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Last Modified: शनिवार, 29 फ़रवरी 2020 (18:38 IST)

सेवानिवृत्त हुए अमूल्य पटनायक, एसएन श्रीवास्तव ने संभाली दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कमान

सेवानिवृत्त हुए अमूल्य पटनायक, एसएन श्रीवास्तव ने संभाली दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कमान - Amulya Patnaik retired, SN Srivastava took over command of Delhi Police Commissioner
नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के बाद बने तनावपूर्ण माहौल के बीच पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक सेवानिवृत्त हो गए। उनकी जगह एसएन श्रीवास्तव नए पुलिस कमिश्नर बने। नए पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तवन ने कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द बहाल करना उनकी प्राथमिकता रहेगा। शांति बहाली की कोशिश जारी रहेगी।

दिल्ली के निवर्तमान पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक का पिछले कुछ महीने का कार्यकाल आरोपों में घिरा रहा। उन पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पर लगाम नहीं कस पाने व कार्रवाई नहीं करने और विफल रहने, जामिया और जेएनयू जैसे मामले को अकुशलता से निपटने और पुलिसबल का मनोबल कम करने जैसे आरोप लगे। पुलिसकर्मियों के अधिकारों पर दृढ़ रुख नहीं अपनाने के लिए उनके खिलाफ उनके बल के लोगों ने ही प्रदर्शन किए।

विवादों भरा रहा कार्यकाल : राष्ट्रीय राजधानी में इस हफ्ते 3 दशकों में सर्वाधिक खतरनाक दंगे हुए, जिसमें आरोप लगे कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही, जब क्रुद्ध भीड़ ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली की सड़कों पर हंगामा बरपाया।

1985 बैच के आईपीएस अधिकारी पटनायक शीर्ष पद की दौड़ में छुपे रुस्तम साबित हुए थे और 31 जनवरी 2017 को वे पुलिस आयुक्त बने और संभवत: सबसे लंबे समय तक इस पद पर बने रहे। पुलिसकर्मियों का साथ नहीं देने के लिए पिछले वर्ष नवंबर में दिल्ली पुलिस के सैकड़ों कर्मियों ने पुराने पुलिस मुख्यालय पर पुलिस के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ धरना दिया था।

तीस हजारी अदालत में वरिष्ठ अधिकारियों सहित 20 से अधिक पुलिसकर्मियों से मारपीट के मामले में शीर्ष नेतृत्व ने कोई रुख नहीं अपनाया, जिससे पुलिसबल में आक्रोश था। पटनायक को बाहर आकर सैकड़ों पुलिसकर्मियों और उनके परिवार को सांत्वना देनी पड़ी थी।

उनके कार्यकाल में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग सहित राष्ट्रीय राजधानी में व्यापक प्रदर्शन हुए। पिछले वर्ष दिसंबर में दिल्ली पुलिस की काफी आलोचना हुई जब सुरक्षाबल जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पुस्तकालय में पुलिस घुस गई और छात्रों पर कड़ी कार्रवाई की गई थी। उनमें से कई छात्र बुरी तरह जख्मी हो गए थे।

दिल्ली पुलिस की 3 हफ्ते बाद फिर घोर आलोचना हुई लेकिन इस बार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में नकाबपोश भीड़ द्वारा छात्रों और शिक्षकों को पीटे जाने के मामले में कार्रवाई नहीं करने के लिए। छात्रों ने आरोप लगाए कि उन्होंने कई बार पुलिस को बुलाया लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला। मामले में अभी तक एक भी व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

उनके कार्यकाल के पिछले कुछ महीने में राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न इलाकों में झपटमारी और गैंगवार जैसे अपराधों में बढ़ोतरी हुई। दिल्ली पुलिस के एक अन्य प्रमुख ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि अगर जेएनयू और जामिया जैसी घटनाएं नहीं होतीं तो उनका कार्यकाल बेहतर तरीके से याद किया जाता।

अधिकारी ने कहा, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जब भीड़ उत्पात मचा रही थी तो पुलिस को पता नहीं था कि कैसे इस पर लगाम लगाएं। 1984 के सिख विरोधी दंगे के बाद पहली बार दिल्ली पुलिस को कार्रवाई नहीं करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

पटनायक इस वर्ष जनवरी में सेवानिवृत्त होने वाले थे लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनावों को देखते हुए उन्हें एक महीने का सेवा विस्तार दिया गया था। उनके कार्यकाल में दिल्ली पुलिस को लुटियंस दिल्ली के जय सिंह रोड पर नया ठिकाना भी हासिल हुआ। 35 वर्षों के कार्यकाल में पटनायक ने दिल्ली पुलिस में कई महत्वपूर्ण विभाग संभाले।
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