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  4. Are 41 lives trapped in the dark tunnel due to the wrath of Boukh Nag Devta?
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Last Updated : सोमवार, 20 नवंबर 2023 (15:34 IST)

क्‍या बौख नाग देवता के प्रकोप से अंधेरी सुरंग में फंसी 41 जिंदगियां, क्‍या कहते हैं स्‍थानीय लोग?

uttarkashi tunnel
Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे में पिछले 9 दिनों से 41 मजदूर फंसे हुए हैं, उन्‍हें निकालने के लिए अब तक कई तरह की प्‍लानिंग पर काम हो चुका है, लेकिन अब तक नतीजा सिफर ही रहा है। हालांकि उन्‍हें निकालने के लिए लगातार रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन चल रहा है। उन्हें बाहर निकालने की कोशिशों में अब तक सफलता नहीं मिली है। निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को पाइप के जरिए खाना-पानी पहुंचाया जा रहा है।

लेकिन इस पूरे हादसे में एक दूसरा एंगल मान्‍यता का भी शामिल हो गया है। इस हादसे को स्थानीय लोग इष्ट देवता भगवान बौख नाग देवता का प्रकोप मान रहे हैं। उनका मानना है कि कंपनी ने भगवान का मंदिर बनाने के वादा किया, लेकिन बनाया नहीं। इसके साथ ही ग्रामीणों का बनाया छोटा मंदिर भी तोड़ दिया। इसके बाद ही दुर्घटना हो गई। ये देवता का प्रकोप है।

क्‍या है दावा : यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग हादसे को स्थानीय लोग ‘बाबा बौखनाग देवता’ का प्रकोप होने का दावा कर रहे हैं जिनके मंदिर को दिवाली से कुछ दिन पहले निर्माण कंपनी ने तोड़ दिया था।

सुरंग के एक हिस्से के ढह जाने से उसके अंदर फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए मंगलवार रात को मलबे को ड्रिल कर उसमें माइल्ड स्टील पाइप डालकर 'एस्केप टनल' बनाने के लिए ऑगर मशीन स्थापित की गई थी, लेकिन ड्रिलिंग शुरू होने के कुछ देर बाद ही ऊपर से भूस्खलन होने के कारण उसे रोकना पड़ा। बाद में ऑगर मशीन में भी खराबी आ गई थी।

मजदूरों को बाहर निकालने के सारे इंतजाम विफल होने पर बुधवार को निर्माण कंपनी के अधिकारियों ने बौखनाग देवता के पुजारी को बुलाकर उनसे क्षमा याचना की और उनसे पूजा संपन्न करवाई।

बौखनाग देवता के पुजारी गणेश प्रसाद बिजल्वाण ने सुरंग में पूजा अर्चना की तथा शंख बजाया। देवता की आरती करने के बाद उन्होंने सुरंग के चारों तरफ चावल फेकें और मजदूरों को बचाने के लिए किए जा रहे अभियान की सफलता के लिए प्रार्थना की।

बताया जा रहा है कि सुरंग के मुहाने पर बने बौखनाग मंदिर के टूटने के बाद स्थानीय लोग बौखनाग देवता के रुष्ट होने के कारण हादसा होने की आशंका जता रहे हैं। बौखनाग देवता को इलाके का रक्षक माना जाता है।

सुरंग ढहने के कारण 40 श्रमिक पिछले चार दिन से उसके अंदर फंसे हैं जिन्हें बाहर लाने के लिए देश भर के तमाम बड़े तकनीकी विशेषज्ञों से लेकर अत्याधुनिक मशीनों का सहारा लिया जा रहा है। सुरंग में मलबा गिरने की वजह से बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं।

सिलक्यारा गांव के निवासी 40 वर्षीय धनवीर चंद रमोला ने कहा, ‘‘परियोजना शुरू होने से पहले सुरंग के मुंह के पास एक छोटा मंदिर बनाया गया था और स्थानीय मान्यताओं को सम्मान देते हुए अधिकारी और मजदूर पूजा करने के बाद ही सुरंग के अंदर दाखिल होते थे। हालांकि उन्होंने दावा किया कि कुछ दिन पहले निर्माण कंपनी प्रबंधन ने मंदिर को वहां से हटवा दिया और लोगों का मानना है कि इसी की वजह से यह हादसा हुआ है।

एक अन्य ग्रामीण राकेश नौटियाल ने कहा कि हमने निर्माण कंपनी से कहा था कि मंदिर को न तोड़ा जाए या ऐसा करने से पहले आसपास उनका दूसरा मंदिर बना दिया जाए। नौटियाल ने कहा कि कंपनी वालों ने हमारी चेतावनी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह हमारा अंधविश्वास है। उन्होंने दावा किया कि पहले भी सुरंग में एक हिस्सा गिरा था लेकिन तब एक भी मजदूर नहीं फंसा और न ही किसी अन्य प्रकार का नुकसान हुआ।

पुजारी बिजल्वाण ने कहा कि उत्तराखंड देवताओं की भूमि है। किसी भी पुल, सड़क या सुरंग को बनाने से पहले स्थानीय देवता के लिए छोटा मंदिर बनाने की परंपरा है। इनका आशीर्वाद लेकर ही काम पूरा किया जाता है। उन्होंने कहा कि उनका भी मानना है कि निर्माण कंपनी ने मंदिर को तोड़कर गलती की और इसी वजह से हादसा हुआ जिससे 40 श्रमिकों की जिंदगी संकट में फंस गई।

देवता की उपेक्षा का प्रभाव : स्थानीय लोग कहते हैं कि ये हादसा इष्ट देव भगवान बौख नाग का प्रकोप है। टनल के ठीक ऊपर जंगल में बौख नाग देवता का मंदिर है। कंपनी ने जंगलों को छेड़कर टनल बनाना शुरू किया और बदले में कंपनी ने टनल के पास देवता का मंदिर बनाने का वायदा किया था, लेकिन 2019 से अभी तक मंदिर नहीं बनाया। कई बार लोगों ने कंपनी के अधिकारियों को इसकी याद भी दिलाई, लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उल्टे टनल साइट पर कुछ दिन पहले ग्रामीणों का बनाया गया छोटा-सा मंदिर भी तोड़ दिया। इसके ठीक बाद टनल में दुर्घटना हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि ये देवता का प्रकोप है।

सांसद ने भगवान से की प्रार्थना : कंपनी को भी अब लग रहा है कि कहीं सच में ऐसा ही तो नहीं। इसलिए टनल साइट पर बौख नाग देवता के पुजारी को बुलाकर बुधवार को श्रीफल फोड़कर पूजा-पाठ कराई गई। भगवान के नाम का प्रसाद बनवाया और संकल्प लिया गया कि ऑपरेशन सफल होते ही देवता का मंदिर बनाया जाएगा। वहीं बुधवार को सिलक्यारा टनल ऑपरेशन साइट पर पहुंची टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी भी भगवान बौख नाग देवता से प्रार्थना करती नजर आईं। दरअसल इस पूरे क्षेत्र में बौखनाग देवता को लोग आराध्य के तौर पर पूजते हैं। सुरंग के ऊपर जंगलों में कई देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर हैं।
Edited By Navin Rangiyal/(भाषा)
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