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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022 (17:38 IST)

गुजरात विधानसभा चुनाव के त्रिकोणीय मुकाबले में कौन किस पर पड़ रहा भारी?

गुजरात में तीन दशक से सत्ता में काबिज भाजपा को इस बार आप और कांग्रेस दोनों से चुनौती मिल रही है।

गुजरात विधानसभा चुनाव के त्रिकोणीय मुकाबले में कौन किस पर पड़ रहा भारी? - AAP entry in the battle of BJP and Congress in Gujarat elections
गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग अब कभी भी चुनाव की तारीखों का एलान कर सकता है। गुजरात में भले ही चुनाव आयोग ने तारीखों का एलान नहीं किया हो लेकिन गुजरात पूरी तरह चुनावी मोड में है। राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी रैलियों के साथ नुक्कड़ सभा और डोर-टू-डोर कैंपेन शुरु कर दिया है। 182 सदस्यीय वाली गुजरात विधानसभा में इस बार चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय है। भाजपा और कांग्रेस के साथ इस बार आम आदमी पार्टी अपनी पूरी ताकत के साथ गुजरात के चुनावी मैदान में डटी हुई है। गुजरात में पूरी चुनावी सियासी बिसात बिछ चुकी है, इंतजार सिर्फ चुनाव की तारीखों के एलान का है।

2017 और 2022 के चुनाव में कितना अंतर?-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में 2022 का विधानसभा चुनाव पांच साल पहले हुए 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में बहुत अलग है। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में 2017 में भाजपा को 99 सीटों पर जीत हासिल हुई थी वहीं कांग्रेस को 80 सीटें मिली थी। यानि 2017 में चुनावी मुकाबला सीधा-सीधा भाजपा और कांग्रेस में था।

वहीं अगर वर्तमान की बात करे तो 2017 से 2022 तक साबरमती में बहुत सा पानी बह चुका है। 2017 में राज्य में भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस उतनी ताकत के साथ चुनावी मैदान में नजर नहीं आ रही है, वहीं भाजपा अपनी पिछले गलतियों को सुधारते हुए चुनावी मैदान में आ डटी है। वहीं पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बुलंद हौंसलों के साथ अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी ने पांच साल पहले की चुनावी तस्वीर को बदल दिया है। आप की एंट्री के बाद गुजरात विधानसभा की लड़ाई पहली बार त्रिकोणीय नजर आ रही है।

मोदी के ही चेहरे के सहारे भाजपा-गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का चेहरा भाजपा की ताकत है। लगभग तीन दशकों से गुजरात की राजनीति नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही टिकी हुई है और वह चुनाव में भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है। 2022 के चुनाव में भी भाजपा ‘मोदी मैजिक’ के साथ चुनावी मैदान में डटी हुई है। चुनाव की तारीखों के एलान से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दर्जन भर से अधिक सभा और रोड शो कर चुनावी माहौल को ‘मोदीमय’ बना दिया है।

वहीं गुजरात भाजपा के चुनावी चाणक्य माने जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह का भी गृह राज्य गुजरात है और गुजरात में भाजपा का मजबूत संगठन उसकी सबसे बड़ी ताकत है। वक्त के साथ बदलती भाजपा इस बार चुनाव से अपने संगठन को हाईटेक कर लिया है। राज्य में भाजपा हर बूथ को डिजिटल कर अपना एक मजबूत संगठन तैयार किया है। 1995 से राज्य की सत्ता में काबिज भाजपा चुनाव दर चुनाव राज्य में भगवा झंडे को लहराती आई है। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भले ही 2017 में भाजपा को कड़ी चुनौती मिली हो लेकिन 2022 में भाजपा कांग्रेस से चुनावी मुकाबले में हर मोर्चे पर आगे ही खड़ी दिखाई दे रही है।   

2017 में चौंकाने वाली कांग्रेस 2022 में साइलेंट-2017 के विधानसभा चुनाव जब गुजरात में राजनीतिक पंडित भाजपा की प्रचंड जीत का दावा कर रहे थे तब कांग्रेस ने 80 सीटें जीतकर भाजपा को तीन अंकों से नीचे रोक दिया था। वहीं 2017 भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस 2022 विधानसभा चुनाव में उतनी ताकत के साथ नहीं नजर आ रही है। राज्य में पिछले पांच सालों में लगातार टूटती कांग्रेस चुनावी स्टार्ट लेने में चूकती नजर आ रही।

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत चुवा चेहरों की तिकड़ी हार्दिक पटेल,जिग्नेश मेवाड़ी और अल्पेश ठाकोर अब कांग्रेस के साथ नहीं है। हार्दिक पटेल को कांग्रेस ने राज्य में पार्टी की कमान सौंपी थी लेकिन वह चुनाव ऐन वक्त पहले भाजपा के पाले में चले गए है। वहीं गुजरात युवक कांग्रेस के अध्यक्ष ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है।

गुजरात में कांग्रेस के साइलेंट रहने के अपने कारण है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव इसकी सबसे बड़ी वजह है। वहीं गुजरात में कांग्रेस के सीनियर पर्यवेक्षक बनाए गए अशोक गहलोत का राजस्थान की राजनीति में ही उलझे रहना भी इसका एक प्रमुख कारण है। वहीं आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी एमआईएम कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने में पूरी ताकत के साथ जुटी है। एक दिन पहले आए एक चुनावी ओपिनियन पोल में कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक आप के साथ जाता हुआ दिख रहा है।

गुजरात में गेमचेंजर बनेगी AAP?- गुजरात के चुनावी मुकाबले में आम आदमी पार्टी एक विकल्प के तौर पर उपलब्ध है। बीते पांच सालों में आम आदमी पार्टी ने राज्य में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है और नगरीय निकाय चुनाव में उसने मजबूत स्थिति भी दर्ज की है। इस साल की शुरुआत में हुए सूरत नगर निगम चुनाव में 26  सीटें जीतने वाली आप के हौंसले सातवें आसमान पर है।

आम आदमी पार्टी गुजरात में दिल्ली मॉडल पर चुनाव लड़ रही है। दिल्ली की तर्ज पर आम आदमी पार्टी ने गुजरात में ऑटी ड्राइवर्स, सफाई कामगार, वकीलों और व्यापरियों को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही है। इसके साथ आम आदमी पार्टी ने ‘गारंटी’ वाला चुनावी ट्रंप कार्ड भी गुजरात में चल दिया है।

तीन गांरटी घोषणा दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए आप का सबसे बड़ा चुनावी दांव है।  इसमें गुजरात में सरकार बनने पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने के एलान के साथ निर्बाध बिजली आपूर्ति और 31 दिसंबर तक बकाया बिजली के बिल की माफी की घोषणा की है। इसके साथ बेरोजगारों को नौकरी के साथ बेरोजगार युवाओं को नौकरी मिलने तक तीन हजार प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा है।

गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी एक विकल्प के तौर पर उपलब्ध है। वहीं 2017 के चुनाव में राज्य में भाजपा को कड़ी चुनौती पेश करने वाली कांग्रेस का राज्य में कमजोर होना भी आप पार्टी को एक मौका दे रहा है। 2017 में जहां चुनावी लड़ाई मोदी बनाम राहुल के चेहरों पर सिमटी हुई थी वहीं इस बार अरविंद केजरीवाल का चेहरा मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहा है। पंजाब में जीत के बाद बुलंद हौंसले के साथ गुजरात पहुंची आम आदमी पार्टी को यहां भी किसी करिश्मे के उम्मीद है।
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