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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 6 अक्टूबर 2022 (19:45 IST)

संघ प्रमुख मोहन भागवत के संदेश के बाद क्या मोदी सरकार बनाएगी 'जनसंख्या नियंत्रण कानून'?

संघ प्रमुख मोहन भागवत के जनसंख्या नियंत्रण कानून पर साफ संदेश के बाद क्या आने वाले दिनों में मोदी सरकार जनसंख्या नियंत्रण से जुड़ा कोई बड़ा फैसला लेगी?

संघ प्रमुख मोहन भागवत के संदेश के बाद क्या मोदी सरकार बनाएगी 'जनसंख्या नियंत्रण कानून'? - After the message of Mohan Bhagwat, will the Modi government make a population control law?
भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत
संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान
धर्म आधारित जनसंख्या संतुलन की अनदेखी नहीं
जनसंख्या नियंत्रण पर गंभीरतापूर्वक हो विचार
पीएम मोदी भी बढ़ती जनसंख्या पर जता चुके है चिंता
जनसंख्या नियत्रंण पर नीति बनाएगी मोदी सरकार?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी उत्सव पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत बताने के साथ सब पर लागू किए जाने के बयान के बाद अब इस मुद्दें पर नए सिरे से सियासी बहस छिड़ गई है। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अब समय आ गया है कि जनसंख्या नियंत्रण पर गंभीरतापूर्वक विचार कर इसे अमलीजामा पहनना चाहिए। वहीं कांग्रेस ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि संघ की जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग के पीछे एक राजनीति है और आरएसस को अपनी मंशा को स्पष्ट करना चाहिए।  
 
जनसंख्या पर क्या बोले मोहन भागवत?-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को संघ के विजयादशमी उत्सव में जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत में जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने जो सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को छूट नहीं मिले। सरसंघचालक ने कहा कि जनसंख्या असंतुलन भौगोलिक सीमाओं में बदलाव का कारण बनती है, ऐसे में नयी जनसंख्या नीति सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी जनसंख्या पॉलिसी बनानी चाहिए जो सभी पर बराबरी से लागू हो। 
 
संघ प्रमुख मोहन भागवत पहले ही कई मौकों पर जनसंख्या नियंत्रण के लिए नई नीति बनाने पर साफ शब्दों में अपनी राय रख चुके हैं। गौरतलब है कि जनसंख्या नियंत्रण संघ का प्रमुख एजेंडा है। छोटे परिवार के लिए शुरू से हिमायती रहा संघ जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर काफी मुखर रहा है। संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल में जनसंख्या नीति को पुनर्निधारण कर नीति को सभी पर समान रुप से लागू करने का प्रस्ताव पहले ही पास कर चुकी है। संघ बढ़ती जनसंख्या को राष्ट्र के विकास और संप्रभुता के राह में एक बड़ा रोड़ा मानता रहा है।
 
जनसंख्या नियंत्रण कानून क्यों जरूरी?-जनसंख्या के मामले में भारत के बढ़ते आंकड़े डरावने वाले है। 1.35 अरब आबादी के साथ दुनिया में भारत दूसरे स्थान पर है। भारत में बढ़ती जनसंख्या को लेकर लगातार चिंता जताई जा रही है। जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर पीएमओ में प्रजेंटेशन देने के साथ सर्वोच्च अदालत में इस मुद्दें पर जनहित याचिका लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कहते हैं कि जनसंख्या नियत्रंण कानून आज देश की जरूरत है और मुझे लगता है कि इसमें अब एक दिन की भी देरी नहीं की जानी चाहिए। हर भारत में हर दिन 86 हजार बच्चे पैदा हो रहे है यानि तीन करोड़ बच्चे सिर्फ 2022 में पैदा हो जाएंगे।

वह आगे कहते हैं कि जनसंख्या हमारे समाज पर किस तरह से प्रभाव डाल रही है, इसको ऐसे समझा जा सकता है कि जब तक सरकार दो करोड़ लोगों को रोजगार देगी तब तक 10 करोड़ लोग बेरोजगार पैदा हो जाएंगे। सरकार जबतक 2 करोड़ लोगों को घर देगी तब तक 10 करोड़ लोग बेघर हो जाएंगे। जब तक देश में कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनेगा तक तक देश का विकास नहीं हो सकता।

वहीं अश्विनी उपाध्याय कहते हैं कि जब कानून बनेगा तो वह सभी पर लागू होगा औऱ वास्तव में जो समाज पिछड़ा है उसके लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून ज्यादा जरूरी है। बढ़ती जनसंख्या आज भारत के लिए चुनौती और कई समस्याओं की जड़ है। 

कई राज्यों में भी उठ चुकी है मांग-देश की कई राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने की मांग उठ चुकी है। विशेषकर भाजपा शासित राज्यों असम, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर मांग लगातार तेज होती जा रही है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा राज्य में दो बच्चों की नीति बनाने का एलान कर चुके है। तो उत्तर प्रदेश में राज्य अल्पसंख्यक आयोग केंद्र सरकार से जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की सिफारिश करने की तैयारी में है। वहीं मध्यप्रदेश में तो सत्तारूढ़ भाजपा की विधायक और मंत्री खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग कर चुके है।

मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अब समय आ गया है कि जनसंख्या नियंत्रण पर गंभीरतापूर्वक विचार कर इसे अमलीजामा पहनना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत का जनसंख्या नियंत्रण नीति पर विचार देश की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है। जनसंख्या का असंतुलन नहीं होना चाहिए। अब समय भी आ गया है कि इस विषय पर गंभीरतापूर्वक विचार कर अमलीजामा पहनना चाहिए। 
जनसंख्या नियंत्रण पर नीति बनाएगी मोदी सरकार?-देश की बढ़ती जनसंख्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंता जता चुके है। लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त 2019 के दिए अपने भाषण में देश की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, ये आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा कर रहा है। प्रधानमंत्री ने आबादी नियंत्रण के लिए छोटे परिवार पर जोर दिया। 
 
गौर करने वाली बता यह है कि संसद के मानसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन के जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेंबर्स बिल पर मोदी सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने सरकार का रूख साफ करते हुए कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाने पर सरकार कोई विचार नहीं कर रही है।

ऐसे में जब मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रिपल तलाक और जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म कर संघ के पहले दो बड़े एजेंडे को पूरा कर चुकी है। तब क्या अब संघ प्रमुख मोहन भागवत के जनसंख्या नियंत्रण कानून पर साफ संदेश या नसीहत के बाद क्या आने वाले दिनों में मोदी सरकार जनसंख्या नियंत्रण से जुड़ा कोई बड़ा फैसला लेगी, यह देखना होगा।