जम्मू। चीन सीमा पर तनातनी का आलम यह है कि चीन की लाल सेना एलएसी पर करीब 6 विवादित स्थानों पर हजारों की तादाद में फौजियों का जमावड़ा कर चुकी है और वह इन इलाकों में तोपखानों के साथ ही टैंकों को भी तैनाती कर चुकी है। इन सबके पीछे का मकसद भारतीय सेना की पेट्रोलिंग को बाधित करते हुए काराकोरम दर्रे तक जाने वाली सड़क को काटना है ताकि भारतीय सेना उस इलाके में मिलने वाली सियाचिन लाइन तक न पहुंच सके।
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना 6 इलाके में भीतर तक घुस आई है। भारतीय पक्ष इसे जमीन पर बॉर्डर रेखा के रेखांकित न होने की स्थिति में भ्रम करार दे रहा है, जबकि हालत यह है कि लाल सेना सैनिक साजोसमान और हजारों की संख्या में आ डटी है।
सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख के उत्तर, मध्य और दक्षिण के 6 हिस्सों में चीनी सेना घुसी है। उत्तरी लद्दाख में गलवान घाटी और देपसांग, मध्य लद्दाख में हाट स्प्रिंग्स, पेंगोंग सो और चुशूल तक तो दक्षिणी लद्दाख में दमचोक और चुमार में पीएलए की घुसपैठ हुई है। नतीजा सामने है।
उत्तरी लद्दाख में भारतीय सेना पेट्रोलिंग पॉइंट 10 से 13 तक में चौकसी नहीं कर पा रही है, क्योंकि चीनी सेना ने भारत की सीमा में 15 किमी अंदर तक सड़क बना ली है। दरअसल चीन जीवन नाला तक घुस चुका है। अब नज़र बेहद अहम राकी नाला पर है। भारत की सेना पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर है, लेकिन उससे 25 किमी दक्षिण में पीपी 15 पर चीन ने 2 सड़कें बनाई हैं।
पेंगोंग सो के उत्तर में चीन ने फिंगर 8 से फिंगर 4 तक के 8 किमी क्षेत्र को हड़प लिया है। इस घुसपैठ से भारत की दुर्बुक-शयोक-दौलतबेग ओल्डी रोड खतरे में है। वहीं जीवन नाला और राकी नाला तक चीन की घुसपैठ से भारत के कराकोरम दर्रे तक पहुंचने वाले दो रास्तों से कटने का खतरा पैदा हो गया है।
अधिकारी बताते हैं कि दौलत बेग ओल्डी में भी उसकी घुसपैठ डीबीओ की हवाई पट्टी के लिए खतरा पैदा कर रही है। हालांकि अपुष्ट समाचारों के मुताबिक, इस इलाके में चीनी सेना से निपटने की खातिर भारतीय सेना ने भीष्म टैंकों के साथ ही के-9 वज्र तोपखानों को उतारा है।
यह सारी कवायद पिछले हफ्ते ही की गई है। दरअसल चीन डीबीओ रोड को काट देना चाहता है। वह डीबीओ में भारतीय सेना की मौजूदगी को अपने उस कराकोरम दर्रे के लिए खतरा मानता है, जहां से चीन-पाकिस्तान जाने के लिए रोड बना चुका है और इस रोड के एक किनारे पर सियाचिन ग्लेशियर के हिमखंड आरंभ होते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो चीन मानता है कि भारतीय सेना इस मार्ग पर उसकी रसद को काटने की कुव्वत रखती है।
दूसरे इलाके में भी अब चीनी सेना के टैंट, सैनिक साजोसामान और टैंक व तोपखाने भी नजर आने लगे हैं। कई स्थानों पर चीन की सबसे खतरनाक तोपें पीसीएल-181 भी नजर आई हैं। चीनी सेना के दावानुसार, उसकी यह तोप दुनिया की सबसे खतरनाक तोप है।
गलवान में पहले ही खूरेंजी झड़पें हो चुकी हैं और अब चीन अधिक सैनिकों के साथ फिर से इस इलाके में जमने लगा है। साथ ही पैंगांग झील, चुशूल और दमचोक में भी उसके गश्ती दल देखे गए हैं जो टैंट गाड़ने में व्यस्त थे। एक तरह से चीन ने अक्साई चीन में लद्दाख से सटी पूरी एलएसी के उन महत्वपूर्ण इलाकों में घुसपैठ कर फौज को बैठा दिया है, जो पिछले कई सालों से दोनों के बीच विवाद का कारण बने हुए हैं। फिलहाल भारतीय सेना इस पर खामोशी अख्तियार किए हुए थी।