• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Bloomsbury Cancels Book On Delhi Riots
Written By
Last Modified: रविवार, 23 अगस्त 2020 (08:04 IST)

दिल्ली दंगों पर किताब का प्रकाशन नहीं करेगा ब्लूम्सबरी इंडिया, क्या कपिल मिश्रा है वजह....

दिल्ली दंगों पर किताब का प्रकाशन नहीं करेगा ब्लूम्सबरी इंडिया, क्या कपिल मिश्रा है वजह.... - Bloomsbury Cancels Book On Delhi Riots
नई दिल्ली। ब्लूम्सबरी इंडिया ने शनिवार को फरवरी के दिल्ली दंगों से जुड़ी एक किताब का प्रकाशन नहीं करने की घोषणा की।

प्रकाशन संस्था ने यह घोषणा उनकी जानकारी के बिना किताब के बारे में एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किए जाने के बाद की।

हालांकि इस किताब की लेखिकाओं- वकील मोनिका अरोड़ा, दिल्ली विश्वविद्यालय की शिक्षकाएं सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा ने कहा कि भले ही एक प्रकाशक ने इनकार कर दिया हो सकता है लेकिन पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए कई अन्य हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे कपिल मिश्रा : इस प्रकाशन संस्था को उस समय व्यापक प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा जब शनिवार को किताब के लोकार्पण का एक कथित विज्ञापन सामने आया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा नेता कपिल मिश्रा को दिखाया गया।

उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी को हिंसा भड़कने के पहले ऐसे आरोप लगाए गए थे कि मिश्रा समेत कई नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए।

ब्लूम्सबरी इंडिया का बयान : ब्लूम्सबरी इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्के हिमायती हैं लेकिन समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को लेकर भी उतने ही सचेत हैं।

ब्लूम्सबरी इंडिया फरवरी में हुए दिल्ली दंगों के बारे में ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ इस साल सितंबर में प्रकाशित करने वाला था।

क्या बोले लेखक : ब्लूम्सबरी इंडिया के किताब का प्रकाशन करने का फैसला वापस लेने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अरोड़ा ने कहा, ‘यदि एक प्रकाशक मना करता है, तो दस और आ जाएंगे। बोलने की आज़ादी के मसीहा इस किताब से डरे हुए हैं।‘

अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली दंगों की जांच एनआईए द्वारा की जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि ये दंगे सुनियोजित थे।

उन्होंने कहा कि पुस्तक को आठ अध्यायों और पांच अनुलग्नकों में विभाजित किया गया है, जो दंगा प्रभावित क्षेत्रों में जमीनी अनुसंधान पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक के अध्याय भारत में शहरी नक्सवाल और जिहादी थ्योरी, सीएए, शाहीन बाग और अन्य के बारे में हैं।

मल्होत्रा ने कहा कि पुस्तक का उन तथाकथित वामपंथी विचारकों और बुद्धिजीवियों द्वारा विरोध किया गया, जिन्होंने पहले ‘‘झूठ फैलाया’’ था कि मुसलमानों के खिलाफ नागरिकता कानून था।

चितलकर ने कहा कि पुस्तक पूरी तरह से जमीनी शोध का एक परिणाम है। उन्होंने दावा किया कि हमने मुसलमानों सहित सभी से बात की। हम पक्षपाती नहीं हैं। यह किताब शहरी नक्सलियों और इस्लामिक जिहादियों के खिलाफ रूख अपनाती हैं, यह मुस्लिम विरोधी किताब नहीं है। (भाषा)
ये भी पढ़ें
कोरोनावायरस Live Updates : झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी कोरोना संक्रमित