है। यह खेमा गहलोत द्वारा बोर्डों और निगमों के अध्यक्ष पदों की नियुक्तियों में भी अपनी अनदेखी से खुश नहीं है। (भाषा)
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